नोटा अव्वल आए तो क्या चुनाव दोबारा नहीं होना चाहिए? SC का EC से सवाल
यदि किसी सीट पर सभी उम्मीदवारों से ज़्यादा वोट नोटा को मिल जाए तो क्यों न दोबारा चुनाव कराया जाए? इसी तर्क को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस पर शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। इसमें उन सीटों पर पुनर्मतदान की मांग की गई है जहां अधिकांश वोट उपरोक्त में से कोई नहीं यानी नोटा को मिले हों।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'यह चुनावी प्रक्रिया के बारे में भी है। आइए देखें चुनाव आयोग क्या कहता है।' सीजेआई के साथ ही न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा वाली इस पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए कोई तारीख बताए बिना चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
शीर्ष अदालत का यह आदेश मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक शिव खेड़ा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया गया। खेड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि यह मामला एक महत्वपूर्ण मुद्दा लाता है। उन्होंने सूरत संसदीय सीट का हालिया उदाहरण देते हुए कहा कि इस पर विचार करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, 'सूरत में हमने देखा कि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था। सभी वोट एक ही उम्मीदवार को गए होंगे।' बता दें कि सूरत में भाजपा उम्मीदवार मैदान में एकमात्र उम्मीदवार थे जो निर्विरोध चुने गए।
याचिका में अदालत से चुनाव आयोग को नोटा को 'काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार' घोषित करने का आदेश देने और दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई है कि यदि नोटा के लिए अधिकतम वोट पड़े तो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
बता दें कि नोटा को वर्ष 2013 में सभी स्तरों- संसद, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों - में चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया गया था। याचिकाकर्ता ने नोटा को राष्ट्रीय स्तर पर 'काल्पनिक उम्मीदवार' बनाने के लिए दो बार चुनाव आयोग से संपर्क किया था।
अधिवक्ता श्वेता मजूमदार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय महाराष्ट्र और हरियाणा के राज्य चुनाव पैनल और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों में नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार बनाने के लिए लिया गया है।
इन चार राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में बनाए गए नियमों में कहा गया है, "यदि किसी चुनाव में सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को व्यक्तिगत रूप से 'काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार' (नोटा) से कम वोट मिलते हैं, तो चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाए और पुनर्मतदान अनिवार्य हो।" याचिका में चुनाव आयोग से इस तरह से नियम बनाने के लिए कहा गया कि अगर नोटा को बहुमत मिलता है, तो उस निर्वाचन क्षेत्र में हुआ चुनाव रद्द घोषित कर दिया जाए और निर्वाचन क्षेत्र में नए सिरे से चुनाव कराया जाए।
इसके अलावा, खेड़ा ने चुनाव आयोग से नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार के रूप में पर्याप्त प्रचार कराने की मांग की। इसमें यह भी नियम बनाने की मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को पांच साल की अवधि के लिए सभी चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए।