साध्वी प्रज्ञा का यू-टर्न, हेमंत करकरे पर दिया बयान वापस लिया
मुंबई हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए हेमंत करकरे पर दिए गए विवादास्पद बयान को बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने वापस ले लिया है। उन्होंने गुरुवार की शाम कहा कि उनके बयान से विरोधी मजबूत हो रहे हैं, इसलिए वे अपना बयान वापस ले रही हैं।
उन्होंने कहा, 'अगर किसी ने हमको प्रताड़ित किया तो हमने उसे कुछ कह दिया। यह बिल्कुल हमारा बयान होना चाहिए। लेकिन इससे देश के दुश्मनों को बल मिलता है। मैं यह बयान वापस लेती हूँ।' इसके पहले भारतीय जनता पार्टी ने इस बयान से ख़ुद को अलग करते हुए कहा था कि ये साध्वी के निजी विचार हैं।
राजनीति में आते ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने विवादित बयान दिया। उन्होंने मुंबई हमले में शहीद हुए पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जो एक शहीद के लिए साफ़ तौर पर अपमानजनक है। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हेमंत करकरे को संन्यासियों का शाप लगा था। उन्होंने कहा, ' मैंने कहा तेरा (मुंबई एटीएस चीफ हेमंत करकरे) सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगा है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन उसे सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में इसको आतंकवादियों ने मारा और उसका अंत हो गया।'
#WATCH Pragya Singh Thakur:Maine kaha tera (Mumbai ATS chief late Hemant Karkare) sarvanash hoga.Theek sava mahine mein sutak lagta hai. Jis din main gayi thi us din iske sutak lag gaya tha.Aur theek sava mahine mein jis din atankwadiyon ne isko maara, us din uska anth hua (18.4) pic.twitter.com/COqhEW2Bnc
— ANI (@ANI) April 19, 2019
बता दें कि बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। यह वही प्रज्ञा ठाकुर हैं, जिनके ख़िलाफ़ तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने मालेगाँव ब्लास्ट मामले में सबूत इकट्ठे किए थे और इसके बाद उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया था। प्रज्ञा ठाकुर को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था। करकरे मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गये थे। वह उस समय मालेगाँव सीरियल बम धमाकों की जाँच कर रहे थे।
मुंबई हमले में शहीद हुए थे जाँबाज करकरे
बता दें कि 26 नवंबर 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ था। उस दौरान हेमंत करकरे दादर स्थित अपने घर पर थे। उसी समय उनको ख़बर मिली कि कॉर्पोरेशन बैंक के एटीएम के पास आतंकवादी एक लाल रंग की कार के पीछे छिपे हुए थे। करकरे ने एक पल की भी देरी नहीं की। वह एक जाँबाज की तरह घर से तुरंत निकले और आतंकियों के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाल लिया। जब करकरे वहाँ पहुँचे तो आतंकवादी फ़ायरिंग करने लगे। इसी दौरान एक गोली एक आतंकी के कंधे पर लगी। उसके हाथ से एके-47 गिर गई। वह अज़मल कसाब था, जिसे करकरे ने धर दबोचा। इसी दौरान आतंकवादियों की ओर से जवाबी फ़ायरिंग में तीन गोली इस बहादुर पुलिस अफ़सर को भी लगी, जिसके बाद वह शहीद हो गए थे। आतंकवादी कसाब के पकड़े जाने के बाद उससे काफ़ी जानकारियाँ उगलवाई गयीं थीं जो पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में काफ़ी अहम साबित हुई थीं।
क्यों बौखलाई हैं साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा ने शहीद हेमंत करकरे के ख़िलाफ़ ऐसा अपमानजनक बयान क्यों दिया है दरअसल, यह पूरा मामला मालेगाँव ब्लास्ट से जुड़ा है। 9 सितंबर 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र स्थित मालेगाँव के मुसलिम बहुल इलाक़े में बम विस्फोट हुआ था। इस मामले की जाँच तत्कालीन एंटी टेररिस्ट स्क्वाड यानी एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को सौंपी गयी। एटीएस ने इस मामले में अक्टूबर 2008 में 11 संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार किया था। इसमें सभी अभियुक्त हिन्दू थे। इन्हीं 11 अभियुक्तों में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, स्वामी अमृतानंद उर्फ दयानंद पांडे, एक सेवानिवृत्त मेंजर रमेश उपाध्याय और एक आर्मी अफ़सर प्रसाद श्रीकांत पुरोहित के नाम भी शामिल थे। करकरे के नेतृत्व वाली एटीएस टीम ने जाँच में पाया कि इनमें से अधिकतर अभियुक्त उग्र हिंदुत्व ग्रुप अभिनव भारत से जुड़े हैं।
यह पहली बार था कि किसी आतंकवादी हमले में किसी हिंदुत्ववादी संगठन का नाम आया था और इसके बाद कई बार 'हिन्दू आतंकवाद' और 'भगवा आतंकवाद' जैसे शब्द प्रयोग किये गये।
प्रज्ञा तक कैसे पहुँची थी एटीएस
एटीएस साध्वी प्रज्ञा तक ब्लास्ट में इस्तेमाल की गयी मोटरसाइकिल के ज़रिये पहुँची थी। हालाँकि, मोटरसाइकल में लगे रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट पर लिखा नंबर नक़ली था और बाइक के शैसी नंबर, इंजन नंबर, यहाँ तक कि टायर के नंबर भी मिटा दिए गए थे। करकरे ने फ़रेंसिक जाँच करवा कर उनके नंबर निकलवाए और उनके आधार पर गुजरात में एलएमएल कंपनी के सेल्स ऑफ़िस से पता करवाया कि यह बाइक कहाँ बेची गई थी। वहाँ से बताया गया कि यह गाड़ी इंदौर के एक डिस्ट्रिब्यूटर को भेजी गई थी। इंदौर के डिस्ट्रिब्यूटर से पता चला कि इसे प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बेचा गया है। प्रज्ञा सिंह से पूछताछ के बाद ही इस मामले में 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था।
कई संगठनों ने लगाया था साज़िश का आरोप
बता दें कि तब भारतीय जनता पार्टी, शिव सेना और हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुसलिम तुष्टीकरण के लिए सत्ताधारी पार्टी के दबाव में सभी 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। तब इन पार्टियों ने हेमंत करकरे की आलोचना की थी। तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि एटीएस देश की सेना को कमज़ोर कर रही है।
हाल में ही प्रज्ञा ने भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए हैं। एक दिन पहले ही एक कार्यकर्ता सम्मेलन में साध्वी प्रज्ञा ने कहा, ‘मैं कभी भी विवादों में नहीं रही, मेरे ख़िलाफ़ साज़िश रची गई। मालेगाँव बम विस्फोट मामले में गिरफ़्तार किए जाने के बाद मुझे प्रताड़ित किया गया। रात-रात भर पीटा जाता था, कई-कई दिन सिर्फ़ पानी के सहारे काटने पड़े हैं।’