येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ बग़ावत, दावा- पार्टी आलाकमान भी नाराज
पूर्वोत्तर में त्रिपुरा के बाद दक्षिण में कर्नाटक ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी के विधायक अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्रियों के ख़िलाफ़ बग़ावती तेवर अपनाए हुए हैं। हाल ही में त्रिपुरा से कुछ बीजेपी विधायक दिल्ली आए थे और उन्होंने बीजेपी आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की थी। वे मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव से नाराज थे।
दूसरी ओर, कर्नाटक में लंबे वक़्त से यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री बीएस येदियपुरप्पा को उनके पद से हटाया जा सकता है। हालांकि कर्नाटक में अपने बूते बीजेपी को सत्ता में लाने वाले येदियुरप्पा को हटाना आलाकमान के लिए आसान नहीं है लेकिन उनके ख़िलाफ़ सरेआम आवाज़ तो उठने ही लगी है।
कर्नाटक में बीजेपी के विधायक बसनगौडा यतनाल ने दावा किया है कि येदियुरप्पा लंबे वक़्त तक अपने पद पर नहीं रहेंगे। उन्होंने दावा किया है कि आलाकमान भी येदियुरप्पा से नाराज है। विधायक ने येदियुरप्पा पर आरोप लगाया कि वह सिर्फ़ शिवामोगा क्षेत्र के लिए ही काम करते हैं।
यतनाल ने कहा कि अगला मुख्यमंत्री उत्तरी कर्नाटक से होगा और आलाकमान को भी इस बात का अहसास है कि इस इलाक़े से बीजेपी के सबसे ज़्यादा विधायक हैं। उनके मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि येदियुरप्पा के बाद अगला मुख्यमंत्री उत्तरी कर्नाटक से बनेगा।
हटाना चाहता है आलाकमान!
येदियुरप्पा के बारे में चर्चा है कि कि बीजेपी आलाकमान उन्हें किसी राज्य का गवर्नर बनाकर राज्य की राजनीति से हटाना चाहता है क्योंकि वह 75 साल की उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं। बीजेपी के कई नेता मुख्यमंत्री बनने की कतार में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण संगप्पा सावदी पूरा जोर लगा रहे हैं।
इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष से येदियुरप्पा का छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। संतोष चाहते हैं कि येदियुरप्पा की जगह उनका कोई करीबी राज्य का मुख्यमंत्री बने।
येदियुरप्पा का पलटवार
सियासी घाघ येदियुरप्पा इस बात को जानते हैं कि उन्हें हटाने की कोशिश हो रही है। इसीलिए उन्होंने पलटवार करते हुए कुछ महीने पहले 20 विधायकों को अलग-अलग सरकारी निगमों का अध्यक्ष बना दिया था और इनमें कई विधायकों को कैबिनेट मंत्री का दर्ज़ा भी दिया था।
येदियुरप्पा इन दिनों अपनी ताक़त बढ़ाने और पार्टी पर पकड़ मजबूत करने के काम में जुटे हैं। कर्नाटक में बीजेपी के सबसे मजबूत नेता येदियुरप्पा बीजेपी आलाकमान के सामने झुकने के मूड में नहीं दिखते।
बेटे विजयेंद्र के दखल से दिक़्कत
येदियुरप्पा अपनी सियासी विरासत अपने बेटे विजयेंद्र को सौंपना चाहते हैं। इसलिए विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि कर्नाटक सरकार में सभी बड़े फ़ैसले विजयेंद्र ही ले रहे हैं और 77 साल के येदियुरप्पा सिर्फ नाम मात्र के मुख्यमंत्री रह गए हैं। विपक्ष को ही नहीं बल्कि बीजेपी के कई नेताओं को भी विजयेंद्र के दख़ल से आपत्ति है।
कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैय्या विजयेंद्र को 'कर्नाटक का सुपर सीएम' कहते हुए येदियुरप्पा पर राजनीतिक हमले बोल रहे हैं।
बीजेपी के कई नेता भी दबी जुबान में विजयेंद्र को तबादलों, नियुक्तियों और अनुमति देने वाला मंत्री कहने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक़, पार्टी के कुछ नेताओं जिनमें विधायक भी शामिल हैं, ने पार्टी नेतृत्व से विजयेंद्र के बारे में शिकायत की है।
विजयेंद्र अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। यही वजह है कि वे अपने पिता की तरह ही लिंगायत समुदाय के सभी छोटे-बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं से करीबी बनाये हुए हैं।
येदियुरप्पा के नाती पर आरोप
हाल ही में एक अख़बार ने दावा किया कि येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी को तीन शेल कंपनियों से पांच करोड़ रुपये मिले। येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने के बाद शशिधर दो अलग-अलग कंपनियों में निदेशक बने और इन्हीं कंपनियों से उन्हें ये पैसे मिले। विपक्ष का आरोप है कि यह मामला बेंगलुरू डेवलपमेंट अथॉरिटी घोटाले से जुड़ा है और रिश्वत की यह रकम शेल कंपनियों के जरिये दी गयी और राशि का सारा लेन-देन विजयेंद्र के निर्देशन में हुआ।येदियुरप्पा की उपेक्षा!
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिराने और बीजेपी की सरकार बनाने का श्रेय येदियुरप्पा को ही जाता है। लेकिन बीजेपी की सरकार बनते ही आलाकमान ने तीन डिप्टी सीएम बनाकर उनके हाथ-पांव बांध दिए थे और तभी यह साफ हो गया था कि आलाकमान इस दिग्गज नेता को सियासी पिच पर खुलकर बैटिंग नहीं करने देगा।
कर्नाटक में इस बात की भी चर्चा है कि बीजेपी आलाकमान येदियुरप्पा लगातार की उपेक्षा कर रहा है। पिछले साल जब राज्य के 17 जिलों में बाढ़ आई थी, तब राज्य सरकार को केंद्र से पूरा सहयोग नहीं मिलने की ख़बरें आई थीं। यह भी कहा गया था कि इस मामले में मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने तक की भी अनुमति नहीं मिली।