+
गोडसे वाले बयान पर साध्वी प्रज्ञा को दो बार माँगनी पड़ी माफ़ी

गोडसे वाले बयान पर साध्वी प्रज्ञा को दो बार माँगनी पड़ी माफ़ी

महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दोबारा माफ़ी माँगनी पड़ी।

महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दोबारा माफ़ी माँगनी पड़ी। इसके बाद सदन में हंगामा थम गया। संसद में जब से प्रज्ञा ने गोडसे पर बयान दिया था तब से हंगामा जारी था। शुक्रवार सुबह जब उन्होंने इसके लिए 'सशर्त' माफ़ी माँगी तो हंगामा और बढ़ गया था। शोर-शराबे को देखते हुए लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। माना जा रहा है कि इसी बैठक में प्रज्ञा द्वारा दोबारा माफ़ी माँगे जाने का फ़ैसला हुआ। जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो साध्वी ने कहा, 'मैंने 27 नवंबर को नाथूराम गोडसे के बारे में नहीं कहा था, लेकिन अगर फिर भी मेरी बात से किसी को ठेस पहुँची तो मैं फिर से माफ़ी माँगती हूँ।'

इससे पहले सुबह जब प्रज्ञा ने माफ़ी माँगी थी तब उन्होंने कहा था, ‘यदि मेरे पहले के किसी बयान से किसी को ठेस पहुँची है तो मैं इसके लिए माफ़ी माँगती हूँ।’ इस माफ़ी को कांग्रेस ने सशर्त बताकर खारिज कर दिया था और कहा था कि प्रज्ञा को बिना शर्त माफ़ी माँगनी चाहिए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि हमारी सिर्फ़ एक माँग है, हम बिना शर्त माफ़ी चाहते हैं।

शुक्रवार सुबह जब साध्वी प्रज्ञा ने माफ़ी माँगी थी तब उन्होंने यह भी कहा कि मैं महात्मा गाँधी के विचारों और देश के प्रति उनके योगदान का सम्मान करती हूँ। इसके साथ ही उन्होंने सफ़ाई भी दी थी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इसी कारण माफ़ी के बाद भी संसद में हंगामा जारी रहा था। बता दें कि विवाद बढ़ने पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक दिन पहले ही ट्वीट कर अपनी सफ़ाई दी थी और कहा था कि उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया है।

प्रज्ञा की यह माफ़ी संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों द्वारा उनके बयान के ज़बरदस्त विरोध के बाद आयी है। बीजेपी और सरकार पर भी प्रज्ञा के बयान को लेकर ज़बरदस्त दबाव था। इसी दबाव के कारण पहले तो प्रज्ञा को रक्षा मामलों की संसदीय समिति से हटाया गया था और आज यानी शुक्रवार को ही पार्टी और सरकार की ओर से तलब किया गया है। इससे पहले प्रज्ञा झुकने को तैयार नहीं थीं और उन्होंने कहा था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। ऐसा तब है जब उनके बयान को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है।

राहुला पर निशाना साधा

पहली बार माफ़ी माँगने के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने ‘आतंकवादी’ कहे जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी पर भी हमला किया था। उन्होंने बिना नाम लिए ही कहा, ‘सदन के एक सम्मानित नेता ने मुझे आतंकवादी कहा। मेरे ख़िलाफ़ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है, लेकिन इस तरह की बात कहना एक महिला का अपमान है।’

संसद में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था बापू की हत्या से भी ज़्यादा बुरी बात है किसी सांसद को आतंकवादी कहना, इसलिए राहुल के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। हालाँकि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया।

बता दें कि जब गोडसे पर प्रज्ञा के बयान को लेकर जब राजनीति में तूफ़ान में मचा था तब उसी दौरान राहुल गाँधी ने ट्वीट किया था, 'आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त कहा। भारत के संसदीय इतिहास में दुखद दिन।' प्रज्ञा ठाकुर के इस ताज़ा बयान के बाद भी विपक्ष जब शांत नहीं हुआ था तब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, 'देश महात्मा गाँधी के सिद्धांतों पर चलता है। हमें इस मुद्दे (प्रज्ञा द्वारा लोकसभा में गोडसे को देशभक्त कहने के मामले) को राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो यह पूरी दुनिया के सामने होगा। इसीलिए मैंने कहा कि वह बयान रिकॉर्ड में नहीं होगा। 

संसद में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बापू के हत्यारे गोडसे को देशभक्त कहने के बाद से ही बीजेपी पर कार्रवाई करने का दबाव था। क्योंकि पिछली बार लोकसभा चुनाव से पहले जब उन्होंने गोडसे को देशभक्त कहा था तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि प्रज्ञा को वह कभी दिल से माफ़ नहीं कर पाएँगे। 

चुनाव बाद प्रज्ञा लोकसभा में पहुँचीं और इसी हफ़्ते उन्हें संसद की रक्षा समिति में जगह दे दी गई थी। लेकिन चौरतफ़ा दबाव के बाद बीजेपी को प्रज्ञा को संसदीय समिति से हटाना पड़ा। हालाँकि, कहा तो यह जा रहा है कि बीजेपी को प्रज्ञा को पार्टी से निकाल देना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें