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सुप्रीम कोर्ट के जज ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई से किया अलग 

सुप्रीम कोर्ट के जज ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई से किया अलग 

पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय कुमार ने गुरुवार को आबकारी नीति मामलों में आप नेता मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इन याचिकाओं में आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं पर फिर से विचार करने की मांग की गई थी। आबकारी नीति से जुड़े मामलों में सीबीआई और ईडी कार्रवाई कर रही है और इसलिए इन दोनों को लेकर दो याचिकाएँ दायर की गई हैं।

पिछले महीने शीर्ष अदालत ने कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। 

आप नेता ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।

बहरहाल, अपनी जमानत याचिकाओं पर फिर से सुनवाई के लिए सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि एक अन्य पीठ, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति संजय कुमार नहीं हैं, आबकारी नीति घोटाला मामले में ईडी और सीबीआई द्वारा दायर मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर फिर से विचार करने की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'हमारे भाई को कुछ परेशानी है। वह व्यक्तिगत कारणों से इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे।' सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि वक़्त बेहद महत्वपूर्ण है।

सिंघवी ने कहा कि दोनों मामलों में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि 15 जुलाई को एक अन्य पीठ इस पर सुनवाई करेगी।

बता दें कि पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। 

इससे पहले पाँच अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सिसोदिया इस मामले में शामिल नहीं दिख रहे हैं और पूछा था कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कैसे आरोपी बनाया गया। तब शीर्ष अदालत ने कहा था, 'ऐसा लगता है कि मनीष सिसोदिया इस मामले में शामिल नहीं हैं। विजय नायर हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं। आपने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाया? पैसा उनके पास नहीं जा रहा है।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'आपको एक श्रृंखला स्थापित करनी होगी। पैसे को शराब लॉबी से व्यक्ति तक पहुंचना होगा। हम आपसे सहमत हैं कि श्रृंखला स्थापित करना कठिन है क्योंकि सब कुछ गुप्त रूप से किया जाता है। लेकिन यहीं पर आपकी काबिलिय दिखती है।' पीठ ने पाँच अक्टूबर को कहा था, 'सबूत कहां है? दिनेश अरोड़ा (व्यवसायी) खुद प्राप्तकर्ता है। सबूत कहां है? क्या दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा कोई और सबूत है? श्रृंखला पूरी तरह से स्थापित नहीं है।'

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