सावरकर पर विवाद बढ़ रहा है। आरएसएस और बीजेपी सावरकर को अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन सावरकर का परिवार पुणे कोर्ट में इस बात का विरोध कर रहा है कि कोई भी किसी भी तरह का सबूत अदालत में रखा जाये। हालांकि अब तो मशहूर पत्रकार और आरएसएस खेमे से जुड़े माने जाने वाले अरुण शौरी की नई किताब (द न्यू आइकन) ने सावरकर के तमाम रहस्यों से पर्दा उठा दिया है। लेकिन अब जब मामला आपको सावरकर के बारे में बता रहे हैं, वो अदालत से जुड़ा है और काफी दिलचस्प भी है।
विनायक सावरकर के रिश्तेदार सत्यकी अशोक सावरकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सावरकर की मानहानि का मुकदमा कर रखा है। राहुल गांधी ने एक अर्जी लगाकर कहा कि इस केस को समरी ट्रालय से समन ट्रायल में बदला जाये और सावरकर के संबंध में सारे सबूत अदालत में पेश किये जाए। सत्यकी अशोक ने राहुल गांधी की इस बात का विरोध किया।
यह मामला मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी के चर्चित भाषण से शुरू हुआ है। जिसमें उन्होंने कथित तौर पर विनायक सावरकर के कार्यों के बारे में तमाम टिप्पणियां की थीं। राहुल ने कथित तौर पर सावरकर के लेख का हवाला दिया था, जिसमें सावरकर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया था। एक ऐसी स्थिति जिसे सावरकर ने "सुखद" पाया था यानी हमला करके सावरकर खुश हुए थे।
बार एंड बेंच वेबसाइट के मुताबिक सत्यकी सावरकर ने 2023 में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई, जिसमें राहुल गांधी के दावे का खंडन किया गया और कहा गया कि सावरकर से जुड़ी ऐसी किसी घटना का उनके कार्यों में उल्लेख नहीं है। राहुल ने हाल ही में मानहानि मामले में मुकदमे को समन ट्रायल में बदलने के लिए याचिका दायर की। ताकि वह अपने बयानों के समर्थन में सावरकर से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और विस्तृत सबूत रिकॉर्ड पर ला सकें।
अब सत्यकि अशोक सावरकर ने राहुल गांधी की याचिका पर आपत्ति जताई है। अपने हलफनामे में सावरकर ने गांधी पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर मामले का ध्यान भटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
जवाब में कहा गया है, "आरोपी एक बार फिर जानबूझकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दामोदर सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है। आरोपी ने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मुद्दे उठाए हैं, जो इस मामले के मूल विषय से अप्रासंगिक हैं।"
शपथपत्र में राहुल गांधी के दावे को खारिज किया गया है कि इस मामले में तथ्य और कानून के जटिल सवाल शामिल हैं, और दावा किया गया है कि इस तरह का तर्क योग्यताहीन है। यह दावा निराधार है। उन्होंने कहा कि अदालत किसी भी तरह सावरकर के संबंध में सबूतों को रखने की अनुमति न दे।
सत्यकी अशोक सावरकर ने इस बात पर जोर दिया है कि आरोपी यह निर्देश नहीं दे सकता कि अदालत को किस तरह से मुकदमा चलाना चाहिए। सावरकर के वकील ने मामले को बिना किसी देरी के तुरंत आगे बढ़ने देने के महत्व पर भी जोर दिया। अपने जवाब में, सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी की उन टिप्पणियों को याद दिलाया जो उन्होंने समय-समय पर सावरकर पर की हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि किस तरह राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सजा हो चुकी है।
सावरकर के जवाब में गांधी द्वारा अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों के इस्तेमाल को भी चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के तर्क केवल मुकदमे में देरी करने की एक रणनीति है। जवाब में कहा गया है, "इस भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है, और इस तरह का तर्क केवल मामले को लंबा खींचने की एक रणनीति है।"
सावरकर ने राहुल गांधी की अपनी टिप्पणियों को सही ठहराने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों के इस्तेमाल को भी चुनौती दी गई है। जिसमें कहा गया है कि इस तरह के तर्क केवल मुकदमे में देरी करने की एक रणनीति है। जवाब में कहा गया है, "इस भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है, और इस तरह का तर्क केवल मामले को लंबा खींचने की एक रणनीति है।"
सावरकर के वकील ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह मुकदमे की प्रकृति बदलने के लिए गांधी के आवेदन को खारिज कर दे और मामले को उसके प्रारंभिक चरणों से आगे बढ़ने दे। पुणे की अदालत मानहानि मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को करेगी।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)