केंद्र सरकार ने 2012 का रिट्रोस्पेक्टिव टैक्स क़ानून रद्द करने का फ़ैसला किया है। इसके तहत जिस तारीख को यह क़ानून पारित हुआ, उसके पहले की तारीख से कर का भुगतान नहीं करना होगा।
इस निर्णय से केअर्न और वोडाफ़ोन समेत 15 कंपनियों को राहत मिलेगी, जिन पर भारी बकाया है और जो अदालत में मुक़मा हार चुकी हैं। अब केंद्र सरकार उनका चुकाया हुआ अतिरिक्त टैक्स उन्हें वापस कर देगी। केअर्न्स बाद में यह मामला अंतरराष्ट्रीय पंचाट में ले गई थी, वहाँ फ़ैसला उसके हक़ में हुआ था और भारत को पूरा पैसा वापस करने को कहा गया था।
प्रस्तावित क़ानून के तहत केंद्र 2012 के कानून के हिसाब से भुगतान की गई राशि बिना ब्याज के वापस कर देगी।
इस मामले के कारण केअर्न और वोडाफ़ोन जैसी कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुक़दमा कर दिया था।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा था वोडाफ़ोन पर भारत की कर देयता, साथ ही ब्याज और दंड, भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है।
सरकार ने 2007 में हचिसन व्हामपोआ से वोडाफोन की 11 अरब डॉलर की भारतीय मोबाइल संपत्ति के अधिग्रहण पर उसे 11,000 करोड़ का टैक्स चुकाने को कहा था। कंपनी ने इसका विरोध किया था और अदालत में सरकार को चुनौती दी थी।