सबरीमला मंदिर में घुसीं दो महिलाएँ, पुरोहितों ने किया शुद्धीकरण
केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में दो महिलाओं के घुसने के बाद, उसके कपाट बंद कर दिए गए, उसका शुद्धिकरण किया गया और उसके बाद दर्शन के लिए खोल दिया गया। दो महिलाओं ने दावा किया था कि उन्होंने बुधवार तड़के मंदिर में प्रवेश कर भगवान के दर्शन किए थे। इसके बाद पुरोहितों ने मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए और मंदिर का शुद्धिकरण किया। समझा जाता है कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रही राजनीति इस घटना के बाद एक बार फिर तेज़ हो जाएगी।
ख़बरों के मुताबिक़, बिंदु (उम्र 44 साल) और कनकदुर्गा (उम्र 42 साल) की दो महिलाओं ने सबरीमला मंदिर के अंदर प्रवेश किया है। दोनों महिलाओं ने दावा किया है कि उन्होंने भगवान अयप्पा के दर्शन किए हैं। महिलाओं के मुताबिक़, उन्होंने बुधवार सुबह 3.45 बजे भगवान अयप्पा के दर्शन किए। केरल के सीएम पी. विजयन ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आदेश जारी किया है जो भी महिलाएँ मंदिर में प्रवेश करना चाहती हैं, पुलिस उन्हें पूरी सुरक्षा देगी।
समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से जारी किए गए विडियो में दो महिलाएँ बुधवार सुबह 3.45 बजे मंदिर के अंदर प्रवेश करती दिखाई दे रही हैं।
#WATCH Two women devotees Bindu and Kanakdurga entered & offered prayers at Kerala's #SabarimalaTemple at 3.45am today pic.twitter.com/hXDWcUTVXA
— ANI (@ANI) January 2, 2019
केरल पुलिस ने कहा है कि उसे इस बारे में मीडिया से ही जानकारी मिली है। बिंदु और कनकदुर्गा ने पिछले महीने भी मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन जबरदस्त विरोध के कारण वह मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी थीं।
सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर ख़ूब राजनीति भी हुई। बीजेपी ने बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के विरोध में प्रदर्शन किया था। ख़ुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कोर्ट के फ़ैसले पर सवाल उठाए थे। महिला अधिकार संगठनों ने भी इसे मुद्दा बनाया था और मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की माँग की थी।
28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी। कोर्ट ने साफ़ कहा था कि हर उम्र की महिलाएँ अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहाँ महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में उन्हें प्रवेश करने से रोका नहीं जा सकता।