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साबरमती आश्रम के पुनर्विकास योजना पर सुप्रीम कोर्ट से गुजरात को झटका

साबरमती आश्रम के पुनर्विकास योजना पर सुप्रीम कोर्ट से गुजरात को झटका

साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क्या अब गुजरात सरकार को योजना बदलने की नौबत आ सकती है? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की योजना पर गुजरात सरकार को झटका दिया है। इसने शुक्रवार को गुजरात उच्च न्यायालय से कहा है कि वह राज्य सरकार की इस योजना के ख़िलाफ़ महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करे। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 21 नवंबर के फ़ैसले को खारिज कर दिया है जिसमें तुषार गांधी की याचिका खारिज कर दी गई थी।

तुषार गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में तर्क दिया था कि किसी तरह की पुनर्विकास योजना आश्रम की प्राचीन सादगी को ख़राब कर देगा। उनकी इस याचिका पर सुनवाई होने का मतलब सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला राज्य में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के लिए झटका जैसा है।

साबरमती यानी गांधी आश्रम स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य केंद्रों में से एक रहा है। महात्मा गांधी ने 1917 और 1930 के बीच अपने जीवन के 15 वर्ष बिताए और फिर दांडी के ऐतिहासिक नमक मार्च के लिए रवाना हुए। पिछले साल सरकार ने 55 एकड़ के साबरमती आश्रम परिसर को ‘आकर्षक विश्वस्तरीय पर्यटन’ केंद्र बनाने के लिए 1,246 करोड़ रुपये की एक योजना को मंजूरी दी है। लेकिन इस पर विवाद हो गया है। दशकों से वहाँ काम कर रहे और रह रहे कई लोगों को अब डर है कि आश्रम और उसके आस पास का इलाक़ा हमेशा के लिए बदल जाएगा।

सरकार के उस फ़ैसले का विरोध महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी किया और पुनर्विकास की योजना के ख़िलाफ़ अदालत का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, 'हमारा मानना ​​है कि गुजरात सरकार को विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए इस मामले पर एक व्यापक हलफनामा दायर करने का अवसर देने के बाद हाई कोर्ट के लिए इन मुद्दों पर फ़ैसला करना उचित होता।'

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया कि वह मामले के गुण-दोष में नहीं गया है। तुषार गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दलीलें रखीं, जबकि गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया।

पुनर्विकास योजना के ख़िलाफ़ अपनी याचिका में तुषार गांधी ने तर्क दिया है कि यह साबरमती आश्रम की भौतिक संरचना को बदल देगा और गांधीजी की विचारधारा को मूर्त रूप देने वाली इसकी प्राचीन सादगी को ख़राब कर देगा। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि गांधी स्मारक निधि का संविधान कहता है कि आश्रम और स्मारकों को सरकार और राजनीतिक प्रभाव से दूर रखा जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने तुषार गांधी की याचिका को तब खारिज कर दिया था जब राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह आश्रम के मुख्य एक एकड़ क्षेत्र में तीन प्रमुख आकर्षणों को नहीं छूएगी और पुनर्विकास इसके आसपास के 55 एकड़ क्षेत्र में होगा। 

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