सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को उम्रक़ैद
कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में दोषी क़रार देते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है। उन्हें 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करना होगा। यह फ़ैसला मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद के शपथ लेने के चंद मिनट पहले आया। कुछ सिख संगठनोें ने कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने का विरोध किया था। उनका कहना है कि कमलनाथ पर भी दंगोें में शामिल होने का आरोप है, हालांकि उन्हें कभी अभियुक्त नहीं बनाया गया। दिल्ली हाई कोर्ट के दो सदस्यों के खंडपीठ ने फ़ैसला सुनाते हुए सज्जन कुमार को उम्रक़ैद की सज़ा दी है। इस खंडपीठ में जस्टिस एस मुरलीधर और विनीत कुमार हैं। दंगों के 34 साल बाद यह फ़ैसला आया है। सज्जन कुमार के आलावा कैप्टन भागमल, बलवान खोखर और गिरधारी लाल को भी उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है। इसके अलावा किशन खोखर और महेंदर यादव को दस-दस साल के क़ैद की सज़ा दी गई है। खंडपीठ ने फ़ैसले में कहा,’साल 1984 के दंगे मानवता के ख़िलाफ़ अपराध थे। यह ज़रूरी है कि इसके शिकार हुए लोगों को न्याय मिले।’साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देश के कई इलाक़ों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। दिल्ली में ये दंगे ज़्यादा भयानक थे।
#UPDATE 1984 anti-Sikh riots: Besides Congress' Sajjan Kumar, Captain Bhagmal, Girdhari Lal and former Congress councillor Balwan Khokhar have been sentenced to life imprisonment. Kishan Khokkar and former legislator Mahender Yadav have been sentenced to 10 years in prison.
— ANI (@ANI) December 17, 2018
सज्जन कुमार और दूसरे पाँच लोगों को दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषी पाया है। इन लोगों पर पाँच सिखों, गुरप्रीत सिंह, केहर सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंदर पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या में शामिल होने का आरोप था। एक उत्तेजित भीड़ ने इन पाँचोें की हत्या कर दी थी।साल 2013 में एक अदालत ने दूसरे पाँच लोगों को दो दोषी पाया था, पर सज्जन कुमार को निर्दोष बताया था। उसके बाद केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ हाई कोर्ट में अपील की और मामले को आगे बढ़ाया। फ़ैसला आने के बाद निरलेप कौर फूट फूट कर रो पड़ीं। उनके पिता को दंगों के दौरान जिंदा जला दिया गया था। उन्होंने सज़ा सुनाने के लिए अदालत को धन्यवाद कहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'मारे गए लोगोें के परिजनों को बहुत ही लंबा और दर्दनाक इंतज़ार करना पड़ा। किसी भी दंगे में शामिल किसी भी आदमी को बच कर नहीं निकलने देना चाहिए, वह कितना भी ताक़तवर क्यों न हो।'
टाइटलर को सज़ा देने की माँग
शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने अदालत को धन्यवाद कहा है। उन्होंनें ट्वीट किया, 'हमारे साथ न्याय करने के लिए हम अदालत को धन्यवाद कहते हैं। हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को मौत की सज़ा नहीं दी जाती और गाँधी परिवार को अदालत तक घसीट कर नहीं लाया जाता है।'Manjinder Singh Sirsa, Shiromani Akali Dal on conviction of Sajjan Kumar in 1984 anti-Sikh riots case: We thank the court for giving us justice. Our fight will continue till Sajjan Kumar & Jagdish Tytler get a death sentence & Gandhi family is dragged to the court & put in jail. pic.twitter.com/TtfEXn4Qiz
— ANI (@ANI) December 17, 2018
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फ़ैसले को देर से ही सही, न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस और गाँधी परिवार को 1984 के दंगों के पापों की क़ीमत चुकानी पड़ेगी।' उन्होंने ट्वीट किया, 'कांग्रेस ने 1984 के दंगों के न्याय को दफ़ना दिया था। एनडीए ने न्याय और दायित्व को फिर से स्थापित किया।'
Justice for the victims of 1984 was buried by the Congress – the NDA restored fairness and accountability.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 17, 2018
पंजाब के पूर्व उप-मख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा, '1984 के दंगों में सिखों को निशाना बनाने और उनका क़त्लेआम करने की साजिश का पर्दाफाश गाँधी परिवार के दाहिने हाथ सज्जन कुमार को सज़ा देने के साथ ही हो गया।' कांग्रेस नेता कपिल सिबल ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा, 'हमने सज्जन कुमार को चुनाव में टिकट नहीं दिया, वे पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं।' भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने इस सज़ा पर अपने दल को श्रेय देते हुए कहा, 'यह गृहमंत्री राजनाथ सिंह की कोशिशों का ही नतीजा है। पहले की सरकार की ओर से जानबूझ कर बंद कराए गए मामले को उन्होंनें फिर से खुलवाया।'पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक दूसरे मामले में यशपाल सिंह नामक आदमी को दो लोगों की हत्या का दोषी क़रार देते हुए उसे मौत की सज़ा सुनाई थी। इन दंगों में इसी एक आदमी को मौत की सज़ा सुनाई गई है।