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ऋषि सुनाक ब्रिटिश पीएम बनने के और क़रीब पहुँचे, आखिरी दो की रेस में

ऋषि सुनाक ब्रिटिश पीएम बनने के और क़रीब पहुँचे, आखिरी दो की रेस में

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में अब तक आगे दिख रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनाक की आगे की राह अब कैसी होगी? जानिए पाँचवें दौर के मतदान के बाद सुनाक का कैसा रहा प्रदर्शन।

भारतीय मूल के ऋषि सुनाक ब्रिटेन के पीएम बनने के और क़रीब पहुँच गए हैं। वह अब आख़िरी दो उम्मीदवारों में शामिल हो गए हैं। वह कंजरवेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए विदेश सचिव लिज़ ट्रस के साथ दो फाइनलिस्टों में से एक हैं। सुनाक ने टोरी सांसदों के पांचवें और अंतिम मतदान के दौर में 137 मतों से जीत हासिल की, जबकि दूसरे स्थान पर रहीं ट्रस ने 113 सांसदों का समर्थन हासिल किया।

इस वोटिंग में व्यापार मंत्री पेनी मोर्डौंट 105 मतों के साथ तीसरे स्थान पर आने के बाद दौड़ से बाहर हो गए हैं। दोनों उम्मीदवारों में से एक को चुनने का अधिकार अब कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के पास चला गया है, जो नए नेता और प्रधानमंत्री का फ़ैसला करेंगे। परिणाम 5 सितंबर को घोषित किया जाएगा।

सुनाक इससे पहले चौथे दौर के मतदान में भी सबसे आगे रहे थे। चौथे दौर में सुनाक को 118 मत मिले थे, जबकि पेनी मोर्डौंट को 92, लिज़ ट्रस को 86 और केमी बडेनोच को 59 मत। 

हालाँकि उनके परिवार पर कर से जुड़े एक मामले में नाम आने के बाद सुनाक की लोकप्रियता फीकी पड़ गई है। सुनाक के पीएम बनने की संभावना को लेकर दो सर्वे की रिपोर्टें भी आई हैं जिसमें अलग-अलग स्थिति उभरती हुई दिखती है। एक सर्वे में कहा गया है कि वे एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे जबकि कंजर्वेटिव पार्टी के एक सर्वे में कहा गया है कि पार्टी के अधिकतर लोग उनको पीएम के रूप में नहीं देखना चाहते हैं।

दरअसल, जेएल पार्टनर्स द्वारा एक ओपनियन पोल किया गया है। इस ओपनियन पोल में 4,400 से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया। 'द संडे टेलीग्राफ' की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें यह बात सामने आई कि 2019 के आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन करने वालों में से 48 प्रतिशत का मानना है कि ऋषि सुनाक एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे। सर्वे में शामिल व्यक्तियों में से 39 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री पद के लिए ट्रस का और 33 प्रतिशत ने व्यापार मंत्री पेनी मोर्डौंट का समर्थन किया है।

हालाँकि, इस सर्वे के उलट एक अन्य सर्वे में सुनाक को काफ़ी पिछड़ता हुआ दिखाया गया है। वह सर्वे कंजर्वेटिव पार्टी के सर्वे में ही सामने आया है। इसी पार्टी को आख़िरकार प्रधानमंत्री पद के व्यक्ति के नाम पर मुहर लगानी है। 

इस सर्वे में टोरी पार्टी के 851 सदस्यों ने कंजर्वेटिव होम पोल में अपना मत दिया है। बैडेनोच को 31% सदस्यों ने पसंद किया और इस तरह उन्हें दूसरे उम्मीदवारों पर 11 अंकों की बढ़त मिली। मौजूदा विदेश सचिव लिज़ ट्रस 20% के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। मोर्डौंट 18% के साथ तीसरे और ऋषि सुनाक 17% के साथ चौथे स्थान पर रहे। जबकि विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम तुगेंदत पांचवें स्थान पर थे।

हाल ही में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और कार्यकारी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कथित तौर पर पार्टी के लोगों से ऋषि सुनाक के ख़िलाफ़ वोट करने के लिए कहा है।

'द टाइम्स' अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि जॉनसन ने टोरी नेतृत्व के उम्मीदवारों को सुनाक का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार जॉनसन ने कहा है कि वह किसी भी नेतृत्व के उम्मीदवारों का समर्थन नहीं करेंगे या सार्वजनिक रूप से स्पर्धा में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन माना जाता है कि उन्होंने असफल दावेदारों के साथ बातचीत की और आग्रह किया कि सुनाक को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। द टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस बातचीत से रूबरू एक क़रीबी सूत्र ने कहा कि जॉनसन विदेश सचिव लिज़ ट्रस के समर्थन के लिए सबसे अधिक उत्सुक दिखाई दिए।

ऋषि सुनाक कौन हैं?

ऋषि सुनाक भारतीय मूल के हैं लेकिन उनके माता-पिता पूर्वी अफ्रीका से यूके आए थे। उनके माता पिता दोनों भारतीय मूल के हैं। उनके दादा-दादी पंजाब से थे। ऋषि का जन्म 1980 में साउथम्प्टन में हुआ था। सुनाक यूके में पैदा हुई पीढ़ी से हैं, लेकिन वह मूल रूप से कहीं और से हैं, और उनका कहना है कि यह पहचान उनके लिए मायने रखती है। उन्होंने 2019 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'मेरे माता-पिता यहाँ आकर बस गए हैं, इसलिए आपके पास इस पीढ़ी के लोग हैं जो यहां पैदा हुए हैं, उनके माता-पिता यहां पैदा नहीं हुए हैं और वे इस देश में जीवन-यापन करने आए हैं।'

वह एक निजी स्कूल विनचेस्टर कॉलेज में पढ़े और अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान साउथम्प्टन में एक करी हाउस में वेटर के रूप में काम किया। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड पढ़ने चले गए थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात भारतीय अरबपति और आईटी सेवाओं की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई। दोनों ने शादी कर ली और दंपति की दो बेटियाँ हैं।

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