रूस भारत से संवेदनशील युद्ध सामान खरीद रहा है: फाइनेंशियल टाइम्स, लंदन
ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने बुधवार को रिपोर्ट दी कि रूस गुप्त रूप से भारत से संवेदनशील सामान खरीद रहा है। रूस अपने युद्ध प्रयासों के लिए इन सामानों को देश में बनाने की सुविधाओं की खोज कर रहा है। एफटी ने यह रिपोर्ट रूस सरकार के लीक हुए पत्रों और पश्चिमी अधिकारियों के हवाले से दी है।
एफटी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस में रक्षा उत्पादन की देखरेख करने वाले उद्योग और व्यापार मंत्रालय ने अक्टूबर 2022 में गुप्त चैनलों के जरिये महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स सामान को सुरक्षित करने पर लगभग 82 बिलियन रुपये (उस समय 1 बिलियन डॉलर) खर्च करने की गोपनीय योजना बनाई। पश्चिमी सरकारों को इसकी भनक उस समय नहीं लगी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, रूसी बैंकों ने भारत में तेल की बढ़ती बिक्री से अर्जित रुपये के "महत्वपूर्ण भंडार" का इस्तेमाल इसके लिए किया। इसमें कहा गया है कि उसने भारत को "पहले अमित्र देशों से आपूर्ति की गई" महत्वपूर्ण वस्तुओं के स्रोत के लिए एक वैकल्पिक बाजार के रूप में देखा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस और उसके भारतीय साझेदारों ने दोहरे इस्तेमाल वाली तकनीकी को टारगेट किया है। इनका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में किया जा सकता था। हालांकि ऐसे सामानों का निर्यात सिर्फ पश्चिमी देशों के नियंत्रण में हैं
भारत ने रियायती कीमतों पर रूसी तेल की खरीद का बचाव किया था। भारत ने पश्चिमी देशों के "पाखंड" की ओर भी इशारा करते हुए कहा था कि आखिर यूरोपीय देश अपनी ऊर्जा ज़रूरतें अभी भी अप्रत्यक्ष रास्तों से रूस से क्यों पूरी करते हैं।
पिछले महीने कीव में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार का बचाव किया था। सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ चर्चा के दौरान यह बात सामने आई और यूक्रेनी पक्ष को “इसके” बारे में समझाया गया। उन्हें बताया गया कि दुनिया का ऊर्जा मार्केट तंगहाल है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है- “भारत एक बड़ा तेल उपभोक्ता है। यह एक बड़ा तेल आयातक है क्योंकि हम तेल का उत्पादन नहीं करते हैं। तो, ऐसा नहीं है कि तेल खरीदने की कोई राजनीतिक रणनीति है। तेल खरीदने की एक तेल रणनीति है। तेल खरीदने के लिए एक बाजार रणनीति है... तथ्य यह है कि बाजार तंग है। आज ईरान और वेनेजुएला जैसे बड़े आपूर्तिकर्ता, जो भारत को आपूर्ति करते थे, बाजारों में स्वतंत्र रूप से काम करने से विवश हैं... इस वजह को ध्यान में रखने की जरूरत है।''
एफटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि "मॉस्को ने रूसी-भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स विकास और उत्पादन सुविधाओं में निवेश बढ़ाने की भी योजना बनाई थी।" लेकिन यह साफ नहीं है कि मॉस्को ने अपनी योजना को किस हद तक अंजाम तक पहुंचाया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी उप राजकोषीय सचिव वैली एडेइमो ने जुलाई में भारत के तीन शीर्ष व्यापारिक संगठनों को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि "कोई भी विदेशी वित्तीय संस्थान जो रूस के सैन्य औद्योगिक आधार के साथ व्यापार करता है, उस पर प्रतिबंध लगने का खतरा है"। एडेइमो ने कहा: "लेन-देन में इस्तेमाल की गई मुद्रा की परवाह किए बिना यह बढ़ा हुआ प्रतिबंध जोखिम वाला है।"
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 2023 में रूस को भारत का कुल निर्यात 40 प्रतिशत बढ़कर 4 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया।जो मुख्य रूप से इंजीनियरिंग सामानों का था, जो 2022 में 680 मिलियन डॉलर से लगभग दोगुना होकर 2023 में 1.32 बिलियन डॉलर हो गया।