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मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा नहीं रहे

मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा नहीं रहे

संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा को पूरा देश दे रहा है श्रद्धांजलि। जानिए, क्यों संतूर वादन को नयी ऊँचाई पर ले जाने के लिए उन्हें जाना जाता है।

प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का आज मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। वह पिछले छह महीने से किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। 

शिवकुमार शर्मा भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से थे। एक पारिवारिक सूत्र ने पीटीआई को बताया, 'सुबह उन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा... वह सक्रिय थे और अगले सप्ताह भोपाल में प्रदर्शन करने वाले थे। वह नियमित रूप से डायलिसिस पर थे, लेकिन फिर भी सक्रिय थे।' उनके परिवार में पत्नी मनोरमा और बेटे राहुल और रोहित हैं।

शर्मा के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि संदेश में लिखा, 'पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया दीन हो गई है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संतूर को लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ मेरी बातचीत याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शोक संदेश में कहा, 'पं. शिव कुमार शर्मा के निधन की खबर स्तब्ध करने वाली है। उन्होंने संतूर और भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पं शर्मा एक महान कलाकार, गुरु, शोधकर्ता, विचारक और सबसे बढ़कर एक दयालु इंसान थे। पंडित शिव कुमार शर्मा ने कई शिष्यों का मार्गदर्शन किया और अपने विविध योगदानों से संगीत की दुनिया को समृद्ध किया। मैं पंडित शिव कुमार शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और पं राहुल शर्मा और शोक संतप्त परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।'

पंडित शिवकुमार शर्मा को संतूर वादन को नयी ऊँचाई पर ले जाने के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि संतूर कभी जम्मू-कश्मीर तक सीमित वाद्य था, लेकिन पंडित शर्मा ने इसे एक शास्त्रीय का दर्जा दिलाया और इसे अन्य पारंपरिक और प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों जैसे सितार और सरोद के साथ ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।

उन्होंने सिलसिला, लम्हे और चांदनी जैसी फ़िल्मों के लिए बांसुरी के दिग्गज पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ संगीत भी तैयार किया।

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