केंद्रीय सेवाओं में लैटरल एंट्री से आरएसएस के लोग लाए जा रहे हैंः राहुल गांधी
केंद्र में शीर्ष सरकारी पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए लोगों को भर्ती किए जाने के केंद्र के ताजा प्रयास पर हमला करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और संविधान को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। राहुल ने कहा कि यूपीएस के माध्यम से पारंपरिक भर्ती प्रक्रिया को दरकिनार करके आईएएस को प्राइवेट कर रही है। गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों की भर्ती इन सेवाओं में कर रही है।
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, "केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती करके एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है।"
उन्होंने चिंता जताई कि शीर्ष नौकरशाही पदों पर एससी-एसटी-ओबीसी का प्रतिनिधित्व पहले से ही कम है, और यह नई नीति उन्हें और बाहर कर देगी, जिससे सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतिभाशाली युवा अपने उचित अवसरों से वंचित हो जाएंगे।
राहुल गांधी का बयान मोदी सरकार के लैटरल एंट्री के नए प्रयास के जवाब में आया है, जहां 45 विशेषज्ञ विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे प्रमुख पदों पर शामिल होंगे। परंपरागत रूप से, ये पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य समूह ए सेवाओं के अधिकारियों द्वारा भरे जाते हैं। लेकिन मोदी सरकार ने इन सेवाओं में आरक्षण को दरकिनार करके अपनी पसंद से कैंडिडेट्स की भर्ती करेगी। ऐसे में राहुल गांधी का आरोप सोचने पर मजबूर तो करता ही है।
राहुल गांधी ने चेतावनी दी कि लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती "प्रतिभाशाली युवाओं के अधिकारों पर डकैती" और सामाजिक न्याय की अवधारणा पर सीधा हमला है। कांग्रेस नेता ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधि प्रमुख सरकारी पदों पर रहकर क्या करते हैं, इसका एक प्रमुख उदाहरण सेबी है। जहां पहली बार निजी क्षेत्र के एक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है।" अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगे हैं। उनका अडानी समूह से गठजोड़ पाया गया है। हालांकि बुच और अडानी ने आरोपों से इनकार किया लेकिन बुच ने यह माना कि 2015 में उन्होंने उनके पति धवल बुच के बचपन के दोस्त के जरिए अडानी समूह में निवेश किया था।
राहुल से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी केंद्र के इस कदम को एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को महत्वपूर्ण सरकारी भूमिकाओं से किनारे करने का "जानबूझकर किया गया प्रयास" बताया। उन्होंने भाजपा पर "आरक्षण पर दोहरा हमला" करने का आरोप लगाया, जिसमें कहा गया कि लैटरल भर्ती प्रक्रिया हाशिए पर रहने वाले समुदायों को इन पदों तक पहुंचने से बाहर करने के लिए बनाई गई है।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी मोदी सरकार के इस कदम की आलोचना की है और इसे पिछले दरवाजे से अपने वैचारिक सहयोगियों (संघ परिवार) को उच्च पदों पर नियुक्त करने की भाजपा की "साजिश" करार दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर 2 अक्टूबर से आंदोलन की चेतावनी भी दी है।