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शरद पवार खेमे को फौरी राहत, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया

शरद पवार खेमे को फौरी राहत, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया

अजित खेमे को असली एनसीपी मानने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। जानिए, इसने चुनाव आयोग को क्या निर्देश दिया और शरद खेमे को क्या कहा।

शरद पवार खेमे को सुप्रीम कोर्ट ने फौरी तौर पर राहत दी है। शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक शरद पवार खेमे को 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी - शरद चंद्र पवार' नाम का उपयोग करने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही इसने चुनाव आयोग को कहा है कि वह आवेदन के एक हफ्ते के भीतर उसको पार्टी का सिंबल यानी चिह्न आवंटित कर दे।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अजित पवार के गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के रूप में मान्यता देने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली शरद पवार की याचिका पर नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार' का नाम देने का चुनाव आयोग का 7 फरवरी का आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा। इसके अतिरिक्त इसने उन्हें पार्टी चिह्न के आवंटन के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने को कहा है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ शरद पवार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पिछले शुक्रवार को इस याचिका का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए किया था। इसमें आगामी महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान शरद पवार को अजित पवार से व्हिप का सामना करने के जोखिम पर जोर दिया गया था। सिंघवी ने कहा कि शरद पवार के गुट को कोई भी पार्टी चिह्न आवंटित नहीं किया गया है।

सुनवाई के दौरान सिंघवी ने अदालत से 27 फरवरी को समाप्त होने वाले राज्यसभा चुनावों तक 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार' के नाम का उपयोग करने की चुनाव आयोग द्वारा अनुमोदित अंतरिम व्यवस्था को जारी रखने और पार्टी चिह्न जारी करने के लिए आयोग को निर्देश देने का आग्रह किया।

असली एनसीपी को मान्यता देने के चुनाव आयोग के 6 फरवरी के आदेश की आलोचना के अंदाज में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "आदेश कहता है कि आप दोनों (गुटों) ने पार्टी के संविधान का उल्लंघन किया, आप दोनों 'लक्ष्य और उद्देश्य' के खिलाफ गए और फिर भी कोई अयोग्य घोषित नहीं किया गया है। जरा सोचिए उन मतदाताओं का क्या होगा, जिन्होंने आपको वोट दिया है।"

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पाकिस्तान की हालिया स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, 'किसी स्तर पर मतदाता को कुछ कहने दें। अराजकता फैल जाएगी। मैं कोई तुलना नहीं करना चाहता, लेकिन यदि आप सीमा पार के चुनाव को देख रहे हैं तो, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि कोई 'बल्ला' चुनाव चिह्न चाहता था और वह नहीं दिया गया।'

शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा 7 फरवरी को पारित आदेश 27 फरवरी तक राज्यसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा की गई एक अंतरिम व्यवस्था है। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र 26 फरवरी से शुरू होने वाला है और हमारा समूह 27 फरवरी के बाद बिना किसी नाम या चिह्न के होगा।'

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ वकील ने आगे तर्क दिया, 'आदेश में कहा गया है कि अजित पवार पक्ष ही असली एनसीपी है, जिससे हम बाद के चरण में लड़ेंगे लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए, शरद पवार एक बार के उपाय के रूप में नाम का उपयोग कर सकते हैं। 27 फरवरी के बाद, तकनीकी रूप से मैं गुमनाम रहूँगा, चिह्न के बिना रहूँगा और अजित पवार के व्हिप का पालन करने के लिए बाध्य हो जाऊँगा।' 

बहरहाल, चुनाव आयोग की अंतरिम व्यवस्था जारी रखने पर रोहतगी की आपत्तियों के बावजूद पीठ ने शरद पवार की ओर से किए गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा -'नोटिस जारी करें। जवाबी हलफनामा दो सप्ताह में दाखिल करना होगा। प्रत्युत्तर एक सप्ताह के भीतर दाखिल करना होगा। तीन सप्ताह के बाद पोस्ट करें। इस बीच भारत के चुनाव आयोग ने 7 फरवरी को आदेश पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता को 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी - शरद चंद्र पवार' का उपयोग करने का अधिकार दिया गया। अगले आदेश तक जारी रहेगी। याचिकाकर्ता एक प्रतीक के आवंटन के लिए चुनाव आयोग से संपर्क कर सकता है और आवेदन दायर करने के एक सप्ताह के भीतर ऐसा चिह्न आवंटित किया जाएगा।'

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