महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भतीजे तन्मय फडणवीस द्वारा तय आयु सीमा से पहले ही कोरोना टीका लगवाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। आरटीआई से मिले दस्तावेजों से पता चला है कि तन्मय ने वैक्सीन लेने के लिए अपने आप को स्वास्थ्यकर्मी बताकर कोरोना का टीका लिया था। जिस समय तन्मय ने वैक्सीन लगवाई थी उस समय उनकी उम्र 25 साल ही थी जबकि उस समय 45 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही थी और 18 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण शुरू भी नहीं हुआ था। तन्मय के इन दस्तावेजों के आने के बाद अब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोलते हुए कहा है कि उनके भतीजे को किस नियम के तहत कोविड वैक्सीन लगाई गई उसकी जाँच की जानी चाहिए।
महाराष्ट्र के बारामती के एक आरटीआई कार्यकर्ता नितिन यादव ने मुंबई के सेवन हिल्स अस्पताल से जानकारी मांगी थी कि तन्मय फडणवीस ने कोरोना टीका लेने के लिए किस तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। अस्पताल प्रशासन ने नितिन यादव को जानकारी दी कि तन्मय फडणवीस को 13 मार्च को सेवन हिल्स अस्पताल में ही टीका लगाया गया था और उन्हें स्वास्थ्यकर्मी के रूप में पंजीकृत किया गया था। हालाँकि तन्मय का स्वास्थ्यकर्मी होने का कोई भी रिकॉर्ड अस्पताल में मौजूद नहीं है, इस बात की भी जानकारी अस्पताल प्रबंधन ने आरटीआई कार्यकर्ता नितिन यादव को दी है। टीका लगवाने के समय उन्होंने जो पहचान पत्र अस्पताल प्रशासन को दिखाया था, उसका कोई भी रिकॉर्ड अस्पताल के पास उपलब्ध नहीं है।
एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने तन्मय फडणवीस की जानकारी आने के बाद देवेंद्र फडणवीस पर हमला करते हुए कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर एफ़आईआर दर्ज कर गिरफ्तार करना चाहिए। मलिक ने साथ ही यह भी मांग की है कि तन्मय ने अगर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोरोना का टीका लिया है तो इस बात की भी जांच हो कि आखिर तन्मय को इस तरह के फर्जी दस्तावेज किसने मुहैय्या कराए थे।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई वैक्सीन लगवाने वाली तसवीर।
ग़ौरतलब है कि देश में 1 मई से 18 से 44 साल के लोगों का टीकाकरण शुरू हुआ है। इससे पहले स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्करों के साथ-साथ 60 साल से अधिक आयु के नागरिकों और 45 से 60 वर्ष के आयु के बीमार चल रहे लोगों के लिए सरकार ने कोरोना टीका लगवाने को रजामंदी दी थी। हालाँकि, तन्मय ने 1 मई से काफी पहले 13 मार्च को ही टीका लगवा लिया था। ऐसी भी ख़बरें सामने आई हैं कि तन्मय ने पहली खुराक मुंबई के सेवन हिल्स अस्पताल में और दूसरी नागपुर के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में ली।
वहीं महाराष्ट्र बीजेपी के मीडिया इंचार्ज विश्वास पाठक का कहना है कि देवेन्द्र फडणवीस पहले ही इस मामले में अपना पक्ष रख चुके हैं इसलिए बार बार इस मामले में उनका नाम घसीटने का कोई मतलब नहीं है। पाठक का कहना है कि कांग्रेस और एनसीपी से सरकार तो चलाई नहीं जा रही है इसलिए इस तरह के मुद्दे उछालकर असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।
दरअसल तन्मय ने 20 अप्रैल को टीका लेते हुए अपना फ़ोटो सोशल मीडिया पर डाल दिया था जिसके बाद बवाल हो गया था कि जब 45 साल से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने की इजाज़त ही नहीं थी तो उन्होंने कैसे वैक्सीन लगवा ली। हालाँकि विरोध के बाद तन्मय ने सोशल मीडिया से अपना ये फोटो हटा लिया था। कांग्रेस और एनसीपी ने इसका कड़ा विरोध करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमला करते हुए कहा था कि तन्मय ने अपने चाचा देवेंद्र फडणवीस के रसूख के चलते कोरोना का टीका लगवाया था और इस मामले की जांच की मांग की थी। वहीं इस मामले पर बवाल होता देख देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि तन्मय उनका दूर का रिश्तेदार है और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं है कि तन्मय ने कैसे और किस नियम के तहत कोरोना का टीका लगवाया था।