सबरीमला विवाद: कोर्ट ने बड़ी बेंच को सौंपा मामला, महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा
केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के मामले में शीर्ष अदालत ने फ़ैसला सुना दिया है। कोर्ट ने बड़ी बेंच को यह मामला सौंप दिया है। अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश जारी रहेगा। चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस अहम मामले में फ़ैसला सुनाया है। इस बेंच में जस्टिस आर. फ़ली नरीमन, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने 3:2 से यह मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को सौंपा है। 5 जजों में से सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने पक्ष में फ़ैसला दिया है। जबकि जस्टिस फ़ली नरीमन और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इसके ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया है। अब 7 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
Supreme Court, by a majority of 3:2, has referred the review petitions to a larger constitution bench. Justice Rohinton Fali Nariman and Justice DY Chandrachud gave dissent judgement. #Sabarimala https://t.co/xBcxf6bFeV
— ANI (@ANI) November 14, 2019
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा, ‘धर्मस्थलों में महिलाओं का प्रवेश सिर्फ़ मंदिरों तक सीमित नहीं है। इसमें मसजिदों और पारसी मंदिरों में भी महिलाओं का प्रवेश का मामला शामिल है।’
जस्टिस नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फ़ैसले के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों की निंदा करते हुए कहा है कि शीर्ष अदालत का आदेश सभी पर लागू होता है और इसके पालन करने को लेकर कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि सरकार को संवैधानिक मूल्यों के पालन के लिए क़दम उठाने चाहिए। जस्टिस नरीमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को विफल करने के लिए सुनियोजित प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की मंजूरी दी थी। अदालत के इस फ़ैसले का केरल में पुरजोर विरोध हुआ था और फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाख़िल की गई थी। इसके अलावा इस मामले में 64 अन्य याचिकाएं भी दाख़िल की गई थीं। सुनवाई के बाद 6 फरवरी को अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
बीजेपी ने सबरीमला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। बीजेपी की माँग थी कि केरल सरकार अध्यादेश लाकर अदालत के फ़ैसले पर अस्थायी रोक लगाए या पुनर्विचार याचिका दायर करे। लेकिन केरल सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया था।
सबरीमला मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने पहले कहा था कि यह लोगों की आस्था और भावना का प्रश्न है, लिहाज़ा, कोर्ट का फ़ैसला लागू नहीं किया जा सकता है। लेकिन बाद में बोर्ड ने इससे यू-टर्न ले लिया था और कहा था कि वह मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करेगा।