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शशिकला के जेल से रिहा होने पर क्या एआईएडीएमके में छिड़ेगी रार?

शशिकला के जेल से रिहा होने पर क्या एआईएडीएमके में छिड़ेगी रार?

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले एआईएडीएमके नेता शशिकला की रिहाई की चर्चा से राज्य में राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं।

तमिलनाडु में इन दिनों शशिकला को लेकर चर्चा ज़ोरों पर है। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा है कि शशिकला जल्द ही जेल से रिहा होंगी। जेल से बाहर आते ही वह फिर से राजनीति में सक्रिय होंगी।

234 सीटों वाली तमिलनाडु विधानसभा के लिए मई 2021 में चुनाव होने हैं। चूँकि चुनाव के लिए अब नौ महीने से भी कम समय बचा है, हर तरफ़ माहौल राजनीतिक होता जा रहा है। सभी पार्टियाँ और नेता विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। 

लेकिन एक अफ़वाह ने तमिलनाडु के राजनीतिक माहौल को काफ़ी प्रभावित किया है। और यह अफ़वाह शशिकला की जेल से रिहाई को लेकर है। पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता जयललिता की क़रीबी रहीं शशिकला इन दिनों राजनीतिक चर्चा का मुख्य केंद्र बनी हुई हैं। वह इस समय बेंगलुरु की एक जेल में हैं। भ्रष्टाचार के एक मामले में वह सज़ा काट रही हैं। आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर शशिकला को चार साल के कारावास की सज़ा हुई थी। कोर्ट के आदेश के बाद शशिकला ने 15 फ़रवरी, 2017 को सरेंडर कर दिया था। उनकी सज़ा फ़रवरी, 2021 में पूरी हो जाएगी। लेकिन, शशिकला के वकीलों का दावा है कि जेल में अच्छे आचरण की वजह से शशिकला इससे पहले ही रिहा हो जाएँगी।

सूत्रों का कहना है कि शशिकला की रिहाई को लेकर तरह-तरह की शर्तें लगाई जा रही हैं। सट्टा बाज़ार में भी इसी सवाल को लेकर दाँव लगाए जा रहे हैं कि शशिकला कब रिहा होंगी। 

ग़ौर करने वाली बात है कि एक समय तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला की तूती बोलती थी। वह मुख्यमंत्री जयललिता की सबसे क़रीबी रहीं और कई राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, अन्ना डीएमके पार्टी और सरकार के सभी बड़े फ़ैसलों में शशिकला की काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वैसे शशिकला कभी सीधे सत्ता में नहीं रहीं, लेकिन जब भी जयललिता मुख्यमंत्री रहीं, शशिकला के हाथ में सत्ता रही। शशिकला और उनके परिवारवालों पर सत्ता का दुरुपयोग कर करोड़ों की संपत्ति ऐंठने के आरोप लगे। भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने फ़ैसला पलट दिया और शशिकला को दोषी क़रार दिया। 

शशिकला की बढ़ती मनमानी की वजह से एक समय जयललिता ने उन्हें ख़ुद से दूर कर दिया था। पार्टी से भी बेदखल कर दिया था। लेकिन बाद में दोनों में सुलह हो गई। 

2017 में जयललिता की मौत के बाद शशिकला ने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की थी। वह जयललिता की जगह अन्ना डीएमके यानी एआईएडीएमके पार्टी की महासचिव भी बन गई थीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले की वजह से उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया था।

अब शशिकला की जेल से रिहाई की ख़बरों की वजह से तमिलनाडु की राजनीति अचानक गरमा गई है। अगर शशिकला समय से पहले रिहा नहीं भी होती हैं तब भी वह चुनाव से ऐन पहले रिहा होंगी। ऐसे में सवाल यही है कि क्या एआईएडीएमके के नेता शशिकला को वापस पार्टी में शामिल करेंगे

अगर शामिल करेंगे तो चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी अगर अन्ना डीएमके शशिकला को नहीं अपनाती हैं तब शशिकला क्या करेंगी क्या वह अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरन की पार्टी में शामिल होंगी। क्या वाक़ई शशिकला तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और अपनी राजनीतिक सूझबूझ से दुबारा सत्ता अपने हाथ में ले सकती हैं। यही वे सवाल हैं जिनको लेकर इन दिनों तमिलनाडु में चर्चा ज़ोरों पर हैं।

तमिलनाडु की राजनीति के जानकार बताते हैं कि शशिकला चुनावी रणनीतियाँ बनाने में माहिर हैं। जयललिता के समय उम्मीदवारों के चयन में शशिकला की भूमिका हमेशा बड़ी रही।

जानकार यह भी कहते हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री पलानीसामी और उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेलवम दोनों शशिकला की अन्ना डीएमके में  वापसी के सख़्त ख़िलाफ़ हैं। एक समय शशिकला के वफ़ादार रहे मुख्यमंत्री पलानीसामी को डर है कि अगर शशिकला को पार्टी में शामिल किया जाता है, तब वह दुबारा सत्ता अपने हाथ में ले लेंगी और अपनी मनमानी करेंगी। पार्टी पर एक बार फिर शशिकला और उनके परिवारवालों का कब्जा होगा। पन्नीरसेलवम की शशिकला से दुश्मनी जगजाहिर है। जयललिता की मौत के बाद पन्नीरसेलवम मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुछ दिनों बाद शशिकला ने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की और पन्नीरसेलवम को हटा दिया। लेकिन इसी बीच उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले की वजह से शशिकला को जेल जाना पड़ा और उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया। 

एक बात तय है। शशिकला अगर किसी को सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुँचा सकती हैं, तो वह है अन्ना डीएमके। इस पार्टी के ज़्यादातर नेताओं के बारे में शशिकला अच्छे से जानती हैं और वह पार्टी तोड़ने का दमखम भी रखती हैं। अगर अन्ना डीएमके टूटती है तो इसका सीधा फ़ायदा स्टालिन की डीएमके को होगा।

वैसे, इस चुनाव में सुपरस्टार रजनीकान्त, कमल हासन, विजयकान्त, विजय जैसे फ़िल्मी सितारों का भी बोलबाला रहेगा लेकिन शशिकला का असर सिर्फ़ अन्ना डीएमके के राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की कोशिश रहेगी कि शशिकला को अन्ना डीएमके को नुक़सान पहुँचाने से रोका जाए। सूत्र यह भी बताते हैं कि बीजेपी ने अपने दूत भिजवाकर शशिकला को अन्ना डीएमके के मामले में दखल ने देने और नुक़सान पहुँचाने की कोई कोशिश न करने का संदेश भिजवाया है।

सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जेल से रिहा होने के बाद शशिकला क्या करेंगी। राजनीति करेंगी या चुप रहेंगी। चूँकि पिछले तीन दशकों से राजनीति में रही हैं, ज़्यादातर जानकार मानते हैं कि शशिकला को राजनीति करने से रोकना आसान नहीं है। चूँकि सजायाफ्ता होने की वजह से वह चुनाव लड़ने की हकदार नहीं हैं, लेकिन चुनाव के परिणामों को प्रभावित करने का माद्दा उनमें है।

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