सचिन वाजे 25 मार्च तक एनआईए कस्टडी में
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास स्कॉर्पियो कार से मिली विस्फ़ोटक सामग्री के मामले में गिरफ़्तार किये गए पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 25 मार्च तक एनआईए की कस्टडी में भेज दिया है। एनआईए ने अदालत से वाजे की 14 दिन की कस्टडी की माँग की थी, लेकिन अदालत ने उन्हें 25 मार्च तक की कस्टडी में भेजा है।
इससे पहले सचिन वाजे को शनिवार को 13 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ़्तार किया था।
एनआईए ने स्पेशल कोर्ट में सचिन वाजे की रिमांड कॉपी पेश करने के बाद 14 दिन की एनआईए कस्टडी की माँग की थी। एनआईए ने रिमांड कॉपी में लिखा था कि सचिन वाजे ने स्कॉर्पियो कार में जिलेटिन की छड़ों को रखने का ज़ुर्म क़ुबूल कर लिया है, साथ ही स्कॉर्पियो कार अपने पास होने की बात भी मान ली है।
किसने दिया था साथ?
अब एनआईए वाजे से कस्टडी में लेकर यह पूछताछ करना चाहती है कि आखिर इस बड़ी साजिश में किसने साथ दिया था। एनआईए की शुरुआती जाँच में पता चला है कि सचिन वाजे को इस्तेमाल करने वाला कोई दूसरा आदमी है। वाजे ने एनआईए के सामने स्वीकार किया है की उसने सिर्फ स्कॉर्पियो कार को विस्फोटकों के साथ अंबानी के घर के पास खड़ी करने में योगदान दिया था।
सत्य हिंदी डॉट कॉम ने शनिवार को ही एनआईए सूत्रों के हवाले से ख़बर दी थी कि सचिन वाजे ने शनिवार को 13 घन्टे तक चली पूछताछ में जुर्म कुबूल कर लिया था। एनआईए ने वाजे को आईपीसी की धारा 286, 465, 473, 506(2), 120B और विस्फ़ोटक एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया था।
एनआईए सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कुछ दूसरे पुलिसवालों की गिरफ़्तारी भी हो सकती है जो सचिन वाजे के संपर्क में थे। एनआईए स्कॉर्पियो कार और इनोवा कार के ड्राइवर की भी खोजबीन कर रही है।
राजनीति शुरू
सचिन वाजे की गिरफ़्तारी के बाद इस पर राजनीति भी खूब हुई। बीजेपी प्रवक्ता राम कदम ने तो यहाँ तक कह दिया की सचिन वाजे का नारको टेस्ट कराया जाए ताकि यह साफ़ हो सके कि आखिर वाजे को दिशा- निर्देश कौन दे रहा था। राम कदम पर पलटवार करते हुए शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने सचिन वाजे के पक्ष में मोर्चा खोल दिया।
राउत ने कहा कि केंद्र सरकार वाजे के कंधे पर बंदूक रखकर महाराष्ट्र सरकार को स्थिर करने की योजना बना रही है और यही कारण है कि एनआईए ने सचिन वाजे को गिरफ्तार किया है। राउत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब महाराष्ट्र एटीएस इस मामले की जाँच कर रही है तो एनआईए को यह मामला नहीं देना चाहिए था। यह महाराष्ट्र की पुलिस का अपमान है।
शरद पवार
उधर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सचिन वाजे की गिरफ़्तारी पर कहा कि यह स्थानीय मुद्दा है, इसलिए इस पर वह कोई कमेंट नहीं करना चाहते हैं। पवार ने कहा कि जब किसी केस की जाँच कोई एक एजेंसी कर रही होती है तो दूसरी एजेंसी को घुसने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
देवेंद्र फडणवीस
उधर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सचिन वाजे की गिरफ़्तारी पर बड़ा खुलासा किया। फडणवीस ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो शिवसेना का एक बड़ा नेता उनके पास सचिन वाजे की फ़ाइल लेकर आया था और उनसे वाजे के निलंबन को वापस लेने की बात कही थी। लेकिन फडणवीस ने अटॉर्नी जनरल से सलाह मशवरा करने के बाद उस शिवसेना नेता की माँग को खारिज कर दिया था। फडणवीस का कहना था कि जब किसी पुलिस अफसर को हाईकोर्ट के आदेश के बाद निलंबित किया गया था तो सरकार उसका कैसे निलंबन वापस ले सकती है।
एनआईए को कैसे मिली लीड?
मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली स्कॉर्पियो कार में मिले विस्फोटक की जाँच एनआईए कर रही थी। एनआईए को इस मामले में चश्मदीदों से पुख्ता जानकारी मिली थी कि इस पूरे मामले में एपीआई सचिन वाजे का हाथ है। यही कारण रहा कि एनआईए ने सचिन वाजे को शनिवार को 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया था और लगातार 13 घंटे तक चली पूछताछ में एनआईए के अधिकारियों ने सचिन वाजे से तमाम सवाल जवाब, किए जिससे आखिर में यह साबित हो गया कि इस पूरे मामले में सचिन वाजे का हाथ है।
एनआईए के अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
एनआईए ने मुंबई पुलिस के एक एसीपी और एक सीनियर इंस्पेक्टर से भी पूछताछ की थी हालांकि इन दोनों ही अधिकारियों को पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया था।
वॉट्सऐप स्टेटस
सत्य हिंदी डॉट कॉम ने शनिवार को ठाणे की कोर्ट से अंतरिम जमानत रद्द होने के बाद बताया था कि सचिन वाजे की गिरफ़तारी कभी भी हो सकती है। वाजे ने इससे पहले वॉट्सऐप पर एक स्टेटस लगाया था जिसमें लिखा गया था कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। स्टेटस में लिखा था, "3 मार्च 2004 को सीआईडी के कुछ अधिकारियों ने मुझे एक झूठे केस में गिरफ़्तार किया था, अब भी अस्पष्ट है कि ऐसा क्यों किया गया था। मुझे लग रहा है कि अतीत फिर से दोहराया जा रहा है।
स्टेटस में आगे लिखा था,
“
''मेरे साथ के अधिकारी मुझे फँसाना चाहते हैं मौजूदा और तब की स्थिति में अंतर है। तब मेरे पास 17 साल की उम्मीद, धैर्य, जीवन और सर्विस थी, अब मेरे पास जीवन के अगले 17 साल भी नहीं है, ना ही धैर्य और सर्विस है। मुझे लगता है दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है।"
जिलेटिन की छड़ें
एंटीलिया के बाहर जो कार बरामद हुई थी, उसमें जिलेटिन की छड़ें और धमकी भरा पत्र मिला था। बता दें कि एंटीलिया के बाहर संदिग्ध कार मामले की जाँच पहले वाजे ही कर रहे थे, लेकिन बाद में उनपर आरोप लगने के बाद यह मामला एसीपी रैंक के अधिकारी को सौंप दिया गया और उन्हें इस केस से हटा दिया गया। बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर यह केस एनआईए को सौंप दिया गया। मनसुख हिरेन की आत्महत्या के मामले की जाँच महाराष्ट्र एटीएस कर रही है।