बिहार की राजनीति में हुए एक बड़े घटनाक्रम में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरजेडी के साथ गठबंधन ख़त्म करने का एलान किया है। दोनों दलों के रिश्तों में खटास तब आई थी, जब कुछ दिन पहले दो सीटों- कुशेश्वर आस्थान और तारापुर सीट पर उपचुनाव के लिए आरजेडी ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया था।
जबकि कांग्रेस ने पहले ही एलान किया था कि कुशेश्वर आस्थान सीट पर वह चुनाव लड़ेगी। उसका कहना था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट महागठबंधन के सीट बंटवारे में उसके खाते में गई थी।
आरजेडी के द्वारा उम्मीदवार खड़े करने के बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे।
बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दास ने कहा कि अगर आरजेडी कांग्रेस को सम्मान नहीं दे सकती तो कांग्रेस उसे कैसे सम्मान देगी। उन्होंने कहा कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ख़ुद को मज़बूत करने पर ध्यान दे रही है।
उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के उस बयान को भी हवा में उड़ा दिया, जिसमें तेजस्वी ने कहा था कि उपचुनाव वाली दोनों सीटों पर दोस्ताना लड़ाई है।
कन्हैया से है उम्मीद
भक्त चरण दास ने उम्मीद जताई कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार में कांग्रेस मज़बूत होगी। उन्होंने कहा कि कन्हैया बिहार के ऊर्जावान नेता के रूप में सामने आएंगे। राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा है कि कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से आरजेडी ख़ुश नहीं है। और इसके बाद से ही दोनों दलों के बीच खटपट शुरू हो गयी थी।
कांग्रेस ने हाल ही में असम में अपने सहयोगी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। आरजेडी के साथ भी गठबंधन तोड़ने के बाद कांग्रेस के पास ग़िने-चुने मजबूत सहयोगी रह गए हैं।
कैसे बनेगा एंटी बीजेपी फ्रंट?
कांग्रेस के पास ताज़ा हालात में एनसीपी, डीएमके जैसे ग़िने-चुने बड़े सहयोगी दल हैं। इसमें भी एनसीपी के साथ उसके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं। जिस तरह ममता बनर्जी कांग्रेस के नेताओं को तोड़ रही हैं और कांग्रेस का अपने सहयोगी दलों से गठबंधन टूट रहा है, ऐसी स्थिति में एंटी बीजेपी फ्रंट का बन पाना आसान नहीं होगा।
महाराष्ट्र से लेकर असम और बिहार तक यह बात साफ दिखाई देती है कि कांग्रेस राष्ट्रीय दल होने के नाते अपने सहयोगियों के सामने बहुत ज़्यादा झुकने के लिए तैयार नहीं दिखती।
निशाने पर रही थी कांग्रेस
बिहार विधानसभा चुनाव में ख़राब प्रदर्शन को लेकर महागठबंधन में शामिल आरजेडी और वाम दलों ने कांग्रेस पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सिर्फ़ 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़कर 16 सीटें झटक ली थी। तब कांग्रेस की इस बात के लिए ख़ूब आलोचना हुई थी कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही बिहार में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बन गई।