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सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसा बोले वैसा चले: धामी के एक फ़ैसले पर SC

सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसा बोले वैसा चले: धामी के एक फ़ैसले पर SC

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है और उनके रवैये पर कड़ी टिप्पणी की है। जानिए, क्या मामला है और धामी की आलोचना क्यों की।

'हम सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसा बोले वैसा चले'। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह टिप्पणी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक फ़ैसले पर की है। इसने पुष्कर सिंह धामी के आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का फील्ड डायरेक्टर नियुक्त करने के फ़ैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए यह बात कही।

आईएफ़एस अधिकारी राहुल की नियुक्ति करने के लिए पुष्कर सिंह धामी ने प्रमुख सचिव और वन मंत्री की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल एक 'अच्छे अधिकारी' की बलि नहीं चढ़ाना चाहते। इसके बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि धामी को कम से कम अपने अधिकारियों द्वारा उठाई गई आपत्तियों से असहमति के कारणों को दर्ज करना चाहिए था। 

इसी बीच जस्टिस गवई ने कहा, 'हम सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसे बोले वैसा चले। इस देश में सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत जैसा कुछ है। कार्यपालिका के प्रमुखों से पुराने जमाने के राजा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे जो कहेंगे वही करेंगे।' जस्टिस गवई ने पूछा, 'जब प्रथम अधिकारी यानी अनुभाग अधिकारी की ओर से एक विशिष्ट नोटिंग होती है, उप सचिव द्वारा समर्थित, प्रधान सचिव द्वारा समर्थित, माननीय मंत्री द्वारा समर्थित कि फलाँ कारणों से उन्हें वहां तैनात नहीं किया जाना चाहिए, तो आपको लगता है कि इसके बावजूद, सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, वह कुछ भी कर सकते हैं?'

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत की पीठ ने आगे कहा, 'एक खास नोट है... कि उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है, सीबीआई जांच चल रही है और इसलिए उन्हें टाइगर रिजर्व में कहीं भी तैनात नहीं किया जाना चाहिए। इसका उप सचिव, प्रधान सचिव और वन मंत्री द्वारा समर्थन किया जाता है और यह सब मुख्यमंत्री द्वारा अनदेखा किया जाता है!'

बता दें कि राहुल को दो साल पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा अवैध वृक्ष कटाई और निर्माण पर संज्ञान लेने के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस ने 30 अगस्त को रिपोर्ट दी थी कि धामी ने नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के अपने वन मंत्री और मुख्य सचिव के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रभार राहुल को सौंप दिया।

बुधवार को जब मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा पेश एक रिपोर्ट के बाद जस्टिस गवई के अलावा न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन वाली पीठ के समक्ष आया तो नादकर्णी ने कहा कि न्यायालय के सम्मान में राहुल को राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र निदेशक के रूप में नियुक्त करने का आदेश वापस ले लिया गया है।

अदालत ने उनकी दलीलें दर्ज करते हुए कहा कि इसलिए किसी आदेश की जरूरत नहीं है और कार्यवाही बंद कर दी। नादकर्णी ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि मुख्यमंत्री ने आईएफएस अधिकारी की नियुक्ति के लिए अपनी सहमति देते समय सभी आपत्तियों और यहां तक ​​कि सीईसी रिपोर्ट पर भी विचार किया था। लेकिन अदालत इससे प्रभावित नहीं हुई। अदालत ने वकील से कहा कि आप इसको सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

जस्टिस गवई ने कहा कि मुख्यमंत्री ने केवल एक पंक्ति की टिप्पणी की है, जबकि उन्हें कारण बताना चाहिए था। अदालत ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री वन मंत्री के नोटिस पर ही रुक जाते और आगे नहीं बढ़ते, तो यह सब कुछ नहीं होता।

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