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तुर्की में आज होगी रूस-यूक्रेन शांति वार्ता, ख़त्म होगी जंग?

तुर्की में आज होगी रूस-यूक्रेन शांति वार्ता, ख़त्म होगी जंग?

रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की में बातचीत शुरू होने जा रही है। लेकिन क्या शांति वार्ता से कोई हल निकलेगा?, क्या जंग खत्म हो जाएगी?

रूस और यूक्रेन के बीच जंग को 1 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। जंग के बीच एक बार फिर से दोनों देश आज तुर्की में शांति वार्ता में हिस्सा लेंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या शांति वार्ता से कोई हल निकलेगा?, क्या जंग खत्म हो जाएगी?

यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, क्योंकि अभी तक यही कहा जा रहा था कि जब तक दोनों देशों की आमने-सामने से शांति वार्ता नहीं होगी, तब तक युद्ध खत्म नहीं हो सकता।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से रविवार को इस्तांबुल में वार्ता की मेजबानी के लिए फोन पर बात की थी। इस घटनाक्रम के बाद अंकारा को उम्मीद है कि यूक्रेन में युद्धविराम होगा। हालांकि यूक्रेन का कहना है कि इस बातचीत से भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा। यूक्रेन ने साफ कर दिया है कि वो अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को बनाये रखने की कीमत पर कोई समझौता नहीं करेगा। 

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, हालांकि हम इस बातचीत में क्या होगा, इसके बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते हैं, लेकिन यह बात महत्वपूर्ण है कि सीधी बातचीत हो रही है।

उन्होंने कहा कि हम प्रस्तावित बातचीत के बारे में किसी भी जानकारी का खुलासा नहीं करने की नीति का पालन कर रहे हैं। ऐसा नहीं किया गया तो वार्ता प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है। 

पेसकोव ने कहा कि अभी पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के बीच संभावित बैठक के विचार पर कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से हम अब तक (बातचीत में) कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए हैं। अलग-अलग टिप्पणियों में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अगर दोनों नेताओं के बीच बैठक अभी होती है तो यह गलत होगा। जब दोनों पक्षों की बातचीत में कोई हल निकले, तब उन्हें मिलना चाहिए। जैसे ही हम सभी प्रमुख मुद्दों को हल करने के करीब होंगे, पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच एक बैठक की आवश्यकता है।

रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन में हजारों सैनिकों को भेजा था। एक महीना हो चुका है, अभी तक युद्ध जारी है। यूक्रेन की सेना ने कड़ा प्रतिरोध किया है और पश्चिम ने रूस को अपनी सेना वापस लेने के लिए मजबूर करने के प्रयास में उस पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिए हैं।

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