हिमंत के मानहानि केस के ख़िलाफ़ सिसोदिया की याचिका ख़ारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा द्वारा उनके ख़िलाफ़ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
सरमा ने सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सरमा की पत्नी रिंकी भुइयां सरमा पहले ही सिसोदिया के ख़िलाफ़ 100 करोड़ के मानहानि का मुक़दमा दायर कर चुकी हैं। सिसोदिया ने कुछ रिपोर्टों के हवाले से रिंकी भुइयाँ सरमा द्वारा पीपीई किट के लिए बाज़ार दर से ऊपर ठेके देने में कदाचार का आरोप लगाया था।
सिसोदिया ने तब आरोप लगाया था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपनी पत्नी से जुड़ी एक कंपनी को कोविड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी पीपीई किट का ठेका दिया और उसके लिए काफी अधिक भुगतान किया।
सिसोदिया ने दावा किया था, 'हिमंत बिस्व सरमा ने अपनी पत्नी की कंपनी को ठेका दिया। उन्होंने पीपीई किट के लिए 990 रुपये का भुगतान किया, जबकि उसी दिन एक अन्य कंपनी से 600 रुपये में खरीदा गया था। यह एक बहुत बड़ा अपराध है।' सिसोदिया ने दावा किया था कि यह साबित करने के लिए उनके पास दस्तावेज हैं।
उन्होंने कहा था कि इस तरह से ठेका देना अपराध है, जबकि कंपनी ने पीपीई किट की आपूर्ति नहीं की। उन्होंने पूछा, 'अगला ठेका 1680 रुपये में दिया गया। क्या बीजेपी बता सकती है कि यह भ्रष्टाचार है या नहीं? बीजेपी इस भ्रष्टाचार पर चुप क्यों है?'
विपक्षी कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले)-लिबरेशन, आरसीपीआई, टीएमसी, रायजोर दल, असम जनता परिषद और आंचलिक गण मोर्चा ने भी कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की मांग की थी।
तब सिसोदिया के आरोपों को हिमंत बिस्व सरमा ने खारिज कर दिया था। उन्होंने एक ट्वीट में कहा था, 'ऐसे समय में जब पूरा देश 100 से अधिक वर्षों में सबसे भीषण महामारी का सामना कर रहा था, असम के पास शायद ही कोई पीपीई किट थी। मेरी पत्नी ने आगे आने और जीवन बचाने के लिए सरकार को लगभग 1500 किट मुफ्त दान करने का साहस किया। उन्होंने एक पैसा भी नहीं लिया।'