
औरंगजेब विवाद और मुस्लिम आरक्षण पर आरएसएस ने अब ये कहा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने धर्म-आधारित आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। यह बयान कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर बहस के बीच आया है। RSS ने भारतीय संविधान का हवाला देते हुए कहा, “बाबासाहेब आम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान में धर्म-आधारित आरक्षण स्वीकार नहीं किया गया है।”
RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि धर्म-आधारित आरक्षण भारतीय संविधान के निर्माता बी. आर. आम्बेडकर के विचारों के खिलाफ है। दत्तात्रेय होसबाले ने यह बात बेंगलुरु में रविवार 23 मार्च को कही। बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का रविवार को समापन हो गया। सभा शुक्रवार से शुरू हुई थी। प्रतिनिधि सभा संघ का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है।
रविवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा, “धर्म-आधारित आरक्षण स्वीकार करने वाले लोग हमारे संविधान निर्माता के खिलाफ जा रहे हैं।”
RSS नेता ने यह भी बताया कि पहले अविभाजित आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में मुसलमानों के लिए धर्म-आधारित आरक्षण शुरू करने के प्रयासों को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
कर्नाटक विधानसभा में मुसलमानों को सार्वजनिक ठेकों में 4% आरक्षण देने वाला एक विधेयक पारित किया गया।
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (KTPP) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसमें मुसलमानों के लिए 2 करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों और 1 करोड़ रुपये तक के सामान/सेवा खरीद ठेकों में 4 प्रतिशत आरक्षण तय किया गया। यह घोषणा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने 2025-26 के बजट में 7 मार्च को की थी।
कर्नाटक में आरएसएस और BJP ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और इसे “असंवैधानिक” और “तुष्टिकरण की राजनीति” का उदाहरण बताया है। BJP नेताओं का तर्क है कि इस तरह का धर्म-आधारित कोटा अन्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। विधेयक के पारित होने के दौरान कर्नाटक विधानसभा में काफी हंगामा हुआ, जिसमें BJP विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया।
औरंगजेब विवाद पर भी बोलाः महाराष्ट्र में 17वीं सदी के मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे को लेकर विवाद पर एक सवाल के जवाब में RSS नेता होसबाले ने टिप्पणी की कि औरंगजेब को एक प्रतीक बनाया गया, न कि उनके भाई दारा शिकोह को, जो सामाजिक सद्भाव में विश्वास करते थे।
उन्होंने कहा कि भारत के ethos (नैतिकता) के खिलाफ जाने वाले लोगों को प्रतीक बनाया गया। होसबाले ने मुगल सम्राट अकबर का विरोध करने वाले राजपूत राजा महाराणा प्रताप जैसे व्यक्तियों की प्रशंसा की। RSS नेता ने दावा किया कि “आक्रमणकारी मानसिकता” वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा, “हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए जो भारतीय ethos के साथ हैं।”
बेंगलुरु में क्या संकल्प लियाः आरएसएस ने अपने प्रस्ताव में बिना किसी भेदभाव वाले समाज, मूल्य-आधारित परिवार और सामंजस्यपूर्ण हिंदू समाज के निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित किया। बेंगलुरु में आरएसएस ने संघ शताब्दी के अवसर पर विश्व शांति और समृद्धि के लिए एक सामंजस्यपूर्ण और संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प जताया है।
यह संकल्प बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) में लिया गया।
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को एबीपीएस बैठक के तीसरे और अंतिम दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इस प्रस्ताव को जारी किया।प्रस्ताव में कहा गया है, "सनातन काल से ही हिंदू समाज मानव एकता और सार्वभौमिक कल्याण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक लंबी और अद्भुत यात्रा में लीन रहा है। संतों, ऋषियों और महान व्यक्तित्वों, जिनमें गौरवशाली महिलाएं भी शामिल हैं, के आशीर्वाद और प्रयासों से हमारा राष्ट्र कई उथल-पुथल के बावजूद आगे बढ़ता रहा है।"
प्रस्ताव में कहा गया है, "एबीपीएस दुनिया के सामने एक सामंजस्यपूर्ण और संगठित भारत का आदर्श प्रस्तुत करने का संकल्प लेती है, जिसमें पूरे समाज को धर्मनिष्ठ लोगों के नेतृत्व में एक साथ लिया जाएगा।" आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार (21 मार्च) को संघ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था एबीपीएस की तीन दिवसीय बैठक का उद्घाटन किया।