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आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन किया, क्या विपक्ष का दबाव काम कर गया

आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन किया, क्या विपक्ष का दबाव काम कर गया

बीजेपी के वैचारिक मुखौटे आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन किया है और कहा है कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। इसका चुनाव में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर जाति जनगणना के लिए दबाव बनाए हुए थे। विपक्ष के दबाव में आरएसएस का झुकना पड़ा है। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद जाति जनगणना का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने समय-समय पर इसके खिलाफ बयान दिया है। 

विपक्ष ने गरीबों की भावनाओं से खेला और समाज को जाति के आधार पर बांट दिया। वे अब भी यह पाप कर रहे हैं।


-नरेंद्र मोदी, पीएम, 3 अक्टूबर 2023 ग्वालियर की जनसभा में सोर्सः पीटीआई

पीएम मोदी का यह बयान मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उस समय आया था, जब बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू और आरजेडी-कांग्रेस का गठबंधन था। नीतीश कुमार ने बिहार की जाति जनगणना कराई थी। नेता विपक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरजेडी के तेजस्वी यादव लंबे समय से देशव्यापी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। लेकिन भाजपा इसके विरोध में थी। लेकिन सोमवार 2 सितंबर 2024 वो ऐतिहासिक दिन बन गया है, जब आरएसएस ने जाति जनगणना का तमाम किन्तु-परन्तु के साथ समर्थन कर दिया है। देखना है कि भाजपा और पीएम मोदी अब क्या पैंतरा बदलते हैं। क्योंकि अभी तक राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे थे। राहुल ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा था कि सरकार को जाति जनणना तो करानी ही होगी। इसे हम लेकर रहेंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने देशव्यापी जाति जनगणना की वकालत करते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे 'राजनीतिक उपकरण' के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। केरल के पलक्कड़ में तीन दिवसीय सम्मेलन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने सोमवार को कहा, "जाति जनगणना एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है। इसे बहुत गंभीरता से निपटाया जाना चाहिए। कभी-कभी, सरकार को संख्या की जरूरत होती है और उसने पहले भी इसी तरह की प्रेक्टिस की हैं।"

संघ के मुख्य प्रवक्ता अंबेकर ने कहा-  "लेकिन यह (जाति जनगणना) केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण को फायदा पहुंचाने के लिए होनी चाहिए। इसका इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण या चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए।" संघ की यह टिप्पणी विपक्षी इंडिया गठबंधन की राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने की लंबे समय से लंबित मांग की पृष्ठभूमि में आई है, जबकि इस बात पर जोर दिया गया है कि इससे सरकार को विभिन्न समुदायों के लिए उनकी आबादी के आधार पर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

जातियों के वर्गीकरण पर क्या कहाः आरएसए के मुख्य प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उप-वर्गीकरण की दिशा में कोई भी कदम संबंधित समुदायों की सहमति के बिना नहीं उठाया जाना चाहिए। एससी/एसटी समूहों के विरोध को देखते हुए भाजपा समेत राजनीतिक दल इस मुद्दे पर कोई रुख अपनाने से कतरा रहे हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों आदेश दिया था कि एससी-एसटी जातियों में उपजातियों का वर्गीकरण हो, ताकि हाशिए पर पड़े अति दलित जातियों को भी इसका फायदा मिले। लेकिन दलित राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसका विरोध किया। हाल ही में बसपा की मदद से दलित संगठनों ने इसके खिलाफ भारत बंद का भी आयोजन किया था।

आरएसएस प्रचार प्रभारी सुनील अंबेकर ने पत्रकारों से कहा: “आरएसएस सोचता है कि निश्चित रूप से, सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए, विशेष रूप से ऐसे समुदायों या जातियों को टारगेट करने वालों के लिए जो पिछड़ रहे हैं - जिनके लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। कभी-कभी सरकार को आंकड़ों की जरूरत पड़ती है, यह एक अच्छी तरह से स्थापित प्रथा है। पहले भी वह (सरकार) ऐसा डेटा ले चुकी है और इसलिए वह दोबारा ऐसा कर सकती है। लेकिन यह उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए। इसे चुनाव के लिए राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए हमने इसे सभी के लिए सावधानी के साथ सामने रखा है।''

एक हिंदू समाज के रूप में, जाति और जाति संबंध संवेदनशील मुद्दे हैं। यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिए, इसे बहुत संवेदनशीलता से निपटाया जाना चाहिए न कि चुनाव या चुनावी प्रथाओं और राजनीति के आधार पर।


-सुरेश अंबेकर, राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता आरएसएस, 2 सितंबर 2024 सोर्सः पीटीआई

राहुल गांधी ने 'एक्स' पर लिखा था, ''मोदीजी, अगर आप जाति जनगणना रोकने की सोच रहे हैं, तो आप दिवास्वप्न देख रहे हैं। अब इसे कोई ताकत नहीं रोक सकती! हिंदुस्तान का आदेश आ गया है - जल्द ही 90% भारतीय समर्थन करेंगे और मांग करेंगे जाति जनगणना करायी जाए। अभी आदेश लागू करें, नहीं तो आप अगले प्रधान मंत्री को ऐसा करते हुए देखेंगे।" कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मांग को ठोस रूप में रखते हुए हाल ही में इलाहाबाद में कहा था-  यह समाज के लिए एक 'एक्स-रे' की तरह है और यह 'सीधे संविधान की रक्षा से जुड़ा हुआ है'।

गांधी परिवार में सिर्फ राहुल ने ही नहीं बल्कि उनकी मां सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा ने भी जाति जनगणना का समर्थन किया है। देश की इस सबसे पुरानी पार्टी ने इसे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया था।

मोदी ने बताई थीं 4 जातियां

मोदी ने 1 दिसंबर 2023 को कहा था कि विपक्ष देश को जातियों में बांटना चाहता है। लेकिन उनकी नजर में सिर्फ 4 जातियां हैं। ये हैं- गरीब, युवा, महिलाएं और किसान जो "सबसे बड़ी जातियां" हैं। मोदी ने यह बयान 2023 में पांच में से तीन राज्यों में जीत हासिल करने के बाद दिया था। मोदी ने कहा थाः “मेरे लिए केवल चार जातियाँ हैं- महिला, युवा, किसान और गरीब। उन्हें सशक्त बनाने से देश मजबूत होगा। हमारे ओबीसी और आदिवासियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इन्हीं वर्गों से आता है। आज हर गरीब, वंचित, हर किसान, आदिवासी, नौजवान कह रहा है कि वह जीत गया। पहली बार मतदान करने वाला कह रहा है कि उसके वोट से जीत हुई है। हर महिला को लगता है कि वह जीत गई है। यह उनके बेहतर भविष्य की जीत है।”

जाति जनगणना के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के नेतृत्व में विपक्ष एकजुट तो है ही लेकिन भाजपा के नेतृत्व वावे एनडीए के दो दलों जेडीयू और एलजेपी (रामविलास पासवान) ने इसका समर्थन किया है। बिहार में जेडीयू के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले साल राज्य में जाति सर्वेक्षण कराया था। हालांकि बीजेपी ने जातिगत जनगणना की मांग का खुलकर विरोध नहीं किया है, लेकिन कोई प्रतिबद्धता भी नहीं जताई है।

 

जाति जनगणना के लिए आरएसएस का मौन समर्थन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा ने पहले इसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में "हिंदुओं को एकजुट करने" के अपने प्रयासों के विपरीत, "हिंदू समाज को विभाजित करने" के कांग्रेस के प्रयास के रूप में नारा दिया था। हालाँकि, भाजपा की योजना को हाल के लोकसभा चुनावों में झटका लगा, जहाँ विपक्ष ने अपने संदेश के साथ जोरदार प्रचार किया कि भारी बहुमत आने पर मोदी सरकार संविधान और आरक्षण में बदलाव कर सकती है, जिससे एससी/एसटी का आरक्षण खत्म किया जा सके।

जाति जनगणना को एक कल्याणकारी कदम के रूप में बताने वाले आरएसएस ने भाजपा को अब एक रास्ता सुझाया है। जिससे मोदी सरकार हिंदू धर्म के भीतर विविध समुदायों को खुश करने के लिए एक बीच का रास्ता खोज सकती है। अंबेकर ने जोर देकर कहा कि संघ हिंदू एकता के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार काम करता है। हम अपने संविधान का 75वां वर्ष मना रहे हैं। हमारा संविधान न्याय, समानता, भाईचारे की बात अच्छी तरह से करता है। लेकिन इस बात को रेखांकित किया गया है कि राष्ट्र की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए भाईचारा होना चाहिए। 

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