बिहार : महागठबंधन में घमासान, तेज प्रताप यादव का इस्तीफ़ा
बिहार में महागठबंधन में सीट बँटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। इसी घमासान के बीच बड़ी ख़बर यह आ रही है कि राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने छात्र राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। तेज प्रताप ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। तेजप्रताप ने ट्वीट में कहा है कि नादान हैं वे लोग जो मुझे नादान समझते हैं, कौन कितना पानी में है, सबकी है ख़बर मुझे।
छात्र राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक के पद से मैं इस्तीफा दे रहा हूँ।
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) March 28, 2019
नादान हैं वो लोग जो मुझे नादान समझते हैं।
कौन कितना पानी में है सबकी है खबर मुझे।
बता दें कि यह ख़बर आई थी कि तेज प्रताप यादव शिवहर और जहानाबाद लोकसभा सीट से अपनी पसंद के उम्मीदवार खड़ा करना चाहते थे।
दूसरी ओर बॉलीवुड स्टार और बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का पटना में बृहस्पतिवार को पूर्व निर्धारित कांग्रेस मिलन समारोह स्थगित कर दिया गया।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केंद्रीय नेतृत्व से सीधे संपर्क में हैं। बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने आज राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी से उनके दिल्ली आवास पर मुलाक़ात की है।
इस बीच ख़बर आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम माँझी भी अपना चुनाव प्रचार छोड़कर पटना लौट रहे हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता केंद्रीय नेतृत्व को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी अकेले चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं। तर्क है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में इसी आधार पर अपनी दावेदारी कर सकेगी।
टिकट बँटवारे में दरभंगा, शिवहर, पाटलिपुत्र और वाल्मीकिनगर सीट पर अभी भी संशय बना हुआ है।हाल ही में कांग्रेस का दामन थामने वाली पूर्व सांसद लवली आनंद शिवहर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। लवली के पति आनंद मोहन, जो अभी सहरसा जेल में सजा काट रहे हैं, ने धमकी दी थी कि अगर लवली आनंद को टिकट नहीं मिला तो महागठबंधन को इसका दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिये।
सुपौल से कांग्रेस के सिटिंग सांसद रंजीत रंजन की सीट पर भी मामला फंसता दिख रहा है। यहाँ आरजेडी कार्यकर्ता रंजीत रंजन की उम्मीदवारी का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
इसी तरह दरभंगा सीट पर आरजेडी बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को चुनाव लड़ाना चाहती है जबकि बीजेपी के पूर्व सांसद कीर्ति झा आज़ाद इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। आज़ाद ने बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली है।
चर्चा तो यहाँ तक है कि आरजेडी ने अब्दुल बारी को पार्टी सिंबल भी दे दिया है। इतना ही नहीं, मुंगेर सीट पर मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह अपनी पत्नी नीलम देवी को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाने के इच्छुक हैं। अनंत सिंह जिन्हें लोग ‘छोटे सरकार’ के नाम से भी जानते हैं, ने कांग्रेस की पटना रैली में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। रैली में भीड़ जुटाने के कारण वह काफ़ी चर्चा में भी थे।
हालाँकि राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस के चुनाव प्रभारी अखिलेश सिंह को उम्मीद है कि महागठबंधन का शीर्ष नेतृत्व इसका हल निकालने में सक्षम है। अखिलेश सिंह भी मोतिहारी सीट पर अपने किसी नजदीकी व्यक्ति को चुनाव लड़वाने के इच्छुक हैं। सूत्र बताते हैं कि वह अपने बेटे के लिए टिकट माँग रहे हैं। जबकि यह सीट आरएलएसपी के खाते में गई है।
बहरहाल, महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। दरभंगा, शिवहर, वाल्मीकि नगर, मुंगेर और काराकाट सीट पर संशय बना हुआ है। कांग्रेस के कौकब कादरी काराकाट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं जबकि यह सीट भी आरएलएसपी को दी जा चुकी है।
बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए दरभंगा के सांसद कीर्ति झा आज़ाद भी दरभंगा सीट पर दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं की बात मानें तो पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर चल रही है। लोकसभा चुनाव के आधार पर ही विधानसभा में भी सीटों का बँटवारा होना है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को हानि हो सकती है। अभी तक हुए फ़ैसले में सिर्फ़ पूर्णिया, कटिहार एवं किशनगंज सीट ही कांग्रेस के खाते में गयी है। अब देखना है कि मौजूदा हालात में कांग्रेस महागठबंधन को संजोकर रख पाती है या नहीं। एक मजबूत महागठबंधन ही एनडीए को लोकसभा चुनाव में सही टक्कर दे सकता है।