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यूएन में भाषण से पहले सार्क बैठक में भारत-पाक के बीच तनातनी क्यों?

यूएन में भाषण से पहले सार्क बैठक में भारत-पाक के बीच तनातनी क्यों?

जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुई तनातनी का असर अब सार्क बैठक पर भी दिखा है। भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक-दूसरे बयानों का बहिष्कार किया। 

जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुई तनातनी का असर अब सार्क यानी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की बैठक पर भी दिखा है। भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक-दूसरे बयानों का बहिष्कार किया। दोनों देशों के विदेश मंत्री उस बैठक में एक साथ मौजूद नहीं थे। बाद में दोनों ने एक-दूसरे की खिंचाई भी की। यह तनातनी संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के भाषणों से पहले दिखी है। सार्क की यह बैठक संयुक्त राष्ट्र के पास ही एक होटल में हुई है।

सार्क की बैठक में पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर के भाषण में शामिल नहीं होंगे। क़ुरैशी ने इसकी घोषणा अंतिम समय में तब की जब बैठक में जयशंकर बोल रहे थे। क़ुरैशी के इस रवैये का जवाब जयशंकर ने भी उसी अंदाज़ में दिया। भारतीय विदेश मंत्री ने अपना बयान दिया और पाकिस्तानी विदेश मंत्री के आने से कुछ मिनट पहले बैठक छोड़ कर चले गए। इसका मतलब साफ़ था कि दोनों मंत्री उस बैठक में एक साथ मौजूद नहीं थे।

सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक में हुए तनावों के बीच ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का संयुक्त राष्ट्र में भाषण होगा। यह पहली बार है कि दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र में आमने-सामने होंगे। इमरान ख़ान ने यह साफ़ कर दिया है कि वह संयुक्त राष्ट्र में अपना अधिकांश भाषण जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर देंगे और विश्व समुदाय से हस्तक्षेप करने की अपील करेंगे। इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में कश्मीर का ज़िक्र नहीं करेंगे।

बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने सार्क बैठक में इन घटनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की। हालाँकि बाद में अपने भाषण के बारे में उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आतंकवाद का उन्मूलन न केवल सार्थक सहयोग के लिए बल्कि क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी एक पूर्व शर्त है।

क़ुरैशी ने क्या कहा?

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि उनका देश भारत के साथ तब तक कोई सम्पर्क नहीं करेगा जब तक कि वह कश्मीर में ‘पाबंदी’ समाप्त नहीं करता। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने ट्वीट किया कि क़ुरैशी ने सार्क मंत्रियों की परिषद की बैठक में एस. जयशंकर के शुरुआती संबोधन के समय शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘उन्हें कश्मीरियों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका संरक्षण हो और उनका दमन-शोषण नहीं किया जाए।’

बता दें कि क़ुरैशी जयशंकर के संबोधन के बाद ही वहाँ पहुँचे। बैठक के लिए देर से आने के बारे में पूछे जाने पर क़ुरैशी ने कहा कि वह कश्मीर पर विरोध स्वरूप भारतीय मंत्री के साथ नहीं बैठना चाहते हैं। कुरैशी ने कहा कि वह ‘कश्मीरियों के हत्यारों’ के साथ ‘बैठकर बात’ नहीं कर सकते।

हालाँकि बाद में बैठक सामान्य रूप से चलती रही और अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, श्रीलंका और नेपाल सहित अन्य सार्क देशों के प्रतिनिधिमंडल और मंत्रियों ने अपनी-अपनी बातें रखीं। 

भारतीय विदेश मंत्री के भाषण के दौरान पाक के विदेश मंत्री नहीं थे, लेकिन उस दौरान पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फ़ैसल ने किया। उन्होंने संकेत दिया था कि कि वह क़ुरैशी के स्थान पर कार्य करेंगे।

सार्क पर भारत की रणनीति

माना जाता है कि सार्क चार्टर द्विपक्षीय मुद्दों को सार्क मंच का मुद्दा बनाने की अनुमति नहीं देता है। बता दें कि पाकिस्तान भारत के उस फ़ैसले का भी विरोध कर रहा है जिसमें वह 2016 में इसलामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन का बहिष्कार करता रहा है। भारत का कहना है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद समाप्त नहीं होता है तब तक वह पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन में भाग नहीं लेगा। सार्क सम्मेलन का यह नियम है कि जब तक सभी देश उसमें भाग नहीं लें तब तक सार्क सम्मेलन आयोजित नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, भारत ने अलग-अलग मंचों पर सार्क के अन्य सभी सदस्यों को शामिल किया है और दक्षिण एशियाई मुद्दों पर चर्चा की है।

बैठक के बाद क़ुरैशी ने दावा किया कि पाकिस्तान ने अगले साल इसलामाबाद में सार्क सम्मेलन आयोजित करने के लिए समूह की सहमति ले ली है। क़ुरैशी ने कहा कि अगर भारत को लगता है कि यह अभी भी सार्क का सदस्य है तो इसमें शामिल होने का स्वागत है।

भारत द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में फेरबदल करने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत के फ़ैसले पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी। पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों को कमतर किया और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करना उसका आंतरिक मामला है।

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