महाराष्ट्र कांग्रेस में विद्रोह, संजय निरुपम नहीं करेंगे प्रचार
महाराष्ट्र कांग्रेस का अंतरकलह फूट कर सामने आ गया है। संजय निरुपम ने ख़ुद को विधानसभा चुनाव प्रचार से अलग करते हुए कहा है कि वह चुनाव प्रचार में भाग नहीं लेंगे क्योंकि पार्टी को उनकी ज़रूरत नहीं है। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने पार्टी तो नहीं छोड़ी है, पर यह मुमकिन है कि वह जल्द ही पार्टी भी छोड़ दें। निरुपम की इस घोषणा को खुला विद्रोह माना जा सकता है। राज्य कांग्रेस में यह संकट ऐसे समय आया है जब चुनाव सिर पर है और पार्टी के बहुत से लोगों ने शिवसेना-बीजेपी गठजोड़ का दामन थाम लिया है।
संजय निरुपम ने ट्वीट किया, 'ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी को मेरी सेवाओं की ज़रूरत नहीं रही। मैंने विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ़ एक नाम की सिफ़ारिश की थी। सुनने में आया है कि वह भी नामंजूर कर दिया गया है। जैसा कि मैंने पार्टी नेतृत्व को पहले ही बता दिया था, मै चुनाव प्रचार में भाग नहीं लूँगा।'
It seems Congress Party doesn’t want my services anymore. I had recommended just one name in Mumbai for Assembly election. Heard that even that has been rejected.
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 3, 2019
As I had told the leadership earlier,in that case I will not participate in poll campaign.
Its my final decision.
निरुपम ने तक़रीबन 14 साल पहले शिवसेना छोड़ दी थी और कांग्रेस में आ गए थे। लेकिन बीते कुछ समय से पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं से उनकी नहीं बन रही थी। वह इसके पहले कई मुद्दों पर मिलिंद देवड़ा और प्रिया दत्त से भिड़ चुके हैं। बिहारी मूल का यह नेता महाराष्ट्र कांग्रेस का प्रमुख 2015 से ही है। उन्होंने 2014 में मुंबई उत्तर से लोकसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे।
महाराष्ट्र कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई बीते महीने भी खुल कर सामने आ गई थी, जब उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया था और कहा था कि वह पार्टी के 'निहित स्वार्थी तत्वों' की वजह से कांग्रेस छोड़ रही हैं।
निराशा का माहौल
कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) महागठबंधन में निराशा छाई हुई है। महाराष्ट्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार उसे केवल 1 ही सीट मिली है। एनसीपी को इस बार सिर्फ़ 4 लोकसभा सीटों पर जीत मिली है। पार्टी की ख़राब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी चुनाव हार गए थे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे राधाकृष्णन विखे पाटिल और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा एनसीपी के भी कई वरिष्ठ नेता उसे छोड़ चुके हैं।
कांग्रेस और एनसीपी के बीच महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर बंटवारा हो गया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि कांग्रेस और एनसीपी 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। समझौते के मुताबिक़, 38 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। लेकिन इन दलों में जिस तरह की भगदड़ मची है और मुंबई कांग्रेस में जो घमासान की ख़बरें आम हुई हैं, उससे इनके लिए बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को टक्कर देना बेहद मुश्किल साबित दिख रहा है।