सनातन विवाद के बीच पुणे में आज से RSS-भाजपा की रणनीतिक बैठक
पुणे में गुरुवार से शुरू होने वाली आरएसएस और भाजपा सहित उसके 36 सहयोगी संगठनों की तीन दिवसीय समन्वय बैठक में राष्ट्र, धर्म और संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब सनातन धर्म का मुद्दा भाजपा जोरशोर से उठा रही है।
भाजपा-आरएसएस इस बैठक को लेकर मीडिया में बहुत ज्यादा प्रचार नहीं कर रहे हैं। अन्यथा ऐसे बैठकों की मीडिया कवरेज को दोनों ही संगठन बहुत महत्व देते हैं। बैठक 16 सितंबर को समाप्त होगी। आरएसएस के संचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने कहा कि इसमें "वर्तमान राष्ट्रीय और राजनीतिक विकास और सामाजिक परिवर्तन के लिए काम कर रहे आरएसएस-प्रेरित संगठनों द्वारा संभाले जा रहे प्रमुख मुद्दों" पर चर्चा होगी। इस बैठक में भाजपा का प्रतिनिधित्व पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष करेंगे। आरएसएस की ओर से बीएल संतोष भाजपा में भेजे गए हैं जो संघ और भाजपा के बीच समन्वय का भी काम करते हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में सनातन धर्म के खिलाफ डीएमके नेताओं की टिप्पणियों पर भाजपा-इंडिया गठबंधन के बीच तीखी नोकझोंक पर चर्चा होगी। संघ अपने प्रमुख पदाधिकारियों के जरिए संघ कैडर को यह निर्देश जारी करेगा कि इस पर आगामी रणनीति क्या होगी। बैठक में देश का नाम इंडिया से भारत करने पर औपचारिक चर्चा होने की उम्मीद है। हाल ही में हुए जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के कदमों की तारीफ हो सकती है। हालांकि अभी ये विषय सूची में नहीं है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बैठक की अध्यक्षता करेंगे। भागवत ने हाल ही में इंडिया के बजाय भारत नाम के इस्तेमाल की वकालत की थी। बैठक में आर्थिक नीतियों पर भी विचार किया जाएगा, जिसमें आत्मनिर्भरता पर जोर दिया जाएगा। सुनील अंबेकर ने कहा, "राम मंदिर निर्माण के कार्य में लगी विहिप अपने अनुभव साझा करेगी, साथ ही शिक्षा और पर्यावरण जैसे अपने संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले अन्य संगठन भी अपने अनुभव साझा करेंगे।"
भारतीय मजदूर संघ, एबीवीपी और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास बैठक में शामिल होंगे। वैसे संघ के 36 अनुषांगिक संगठन हैं जो इसमें शामिल होंगे।
विभिन्न राज्यों में चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले व्यापक राजनीतिक और वैचारिक रणनीति तैयार करने पर भी इस बैठक में चर्चा होने वाली है। संकेत है कि 2024 चुनाव के मद्देनजर आक्रामक रणनीति की जरूरत पड़ सकती है।
हालांकि आधिकारिक तौर पर सुनील अंबेकर का यही कहना है कि देश, धर्म और संस्कृति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और अपनाए जाने वाले वैचारिक रुख पर भी विचार किया जाएगा।
कहने के लिए ऐसी बैठक साल में एक बार होती है लेकिन इस बार की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है कि इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। जिसमें तीन हिन्दी बेल्ट के राज्य (एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) हैं। भाजपा अपनी स्थिति हिन्दी बेल्ट में मजबूत मानती है लेकिन एमपी में सरकार वापसी के लिए उसे नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। एमपी और राजस्थान में पार्टी के अंदर खुली बागवत हो रही है। छत्तीसगढ़ में पार्टी ने एक बार भी जीत का दावा नहीं किया है। पांच राज्यों के चुनाव दिसंबर में खत्म होंगे। जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन है। उसके बाद 2024 आम चुनाव का बिगुल बज जाएगा। ऐसे में आरएसएस पर तमाम तरह की जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ने वाला है। पुणे बैठक में उसी की रणनीति बनेगी।