सम्राट मिहिर भोज पर योगी ने गुर्जरों को नाराज़ किया?
सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जरों और राजपूतों के बीच जारी विवाद में बीजेपी फंसती हुई नज़र आ रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा ग्रेटर नोएडा के दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण करने के बाद से माहौल और गरमा गया है। गुर्जरों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को निशाने पर ले लिया है। उन्होंने बीजेपी के बहिष्कार का भी ऐलान किया है। मौक़ा पाकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने भी गुर्जरों के समर्थन वाले बयान देकर दांव चल दिया है और योगी आदित्यनाथ को घेरा है।
मामला क्या है ?
दरअसल, 22 सितंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दादरी के मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया । लेकिन अनावरण से पहले शिलापट्ट पर लिखे 'गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज' पर 'गुर्जर' शब्द पर किसी ने कालिख पोत दी।
इससे पहले पोस्टरों और बैनरों से भी गुर्जर शब्द हटाया गया। जिसके बाद गुर्जर समाज इसके विरोध में उतर आया। गुर्जरों ने सड़क पर लगे पोस्टरों और बैनरों को फाड़ दिया। आक्रोशित भीड़ ने जमकर हंगामा किया और दादरी विधायक तेजपाल नागर के खिलाफ भी नारेबाजी की।
गुर्जरों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने राजपूतों के विरोध के कारण प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटवा दिया। जोकि गुर्जरों के इतिहास के साथ खिलवाड़ है। इसी के विरोध में दादरी में गुर्जरों ने महापंचायत बुलाई।
इस विवाद पर राजपूत और गुर्जर आमने सामने हैं। राजपूतों की ओर से 'करनी सेना' का कहना है कि सम्राट मिहिर भोज 'क्षत्रिय' थे, इसलिए उन्हें सिर्फ 'गुर्जर' जाति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। प्रतिमा के अनावरण से पहले राजपूतों ने भी ऐलान किया था कि अगर सम्राट मिहिर भोज के सामने गुर्जर लिखा गया तो वो देशभर में बीजेपी का बहिष्कार करेंगे।
महापंचायत पर प्रशासन का एक्शन
सम्राट मिहिर भोज के सामने से गुर्जर शब्द हटाने के बाद गुस्साए गुर्जरों ने 26 सितंबर को दादरी के मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में महापंचायत बुलाई । हालांकि प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद गुर्जर समाज के लोगों ने दादरी के चिटहेड़ा गांव स्थित शिवमंदिर में महापंचायत की। महापंचायत को लेकर पहले से तैयार पुलिस प्रशासन ने इसपर बड़ा एक्शन ले लिया।पुलिस ने बिना अनुमति के महापंचायत करने, धारा 144 का उल्लंघन करने और कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में करीब 1000 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया। और करीब 350 लोगों को अरेस्ट भी किया जिन्हें देर रात को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
महापंचायत: गुर्जर समाज के बीजेपी नेता भी पहुंचे
इस महापंचायत में भाग लेने के लिए मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना भी पहुंचे थे। बाद में पुलिस ने उनको हिरासत में भी लिया और कुछ देर बाद रिहा भी कर दिया। इसके अलावा मेरठ के बीजेपी नेता मुखिया गुर्जर ने भी पहुंचकर बग़ावत का ऐलान किया।विधायक भड़ाना ने कहा -
“
मैं गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करता हूं और महापंचायत में जाकर अपनी बात रखना चाहता था। लेकिन पुलिस प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार हमारा दमन कर रही है और हमारी आवाज को दबाना चाहती है। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
अवतार सिंह भड़ाना, विधायक
मुखिया गुर्जर ने कहा गुर्जरों के साथ ऐसा बर्ताव हो रहा जैसे आतंकवादियों के साथ होता है। देशभर से गुर्जर दादरी आ रहे थे लेकिन पुलिस ने उनको तितर बितर किया है।
मुखिया गुर्जर ने योगी आदित्यनाथ सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा-
“
सम्राट मिहिर भोज के नाम से गुर्जर शब्द हटाकर गुर्जरों का अपमान किया गया है। जब तक सरकार इस अपमान के लिए माफी नहीं मांगती और वापस से सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर शब्द नहीं लिखती तब तक गुर्जर चैन से नहीं बैठेंगे।
मुखिया गुर्जर
महापंचायत : माफी नहीं मांगी तो बहिष्कार
महापंचायत में गुर्जर समाज ने कहा कि एक सप्ताह में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर और विधायक तेजपाल नागर समाज से माफी मांगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ गुर्जर समाज यात्रा निकलेगा। साथ ही बीजेपी के नेताओं का बहिष्कार किया जाएगा। गुर्जर अपने समाज से ही आने वाले क्षेत्रीय विधायक तेजपाल नागर और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर से भी नाराज़ है और उनके भी सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी है।अखिलेश और मायावती ने भी चला दांव
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने भी गुर्जरों के गुस्से को भुनाने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है-ये इतिहास में पढ़ाया जाता रहा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे पर भाजपाइयों ने उनकी जाति ही बदल दी है। निंदनीय!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 26, 2021
छलवश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जान-बूझकर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन करके किसी एक पक्ष को अपनी तरफ़ करती रही है।
हम हर समाज के मान-सम्मान के साथ हैं! pic.twitter.com/Zw9ifKpDg5
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने भी कहा कि 22 सितम्बर 2021 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की दादरी में यू.पी. सरकार द्वारा लगाई गई प्रतिमा का मा. मुख्यमंत्री ने गुर्जर शब्द के हटी हुई स्थिति में जो उसका अनावरण किया है उससे गुर्जर समाज की भावनाओं को जबरदस्त ठेस पहुँची है तथा वे काफी दुःखी व आहत हैं।
1. अभी हाल ही में दिनांक 22 सितम्बर 2021 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की दादरी में यू.पी. सरकार द्वारा लगाई गई प्रतिमा का मा. मुख्यमंत्री ने गुर्जर शब्द के हटी हुई स्थिति में जो उसका अनावरण किया है उससे गुर्जर समाज की भावनाओं को जबरदस्त ठेस पहुँची है तथा वे काफी दुःखी व आहत हैं।
— Mayawati (@Mayawati) September 26, 2021
मायावती ने कहा -
“
गुर्जर समाज के इतिहास के साथ ऐसी छेड़छाड़ करना अति-निन्दनीय तथा सरकार इसके लिए माफी माँगे व साथ ही प्रतिमा में इस शब्द को तुरन्त जुड़वाये, बी.एस.पी. की यह माँग।
मायावती, पूर्व मुख्यमंत्री
योगी के भाषण पर भी गुस्साए गुर्जर
22 सितंबर को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान योगी आदित्यनाथ ने जो भाषण दिया गुर्जर समाज उससे भी गुस्साया हुआ है। उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने एक बार भी सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर नहीं कहा।गुर्जरों का कहना है जिसने दशकों तक शासन किया उसके सामने गुर्जर नहीं लगाया और बार-बार पन्ना धाय का ही ज़िक्र किया। बता दें, पन्ना धाय मेवाड़ राजकुल में राणा सांगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। उनको उनके बलिदान के लिए जाना जाता है। उनका वास्तविक नाम पन्ना गूजरी था।
सत्य हिंदी ने जब गुर्जर समाज के लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि वो सम्राट मिहिर भोज के नाम से गुर्जर शब्द हटाने का विरोध करते हैं। ये उनके समाज का अपमान है।
गुर्जर देवसेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनील गुर्जर ने कहा कि हमारा समाज बीजेपी के साथ रहा है। लेकिन अगर हमारे समाज का ऐसे अपमान किया जाएगा तो हम उनका बहिष्कार करेंगे। इस मामले में समाज एकजुट है।
बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं!
चुनाव से ठीक पहले इस विवाद से बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। क्योंकि बीजेपी किसान आंदोलन और जाटों की नाराज़गी का पहले से ही सामना कर रही है और गुर्जरों की नाराज़गी से पश्चिम उत्तर प्रदेश में उसको खासा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जर दोनों ही चुनावी राजनीति को सीधे प्रभावित करते हैं। जाटों की नाराज़गी से परेशान बीजेपी को गुर्जरों को छिटकने देना भारी पड़ सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के बाद जाट, गुर्जर मतदाता राजनीति को प्रभावित करते हैं।
गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, संभल, मेरठ, सहारनपुर, कैराना जिले की करीब दो दर्जन से अधिक सीटों पर गुर्जर समुदाय निर्णायक भूमिका में है।