कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे एन.डी. तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी (40) की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई थी बल्कि गला और नाक दबाकर उनकी हत्या की गई थी। रोहित की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। बताया जाता है कि रोहित की गर्दन पर 5 उंगलियों के निशान मिले हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि हत्या से पहले उन्हें नशीला पदार्थ पिलाया गया और बेहोश होने पर उनकी हत्या की गई। अब सवाल यह उठ रहा है कि आख़िर रोहित की हत्या क्यों की गई और किसने की रोहित के पिता एन. डी. तिवारी यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़, रोहित की मौत का समय 15-16 अप्रैल की रात 1:30 बजे के आसपास का बताया जाता है। जबकि उन्हें 16 अप्रैल को शाम क़रीब 5 बजे अस्पताल ले जाया गया। रोहित की मौत की ख़बर सामने आने के बाद से ही यह मामला संदिग्ध दिखाई दे रहा था। यह माना जा रहा था कि यह स्वाभाविक मौत नहीं है, रोहित की हत्या हुई है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह बात सही साबित हुई है।
पुलिस के मुताबिक़, रोहित 11 अप्रैल को उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में अपना वोट डालने गए थे और 15 अप्रैल की रात क़रीब 11 बजे वह डिफ़ेंस कॉलोनी स्थित अपने घर पहुँचे थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 15 अप्रैल यानी सोमवार रात 11 बजे से मंगलवार यानी 16 अप्रैल शाम 4 बजे तक घर के किसी भी सदस्य ने उनके बारे में क्यों नहीं पूछा जानकारी के मुताबिक़, घर के नौकरों और परिजनों से पुलिस ने जब पूछताछ की तो अलग-अलग जानकारियाँ सामने आईं। एक नौकर ने कहा कि रोहित नशे में थे तो दूसरे ने कहा कि वह शराब पीते ही नहीं थे। मामले में 10 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।
रोहित की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आते ही दिल्ली के डिफ़ेंस कॉलोनी थाने में हत्या यानी आईपीसी की धारा 302 के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है और मामले की जाँच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी है।
शुक्रवार को क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने रोहित के डिफेंस कॉलोनी स्थित घर में आकर उनके परिजनों से पूछताछ की। रोहित अपनी माँ, पत्नी और चचेरे भाई के साथ इसी घर में रहते थे।
बता दें कि रोहित ने ख़ुद को एन.डी.तिवारी का बेटा साबित करने के लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। मृत्यु से कुछ साल पहले कोर्ट के आदेश पर तिवारी ने उन्हें अपना बेटा मान लिया था और उनकी माँ उज्जवला से शादी की थी। तिवारी अपने अंतिम समय में रोहित और उज्जवला के साथ ही रहे थे। रोहित राजनीति में करियर बनाना चाहते थे और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुए थे। लेकिन बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया था। उसके बाद भी रोहित अपनी सियासी ज़मीन मजबूत करने के लिए लगातार उत्तराखंड के दौरे कर रहे थे।