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शस्त्र पूजन के बाद RSS प्रमुख भागवत बोले- कट्टरता के कारण युद्ध होते हैं

शस्त्र पूजन के बाद RSS प्रमुख भागवत बोले- कट्टरता के कारण युद्ध होते हैं

नागपुर में विजयदशमी के मौके पर मंगलवार 24 अक्टूबर को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबसे पहले शस्त्र पूजा की और उसके बाद अपने संबोधन में कहा कि कट्टरता के कारण ही युद्ध होते हैं। इस मौके पर उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा यह भी की कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशिमबाग मैदान में आयोजित कार्यक्रम में इजराइल-हमास युद्ध की ओर संकेत करते हुए कहा कि कट्टरपन की वजह से ही उन्माद बढ़ता है और उन्माद के कारण युद्ध होते हैं। हमारे देश में भी कुछ लोग शांति नहीं चाहते। भागवत ने कहा कि हमारे देश में काफी विविधताएं हैं लेकिन एकता नहीं है। यह एकता किस आधार पर आएगी, इसका कोई आधार नहीं है। हम आगे बढ़ रहा है। भारत का नाम दुनिया के महत्वपूर्ण देशों में हो गया है।

आरएसएस का इजराइल समर्थक रुख हमेशा रहा है लेकिन भारत सरकार अपनी विदेश नीति के जरिए फिलिस्तीन के साथ खड़ी है। 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने पर पीएम मोदी ने फौरन ही इजराइली लोगों के मारे जाने पर संवेदना जताई थी और कहा था कि भारत इजराइल के साथ है। लेकिन उसके बाद पीएम मोदी के बयान फिलिस्तीन के समर्थन में आए। उन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से फोन पर बात की। भारत ने रविवार को फिलिस्तीन के लिए मेडिकल और राहत सामग्री भेजी।

कम्युनिस्टों पर हमला

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को "सांस्कृतिक मार्क्सवाद" को "स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज" ताकतों के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि " सांस्कृतिक मार्क्सवाद मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण" करके "सांप्रदायिक हितों" की तलाश कर रहा है और देश को "भ्रम, अराजकता और भ्रष्टाचार" में डुबो रहा है। .

आरएसएस के वार्षिक विजय दशमी कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि ये "विनाशकारी ताकतें" खुद को "जागृत" कहती हैं और कुछ "ऊंचे लक्ष्यों" के लिए काम करने का दावा करती हैं। लेकिन उनका असली लक्ष्य दुनिया में संयम को बाधित करना है।"

मोहन भागवत ने कहा- "भारत के उत्थान का उद्देश्य हमेशा विश्व का कल्याण रहा है। लेकिन, स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों की तलाश में सामाजिक एकता को बाधित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए भी अपने प्रयास कर रही हैं। वे विभिन्न लबादे पहनते हैं। इनमें से कुछ विनाशकारी हैं ताकतें खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या "जागृत" कहती हैं।'' 

अयोध्या में 22 जनवरी को खुलेगा राम मंदिर

संघ प्रमुख ने इस मौके पर ऐलान किया कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर जनता दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया जाएगा। उसी दिन गर्भ गृह में राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी। हम लोगों को 22 जनवरी को देशभर में मंदिरों में राम की मूर्ति की स्थापना के कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।

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