सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने की उच्च न्यायालयों के लिए 68 नामों की सिफ़ारिश
देश भर के उच्च न्यायालयों में खाली पदों को भरने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने बड़ा क़दम उठाया है। इसने अदालतों में पदोन्नति के लिए 10 महिलाओं सहित 68 नामों की सिफारिश की है। यह पहला मौका है जब कॉलिजियम ने एक साथ इतने नामों को मंजूरी दी है। इसी कॉलिजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए एक साथ 9 जजों की सिफारिश की थी जिसे सरकार ने भी मंजूरी दे दी। बीते कुछ सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब कॉलिजियम की ओर से भेजे गए सभी नामों को केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया। इन सभी 9 जजों ने 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में शपथ भी ले ली है।
पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के बढ़ते खाली पदों को भरने में केंद्र सरकार की ओर से हो रही देरी पर नाराज़गी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों को मंजूरी देने के वर्षों बाद भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं होने का कारण सरकार का ‘अड़ियल रवैया’ है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी इसलिए अहम थी कि अदालतें लंबित मामलों के भार तले दबती जा रही हैं फिर भी अदालतों में जजों के पद ज़्यादा ही खाली होते जा रहे हैं। यह सिर्फ़ ज़िला अदालतों की स्थिति नहीं है, बल्कि हाई कोर्ट की भी स्थिति है। 2006 में देश भर के उच्च न्यायालयों में जहाँ स्वीकृत 726 पदों में से 154 खाली थे वहीं अब स्वीकृत क़रीब ग्यारह सौ पदों में से क़रीब आधे खाली हैं।
लोकसभा में उठाए गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में माना था कि हाई कोर्ट के जजों के 453 पद खाली पड़े हैं। उच्च न्यायालयों में 1098 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं। न्याय विभाग के अनुसार 1 सितंबर को 465 पद खाली हैं।
इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने नयी नियुक्तियों की सिफ़ारिश की है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कॉलिजियम ने 112 संभावितों की सूची में से नाम चुने।
कॉलिजियम की 25 अगस्त और 1 सितंबर को बैठकें हुईं। समझा जाता है कि कॉलेजियम ने ताजा दौर में जिन 16 नामों पर विचार किया उनमें उन सभी के बारे में अधिक जानकारी मांगी गई है।
कॉलिजियम में सीजेआई के अलावा जस्टिस यू यू ललित और ए एम खानविलकर शामिल थे। कॉलिजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिए 16 नामों की सिफारिश की है, जबकि केरल के लिए 8, कलकत्ता और राजस्थान के लिए 6-6, गौहाटी और झारखंड के लिए 5-5, पंजाब और हरियाणा और मद्रास के लिए 4-4, छत्तीसगढ़ के लिए 2 और मध्य प्रदेश के लिए 1 की सिफ़ारिश की है।
सिफ़ारिश किए गए 68 नामों में से 44 बार के सदस्य हैं और शेष न्यायिक अधिकारी हैं।
बता दें कि जजों के पद खाली होने का असर लंबित मामलों पर भी पड़ा। 2006 में उच्च न्यायालयों में जहाँ क़रीब 35 लाख केस लंबित थे वे बढ़कर अब 57 लाख से ज़्यादा हो गए हैं। ज़िला अदालतों में 2006 में जहाँ 2.56 करोड़ केस लंबित थे वे अब 3.81 करोड़ लंबित हैं।
इसी के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान को कहा था कि सिफारिशों को कॉलेजियम तक पहुँचने में महीनों और साल लगते हैं और उसके बाद महीनों और वर्षों में कॉलेजियम के बाद कोई निर्णय नहीं लिया जाता है। इसलिए उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कम संख्या होगी तो महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी जल्दी निर्णय लेना लगभग असंभव हो जाएगा।