जुमलों से नहीं, ठोस काम करने से रुकेंगे रेल हादसे
रेलवे की हर दुर्घटना कुछ दिनों के लिए हमें हमेशा से अनुत्तरित चले आ रहे सवालों पर एक बार फिर अनुत्तरित रह जाने के लिए कुरेद भर जाती है और कुछ भी नहीं बदलता।
समाज लगातार हर संवेदनशील सवाल पर "चलता है" कि तर्ज़ पकड़ता जा रहा है। रेलवे दुर्घटनाओं पर हमारे रवैये में यही कुआदत सामने आती है।अमृतसर में क्या हुआ
रेलवे जमाने से जीपीएस नियंत्रित होने की बात कह रहा है कुछ फाइलें चल भी रही होंगी पर वैसे ही जैसे दूसरीं चल रही हैं। अभी भी पन्द्रह हजार से ज्यादा बिना कर्मचारी वाली रेलवे क्रोसिंग्स हमारे 65000 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर विद्यमान हैं।
2013 की खुद रेलवे की रिपोर्ट बताती है कि करीब 15000 लोग हर साल गलत तरीके से रेल लाइन क्रॉस करने के चक्कर में कट कर मर जाते हैं।
बीते बरस यह संख्या बढ़कर 25000 पर कर गयी थी। हम लंबे समय से आम इंसान के लिए जनरल डिब्बे बढ़ाने का काम लगभग बंद कर चुके हैं। जो बचे हैं उनमें इंसान बोरियों से भी बुरे ढंग से खुद ही खुद को ठूंस कर यात्रा करते हैं । आर्थिक प्रबंधन की सलाह पर रेलवे, जो सबसे बड़ा सरकारी उद्यम है कर्मचारियों मैं हर साल कटौती करता आ रहा है। लाइनमैन अब गुजरे जमाने की वस्तु हैं।