समीर वानखेड़े के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज, बार लाइसेंस मामला
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मुंबई के पूर्व ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वानखेड़े के ख़िलाफ़ ठाणे के कोपरी पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी, जालसाजी जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। वानखेड़े के ख़िलाफ़ यह मामला ठाणे स्थित होटल और बार के लाइसेंस को हासिल करने के लिए ग़लत और फर्जी दस्तावेज देने के एवज में दर्ज किया गया है।
कुछ दिन पहले ही ठाणे के कलेक्टर ने एक्साइज विभाग से मिली सहमति के बाद समीर वानखेड़े के सदगुरु होटल और बार के लाइसेंस को रद्द कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार की जाँच में सामने आया था कि समीर वानखेड़े ने 18 साल से कम उम्र में ही होटल और बार का लाइसेंस ग़लत जानकारी के आधार पर लिया था।
ठाणे पुलिस का कहना है कि एक्साइज विभाग ने वानखेड़े के ख़िलाफ़ फर्जीवाड़े की शिकायत की थी जिसके आधार पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। ठाणे पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बहुत जल्द इस मामले में पुलिस समीर वानखेड़े से पूछताछ कर सकती है।
ठाणे के पुलिस कमिश्नर जयजीत सिंह का कहना है कि समीर वानखेड़े के नाम पर 27 अक्टूबर 1997 को एक्साइज डिपार्टमेंट ने होटल और बार का लाइसेंस जारी किया था लेकिन वानखेड़े ने ग़लत दस्तावेज पेश करके यह लाइसेंस हासिल किया था। जांच में यह बात सामने आई है कि जिस समय समीर वानखेड़े को बार का यह लाइसेंस जारी किया गया था उस समय समीर वानखेड़े की उम्र 18 साल से कम थी। जबकि बार के लाइसेंस को हासिल करने के लिए 21 साल उम्र होनी ज़रूरी होती है।
समीर वानखेड़े के बार के लाइसेंस को लेकर सबसे पहले महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने सवाल उठाए थे।
राज्य आबकारी विभाग के एसपी नीलेश सांगड़े का कहना है कि उन्होंने समीर वानखेड़े से इस बार से संबंधित सभी कागजात 7 दिनों के अंदर पेश करने के लिए कहा था लेकिन वानखेड़े अपनी उम्र का वह दस्तावेज पेश नहीं कर पाए जिस दस्तावेज को उन्होंने इस बार को हासिल करते वक्त आबकारी विभाग को दिया था।
आबकारी विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिस समय समीर वानखेड़े को यह लाइसेंस जारी किया गया था उस समय उनकी उम्र 17 साल 10 माह थी। जबकि लाइसेंस के लिए उम्र 21 साल होनी चाहिए।
समीर वानखेड़े भारतीय राजस्व विभाग के अधिकारी हैं। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार क़ानूनी सलाह भी ले रही है जिससे वानखेड़े के ऊपर कार्रवाई करने में कोई व्यवधान ना हो सके। क़ानून के जानकार मानते हैं कि अगर कोई भी व्यक्ति ग़लत दस्तावेज देकर किसी सरकारी योजना का लाभ उठाता है तो उस पर सरकार ना केवल धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर सकती है बल्कि उसे सलाखों के पीछे भी भेज सकती है।
यह पहला मामला नहीं है जब समीर वानखेड़े पर कोई आरोप लगा हो। इससे पहले भी समीर वानखेड़े पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किए गए शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान मामले में भी समीर वानखेड़े ने किरण गोसावी के ज़रिए आर्यन ख़ान को ड्रग्स केस में छोड़ने के लिए 25 करोड़ की डिमांड की थी। आरोप लगाया गया था कि आख़िर में 18 करोड़ में डील फाइनल हुई थी, जिसमें से 8 करोड रुपए समीर वानखेड़े को मिलने वाले थे। हालाँकि इस मामले की जांच मुंबई पुलिस ने की थी लेकिन इस जांच में अभी तक कुछ साफ़ नहीं हो पाया है।