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पीएम मोदी को काला झंडा दिखाने वाली रीता यादव की स्टोरी जानना क्यों जरूरी है?

पीएम मोदी को काला झंडा दिखाने वाली रीता यादव की स्टोरी जानना क्यों जरूरी है?

यूपी के सुल्तानपुर में आज कांग्रेसी नेता रीता यादव को गोली मार दी गई। यह घटना शेष देश के लिए मामूली है। लेकिन इस घटना से यूपी की कानून व्यवस्था का पता चलता है। इसलिए रीता यादव की पूरी कहानी पढ़िए।

यूपी की यह घटना छोटी है, जो किसी राष्ट्रीय अखबार या चैनल की सुर्खियां नहीं बनेगी, लेकिन इस घटना को बताया जाना इसलिए जरूरी है कि इससे यूपी की कानून व्यवस्था का पता चलता है। इससे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जो दावे यूपी सरकार और उसके राष्ट्रीय नेता करते हैं, उससे पता चलता है। यह छोटी सी घटना सुल्तानपुर में एक कांग्रेस नेता को गोली मारने से संबंधित है।

हुआ यह है कि कांग्रेसी नेता रीता यादव आज शाम को जब लखनऊ-वाराणसी बाईपास से होकर पार्टी के लिए बैनर पोस्टर बनवाने जा रही थीं तो लंभुआ के पास उनकी बोलेरो गाड़ी को ओवरटेक करके रोका गया। तीन-चार बदमाशों ने उनके ड्राइवर पर पिस्टल तान दी। रीता यादव ने आपत्ति की, तब भी वे नहीं माने। इस पर रीता यादव ने एक बदमाश को चांटा जड़ दिया। बौखलाये बदमाशों ने रीता यादव के पैर पर गोली मार दी। 

रीता यादव को फौरन अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में पुलिस अधिकारियों ने उनसे सारी जानकारी ली। रीता यादव ने पुलिस को बताया कि वो उन बदमाशों को नहीं जानतीं। पुलिस उनके ड्राइवर से इस संबंध में जानकारी ले रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह रोड रेज की घटना नहीं थी। बदमाशों ने बाकायदा गाड़ी को रोककर इस घटना को अंजाम दिया था।यूपी में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह आपराधिक घटना पूरे प्रदेश में न सही लेकिन सुल्तानपुर जिले में असर जरूर डालेगी। सुल्तानपुर और अमेठी इस समय राजनीतिक हॉट स्पॉट बने हुए हैं। यहां पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यक्रम होते ही रहते हैं। आज भी अमेठी में ईरानी और सीएम योगी आए थे।

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अभी यह साफ नहीं है कि यह घटना राजनीतिक है या आपराधिक। रीता यादव भी इस तथ्य से अनजान हैं। पुलिस भी घटना का कारण साफ नहीं बता पा रही है। कोई ऐसा जरूर है जो उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जब से महिलाओं को टिकट देने का ऐलान किया है, तब से कांग्रेस में महिला नेताओं की सक्रियता भी बढ़ गई है। प्रियंका ही रीता को कांग्रेस में लेकर आईं थीं। यह सब वर्षों से जमे हुए कांग्रेसी नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है। लेकिन जब तक पुलिस इस बारे में कुछ पुख्ता नहीं बताती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता।

सोशल मीडिया पर रीता यादव को गोली मारे जाने की लोग चौतरफा निन्दा कर रहे हैं। लोग लिख रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह जिस तरह महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दावे कर रहे थे, इस घटना ने उसकी पोल खोल दी है। कम से कम बीजेपी नेताओं को महिला सुरक्षा के दावे छोड़ देने चाहिए। 

कौन हैं रीता यादव

कांग्रेस की गुमनाम कार्यकर्ता रीता यादव को कोई नहीं जानता था। लेकिन 16 नवंबर को वो अचानक मशहूर हो गईं। उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूड़ेभार (सुल्तानपुर) में पूर्वाचल एक्सप्रेस का उद्घाटन करने आए थे। रीता यादव तमाम सुरक्षा को अंगूठा दिखाती हुई रैली में मोदी के लिए बनाए गए मंच के पास पहुंच गईं और मोदी के सामने ही काला झंडा लहरा दिया। 

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इस घटना से तमाम पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी हिल गए। रीता यादव को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया। रीता यादव का मोदी के मंच के पास पहुंचने का फोटो वायरल हो गया था और वो रातोंरात मशहूर हो गईं। राज्य स्तर के नेता और कार्यकर्ता रीता यादव को जान गए। 

 

रीता यादव के पारिवारिक सदस्यों का कहना है कि रीता को कई बार समाजवादी पार्टी में आने का निमंत्रण मिला लेकिन वो कांग्रेस से इतना प्रभावित हैं कि कभी पार्टी छोड़ने के बारे में सोचा ही नहीं। सुल्तानपुर और लंभुआ में लोग उन्हें एक प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते हैं।

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