रूस की दिलचस्पी अचानक भारत के चुनाव और पन्नू केस में क्यों, यूएस को लताड़ा
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने बुधवार को कहा कि अमेरिका दावा कर रहा है कि भारत में धार्मिक आजादी को दबाया जा रहा है, लेकिन हमारा मानना है कि अमेरिका आम चुनाव के दौरान भारत को अस्थिर करना चाहता है।
मारिया ज़खारोवा ने कहा कि धार्मिक आजादी के उल्लंघन के संबंध में नई दिल्ली के खिलाफ अमेरिका द्वारा बार-बार लगाए गए निराधार आरोप वाशिंगटन की मानसिकता और भारत के विकास की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की समझ की स्पष्ट कमी का संकेत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ऐसी कार्रवाइयां एक संप्रभु राज्य के रूप में भारत के प्रति सम्मान की पूरी कमी को दिखाती हैं और यह भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप जैसा है।
यूक्रेन युद्ध के समय से ही भारत और रूस बेहद करीब आ चुके हैं। भारत में भाजपा शासित मोदी सरकार के समर्थकों ने पिछले दिनों यह तक दावे किए थे कि यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए मोदी ने सीधे पुतिन से बात की थी। पिछले दिनों जब पुतिन दोबारा रूस के राष्ट्रपति चुने गए तो मोदी ने उन्हें बधाई दी। लेकिन अमेरिका, यूरोपियन यूनियन के तमाम देशों में रूस में तानाशाही लौटने की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि पुतिन बेईमानी से चुनाव जीते हैं। अभी जब मार्च में भारत में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तो पुतिन ने मोदी को जीत की अग्रिम बधाई दी। इस तरह भारत और रूस इस समय काफी नजदीक हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा- “इसका मकसद भारत में होने वाले आम संसदीय चुनावों को जटिल बनाने के लिए भारत में आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने की अमेरिकी कोशिश है।" उन्होंने कहा कि "यूएसए नई दिल्ली (भारत) के खिलाफ नियमित रूप से निराधार आरोप लगा रहा है... हम देख रहे हैं कि वे न केवल भारत बल्कि कई अन्य देशों पर भी... धार्मिक आजादी का उल्लंघन करने का आधारहीन आरोप लगाते हैं। यह यूएसए की मानसिकता की गलतफहमी का प्रतिबिंब है। यह भारत का एक देश के रूप में अनादर करना हुआ।“
खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को कथित तौर पर मारने में भारत की कथित भूमिका पर भी रूस की प्रवक्ता ने बयान दिया। रूस ने कहा है कि अमेरिका ने अभी तक खालिस्तानी आतंकवादी की कथित हत्या की साजिश में भारतीय नागरिकों की संलिप्तता का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिया है।
बता दें कि पिछले साल नवंबर में, अमेरिकी फेडरल प्रॉजीक्यूटर्स ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम करने का आरोप लगाया था। इसी तरह कनाडा में मारे गए खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में कनाडा ने भारत की खुफिया एजेंसियां का हाथ बताया। हाल ही में कनाडा ने तीन लोगों को पकड़ने का दावा भी किया। इस समय भारत कनाडा संबंध बेहद खराब चल रहे हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा से जब वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया मांगी गई जिसमें दावा किया गया है कि भारत रूस और सऊदी अरब जैसी नीतियों को अपनाने की कोशिश कर रहा है, तो उन्होंने कहा: "हमारे पास मौजूद जानकारी के अनुसार, वाशिंगटन ने अभी तक कोई विश्वसनीय जानकारी प्रदान नहीं की है। पन्नू की कथित हत्या की कोशिश में भारतीय नागरिकों की संलिप्तता के सबूत के अभाव में इस पर अटकलें अस्वीकार्य हैं।"
मारिया ज़खारोवा ने कहा- वाशिंगटन को भारत के इतिहास और मानसिकता की समझ नहीं है और वह भारत में धार्मिक आजादी के बारे में "निराधार आरोप" लगाता रहता है। अमेरिकी दखल को "औपनिवेशिक काल की मानसिकता" बताते हुए रूसी प्रवक्ता ने व्हाइट हाउस पर 2024 के लोकसभा चुनावों को जटिल बनाने का आरोप लगाया।
बता दें कि पन्नू और निज्जर के मामले में भारत अमेरिका और कनाडा के दावों को लगातार खारिज कर रहा है। भारत ने हमेशा कहा है कि गंभीर मामले पर "अनुचित और निराधार" आरोप लगाए गए हैं। भारत में मामले की जांच चल रही है।