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जेएनयू हिंसा से आरएसएस को एबीवीपी की बदनामी की चिंता?

जेएनयू हिंसा से आरएसएस को एबीवीपी की बदनामी की चिंता?

नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए विवाद को दूर करने के ‘उपाय’ तलाश रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस जेएनयू के ताज़ा घटनाक्रम को लेकर ख़ासा ‘चिंतित’ बताया जा रहा है।

नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए विवाद को दूर करने के ‘उपाय’ तलाश रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस जेएनयू के ताज़ा घटनाक्रम को लेकर ख़ासा ‘चिंतित’ बताया जा रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की अगुवाई में क़रीब चार सौ पदाधिकारी इन दिनों मध्य प्रदेश के इंदौर में जुटे हुए हैं। ख़बर है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिल्ली के दो पदाधिकारियों ने जेएनयू घटनाक्रम को लेकर भागवत के समक्ष कैफियत (ब्यौरा) दी है।

मध्य प्रदेश का मालवांचल आरएसएस के गढ़ के तौर पर जाना जाता है। इंदौर में जुटे संघ के पदाधिकारी तमाम मुद्दों पर विमर्श कर रहे हैं। इस विमर्श में सबसे प्रमुख मुद्दा सीएए है। संघ के अलावा बीजेपी भी सक्रिय है। मध्य प्रदेश के दर्जनों बीजेपी नेताओं को सीएए को लेकर कथित तौर पर विपक्ष द्वारा फैलाये जा रहे ‘भ्रम’ को दूर करने की महती ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुवाहटी भेजा गया। शिवराज सिंह सीएए के पक्ष में बात रखने के लिए जयपुर, चंडीगढ़, तिरूपति और गोवा भी गये हैं। मध्य प्रदेश के अन्य नेता भी मध्य प्रदेश और अन्य सूबों में सीएए को लेकर जनता के बीच ‘सफ़ाई’ देने में जुटे हुए हैं।

सीएए को लेकर आरएसएस पूरी योजना बना पाता इससे पहले जेएनयू में विवाद हो गया। वहाँ हुई हिंसा का मुद्दा भी अब संघ के इंदौर अधिवेशन का ‘हाॅट टाॅपिक’ बन चुका है। पता चला है कि सोमवार की बैठक में यह मसला विमर्श का प्रमुख हिस्सा रहा। यह जानकारी भी सामने आयी है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी की दिल्ली इकाई के दो पदाधिकारी कल इंदौर पहुँचे थे। 

जेएनयू घटनाक्रम को लेकर एबीवीपी के पदाधिकारियों ने संघ के सामने न केवल ‘कैफियत’ दी, बल्कि समूचा घटनाक्रम भी संघ के पदाधिकारियों के सामने रखा। हालाँकि संघ का कोई भी पदाधिकारी और एबीवीपी के लोग इस मसले पर मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं। एबीवीपी के एक पदाधिकारी ने ‘सत्य हिन्दी’ से ऑफ़ द रिकॉर्ड इतना भर कहा, ‘ताज़ा मुद्दों पर आँखें तो बंद नहीं की जा सकती हैं।’

सूत्रों का कहना है कि जेएनयू के घटनाक्रम से आरएसएस ‘चिंतित और आहत’ है। संघ की चिंता संगठन का नाम और विचारधारा की बदनामी को लेकर होना बताया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि संघ ने निर्देश दिए हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो जिससे विचारधारा बदनाम हो या उसके दामन पर दाग लगें।

बता दें कि जेएनयू में हिंसा को लेकर मध्य प्रदेश में भी लोगों ने ज़बरदस्त प्रतिक्रिया दी है। इनमें नेता से लेकर समाजसेवी तक शामिल हैं। मध्य प्रदेश से आने वाले और नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने जेएनयू की घटना को लेकर एक ट्वीट किया, ‘विश्वविद्यालयों में हिंसा, अराजकता और भय बढ़ रहा है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करता हूँ कि वह तुरंत देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्र संघों और राष्ट्रीय छात्र संगठनों से सीधा संवाद करें।’

राज्यसभा के सदस्य और मध्य प्रदेश के पूर्व एडवोकेट जनरल विवेक तन्खा ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा, ‘इस गुंडागर्दी के पीछे बीजेपी और उससे जुड़ी संस्थाओं का हाथ है। हमारा सिर शर्म से झुक गया है। प्रजातंत्र के लिए इससे खौफनाक दिन नहीं हो सकता। हमारे देश की नागरिक आज़ादी ख़तरे में है।’

दिग्विजय ने माँगा शाह से इस्तीफ़ा

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर गृहमंत्री अमित शाह से जेएनयू के घटनाक्रम पर इस्तीफ़ा माँगा है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘जेएनयू के छात्राओं के हॉस्टल में एबीवीपी के गुंडों ने जो मारपीट की, वह निंदनीय है। दिल्ली पुलिस देखती रही। क्या भारत के गृह मंत्री की ज़िम्मेदारी नहीं बनती। गृह मंत्री गुंडों पर सख़्त कार्रवाई करें या इस्तीफ़ा दें।’

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