पूर्व पत्रकार और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का यह दावा कितना सही है कि उन्होंने कृषि विधेयकों के दौरान मत-विभाजन इसलिए नहीं कराया कि इसकी माँग करने वाले अपनी सीट पर नहीं थे उन्होंने विधेयक तो ध्वनि-मत से पारित कर ही दिया, सांसदों के व्यवहार से इतने दुखी हुए कि पहले राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू और उसके बाद राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख डाली।
लेकिन मीडिया में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो हरिवंश झूठ बोल रहे हैं, मत विभाजन की मांग करने वाले कम से कम दो सांसद अपनी-अपनी सीट पर ही थे। नियम के मुताबिक़ एक सांसद भी मत विभाजन की मांग करे तो पीठासीन अधिकारी इसके लिए बाध्य हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने राज्यसभा टेलीविज़न के फुटेज का विश्लेषण कर एक ख़बर लिखी है जो हरिवंश को ग़लत साबित करती है।
सच क्या है
राज्यसभा की दोपहर 1 बजे से 1.26 तक की कार्यवाही देखने से यह साफ है कि मत विभाजन और संशोधन की मांग करने वाले कम से कम दो सांसद तिरुची सिवा और सीपीआईएम के के. के रागेश उस समय अपनी सीट पर थे जब उन्होंने मत विभाजन की मांग की थी।1 बजे : राज्यसभा के उप सभापति ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि 1 बज गए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन का समय बढ़ाने को कहा।
उप सभापति ने सदन में पूछा कि क्या विधेयक पर काम पूरा होने तक सदन चलती रहनी चाहिए। कांग्रेस के जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने इस पर सहमति जताई। सिवा ने कहा कि सदन से पूछा जाना चाहिए। उप सभापति ने कहा कि सदन का काम चलते रहने पर सहमति दिखती है।
कुछ सदस्य उप सभापति के आसन की ओर बढ़ते दिखते हैं।
1.03 : सदन में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि यदि सदन का समय बढ़ाया जाता है तो यह आम सहमति के आधार पर ही होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सदस्य चाहते हैं कि सदन का समय नहीं बढ़ाया जाए और मंत्री कल जवाब दें।
1.07 : विपक्ष की नारेबाजी के बीच उप सभापति विधेयक पारित होने के पहले की क़ानूनी ज़रूरतें पूरी करने लगते हैं।
उस सभापति सीपीआईएम के के. के. रागेश को पुकारते हैं, जिन्होंने एक प्रस्ताव रखा था। वह आसन के पास तक पहुँच गए सदस्यों से कहते हैं कि वे गैलरी में अपनी सीट पर चले जाएं।
1.09 : उप सभापति विधेयक को सेलेक्ट कमिटी में भेजने के तृणमूल सदस्य डेरेक ओ ब्रायन का प्रस्ताव लेते हैं। यह प्रस्ताव गिर जाता है। इस बीच मत विभाजन की मांग सुनाई पड़ती है।
दो सेकंट के लिए आवाज़ गायब हो जाती है।
उप सभापति कहते हैं कि मत विभाजन की माँग सदस्यों को अपनी सीट से करनी चाहिए।
1.10 : डीएमके के तिरुचि सिवा अपनी सीट से ही विधेयक को सेलेक्ट कमिटी भेजने की मांग करते हैं। ध्वनि मत से यह प्रस्ताव गिर जाता है। टीवी फुटेज में साफ दिखता है कि सिवा अपनी सीट पर खड़े हैं और हाथ उठा कर मत विभाजन की मांग कर रहे हैं।
डेरेक ओ ब्रायन रूल बुक हाथ में लेकर उप सभापति के पास जाते हैं। वह चिल्ला कर कहते हैं, 'आप ऐसा नहीं कर सकते, नियम क्या है' सिवा अभी भी अपनी सीट पर ही खड़े हैं।
1.11 : उप सभापति विधेयक के एक -एक क्लॉज पर बात करते हैं। वह क्लॉज दो पर रागेश के संशोधन की मांग करते हैं। संशोधन ध्वनि मत से खारिजो हो जाता है।
1.12 : टीवी फुटेज में दिखता है कि रागेश अपनी सीट पर ही हैं, सिवा अपनी सीट पर ही कागज फाड़ते हुए दिखते हैं। शोरगुल बढ़ जाता है।
1.13 : अज्ञात सदस्य सभापति की मेज पर लगे माइक्रोफोन को उखाड़ने की कोशिश करते हैं।
1.14 : ऑडियो चला जाता है।
1.26 : सदन 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया जाता है।
रागेश ने कहा, 'मैं वेल में उस समय गय जब उप सभापति ने सदन का समय बढ़ा दिया था। लेकिन जब उप सभापित विधेयक से जुड़े प्रस्तावों को लेने लगे, मैं दौड़ कर अपनी सीट पर गया। जब मैंने विधेयक को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग की, अपनी सीट पर ही था। मैं चिल्ला कर मत विभाजन की मांग की, पर उप सभापति ने मेरी ओर देखा तक नहीं। जब उन्होंने मेरी ओर देखा, मेरे माइक्रोफोन में आवाज आ गई थी, मैंने फिर चिल्ला कर मत विभाजन की मांग की।'
इस फुटेज से साफ है कि जिस समय सदस्यों ने विधेयक को सेलेक्ट कमिटी भेजने की मांग की, वे अपनी सीट पर थे। इसके बावजूद हरिवंश ने ध्वनि मत से ही खारिज कर दिया।
इसके बावजूद हरिवंश ने अगले दिन सदन में शोरगुल मचाने पर 8 सदस्यों को निलंबित कर दिया। इसके वाद वे सदस्यों के व्यवहार से इतने दुखी हुए कि सभापित और राष्ट्रपति को चिट्ठ लिखी।