संत रविदास जयंती पर दलित मतदाताओं को लुभाने की कोशिश क्यों?
आज संत रविदास जयंती है। एक पवित्र दिन। इसी दिन महान संत रविदास का जन्म हुआ था। वह ऐसे महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को आत्मज्ञान, एकता, भाईचारा का संदेश दिया। इसी भावना से देशवासी जयंती मना रहे हैं। लेकिन इस बीच चुनाव होने से नेताओं में भी इस जयंती को लेकर ग़जब का उत्साह है! इसको लेकर राजनेताओं में गजब की आत्मीयता भी दिख रही है।
कहीं नेता मत्था टेक रहे हैं, कीर्तन गा रहे हैं तो कहीं लंगर और कहीं सैकड़ों किलोमीटर दूर यात्रा कर शिरोमणि गुरु रविदास जनम स्थान मंदिर में पहुँच रहे हैं। और ट्विटर पर तो ये नेता जयंती मनाने को बढ़चढ़ कर दिखा भी रहे हैं। रविदास जयंती पर नेताओं की दिलचस्पी आज इतनी क्यों है?
इसकी सबसे ख़ास वजह तो पंजाब और यूपी जैसे राज्यों में चुनाव है। पंजाब में दलित काफी संख्या में हैं। जहाँ आबादी सिख दलित और हिंदू दलितों के बीच बंटी हुई है वहीं सिख हिंदू दलितों के बीच भी कई समाज हैं जो अपनी अलग अलग विचारधारा रखते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में दलितों की आबादी क़रीब 32% है। इसमें से 19.4% दलित सिख हैं और 12.4% हिंदू दलित हैं। वहीं कुल दलित आबादी में से क़रीब 26.33% मजहबी सिख, 20.7% रविदासी और रामदासी हैं, आधी धर्मियों की आबादी 10% है और 8.6% वाल्मीकी समाज से हैं।
जब रविदास जयंती के दिन ही पंजाब में चुनाव हो गया था तो एक के बाद एक सभी दलों ने तारीख़ बदलने की मांग की थी। इस मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ 14 फ़रवरी से आगे बढ़ाकर 20 फरवरी कर दी है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, बीजेपी, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि गुरु रविदास जयंती को देखते हुए मतदान की तिथि आगे बढ़ा दी जाए क्योंकि गुरु रविदास जयंती पर पंजाब से बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाराणसी जाते हैं और इससे वे लोग वोट डालने से वंचित रह सकते हैं।
यूपी में दलित
देश की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले यूपी में दलित वोटरों का प्रतिशत क़रीब 21.1 है। यह जाटव और गैर जाटव दलित में बंटा हुआ है। जाटव दलित 11.70 प्रतिशत हैं। 3.3 प्रतिशत पासी हैं। कोरी, बाल्मीकी 3.15 प्रतिशत हैं। धानुक, गोंड और खटीक 1.05 प्रतिशत हैं और अन्य दलित जातियां भी 1.57% हैं। यूपी में कुल 403 सीटों में से 84 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटें हैं। हालाँकि माना जाता है कि राज्य में क़रीब 300 सीटों पर दलित निर्णायक स्थिति में हैं।
तो क्या यही वजह है कि चुनावों में दलितों को लुभाने के लिए काफ़ी लंबे समय से राजनीतिक दल कसरत कर रहे हैं? कोई दलित के घर खाना खा रहा था तो कोई दलित को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करता रहा है?
बहरहाल, रविदास जयंती पर नेताओं ने क्या-क्या किया और वे किस रूप में पेश आए, इसे उन्होंने खुद ट्विटर पर साझा किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं और लिखा है कि दिल्ली में श्री गुरु रविदास विश्राम दाम मंदिर में खास पल...।
Very special moments at the Shri Guru Ravidas Vishram Dham Mandir in Delhi. pic.twitter.com/PM2k0LxpBg
— Narendra Modi (@narendramodi) February 16, 2022
राहुल गांधी ने भी एक के बाद एक कई ट्वीट कर संत रविदास जी के एकता और भाईचारे के संदेश को याद किया है। वह संत रविदास मंदिर में गए और लंगर में भाग लिया।
सब के साथ स्नेह का लंगर! https://t.co/gIBYVWbevt
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 16, 2022
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी आज यूपी के वाराणसी में संत शिरोमणि गुरु रविदास जनम स्थान मंदिर में पहुँचे। उन्होंने संत रविदास के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया।
On the occasion of Sri Guru Ravidas Jayanti, paid obeisance at Sant Shiromani Guru Ravidas Janam Asthan mandir in Varanasi. Let us imbibe his teachings of love, compassion, mutual tolerance and oneness of mankind. pic.twitter.com/Ibkv6taocI
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) February 16, 2022
आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट किया।
सन्त श्री गुरु रविदास जी महाराज जी की जयंती के अवसर पर दिल्ली सरकार ने बुधवार 16 फ़रवरी को सरकारी छुट्टी का एलान किया है। महाराज जी के चरणों में मेरा कोटि कोटि नमन।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 15, 2022
योगी आदित्यनाथ ने भी कई ट्वीट किए और लिखा, 'प्रेम, एकता, सौहार्द और सामाजिक समरसता जैसे मानवीय मूल्यों एवं विचारों के आलोक से मानव समाज को दीप्त करने वाले संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की जन्मस्थली 'सीर गोवर्धन' में आयोजित लंगर में प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला...'।
प्रेम, एकता, सौहार्द और सामाजिक समरसता जैसे मानवीय मूल्यों एवं विचारों के आलोक से मानव समाज को दीप्त करने वाले संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की जन्मस्थली 'सीर गोवर्धन' में आयोजित लंगर में प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला... pic.twitter.com/xlppm2rpEh
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 16, 2022
मायावती ने ट्वीट किया है, 'सामाजिक परिवर्तन के संतों की परम्परा में जाने-माने संतगुरु रविदास जीे जाति-भेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे। ऐसे संतगुरु के उपदेशों के मुताबिक सरकारें अगर मन चंगा करके काम करेंगी तभी लोगों का सही से भला होगा...'।
2. सामाजिक परिवर्तन के संतों की परम्परा में जाने-माने संतगुरु रविदास जीे जाति-भेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे। ऐसे संतगुरु के उपदेशों के मुताबिक सरकारें अगर मन चंगा करके काम करेंगी तभी लोगों का सही से भला होगा तथा देश में विकास की गंगा आमजन को ज़रूर तृप्त करेेेगी।
— Mayawati (@Mayawati) February 16, 2022
अखिलेश यादव ने लिखा, 'संत रविदास जी का जीवन व उनके आदर्श सदियों तक मानव समाज को करुणा व कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।'
मन चंगा तो कठौती में गंगा...
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 16, 2022
संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती के अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें। संत रविदास जी का जीवन व उनके आदर्श सदियों तक मानव समाज को करुणा व कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। pic.twitter.com/SItYoyoEBy