रिटायर्ड अफसरों में भारी बेचैनी, कानून के राज के लिए खत लिखा
बुलंदशहर हिंसा को लेकर 83 पूर्व अफ़सरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े की माँग कर दी है। इन अफ़सरों ने योगी आदित्यनाथ के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है और इस मामले में सीधे-सीधे उनकी सरकार की मंशा और नीयत पर गंभीर सवाल उठाया है। इन अफ़सरों ने कहा है कि योगी सरकार ने उन्मादी भीड़ के हाथों हुई एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या के मामले की पूरी तरह अनदेखी कर दी और अफ़सरों को हुक्म दिया कि वे केवल तथाकथित गोकशी के मामले पर ही ध्यान केन्द्रित करें।
मुख्यमंत्री योगी को यह खुली चिट्ठी लिखने वाले इन 83 पूर्व अफ़सरों में 60 आईएएस और 5 आईपीएस अफ़सरों के अलावा विदेश और राजस्व सेवा से जुड़े कई अफ़सर भी शामिल हैं, जो हाल के वर्षों में ही सेवा से रिटायर हुए हैं। इनमें से कुछ अफ़सर तो राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्ष पदों पर भी रह चुके हैं।
जून 2017 में क़रीब 135 रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस अफ़सरों ने यह संगठन बनाया था। इनमें से क़रीब 83 अफ़सरों ने ऐसे एक पत्र पर दस्तख़त किए हैं और बुलंदशहर हिंसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े की माँग कर इस पत्र को सार्वजनिक किया है।
इन अफ़सरों ने नौकरी कर रहे अपने जूनियर सहयोगियों को संविधान से हट कर दिए गए किसी भी आदेश को मानने से इनकार करने को कहा है। उनको आशंका है कि केंद्र और राज्यों में ख़ुद दंगा भड़काने, दंगाइयों और अपराधियों को प्रश्रय देने वाली सरकारें शासन कर रही हैं जो संविधान और क़ानून के राज को ध्वस्त कर रही हैं।
यह ग़ुस्सा हाल में हुई बुलंदशहर की घटना पर इस रूप में फूटा है जहाँ सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थक समझे जाने वाले हिंसक संगठन ने दंगा प्रायोजित करने की कोशिश में एक पुलिस अफ़सर की हत्या कर दी और अब प्रशासन इन दंगाई नेताओं की हिफ़ाज़त में मशगूल है।
योगी बोले, सरकार की होनी चाहिए तारीफ़
हालाँकि ख़ुद मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि बुलंदशहर मामले में तो हमारी सरकार की तारीफ़ की जानी चाहिए क्योंकि हमने वे सारे ज़रूरी क़दम उठाए जो हमें उठाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि बुलंदशहर की घटना हमारी सरकार के ख़िलाफ़ एक ‘राजनीतिक साज़िश’ थी जिसका हमने सफलतापूर्वक पर्दाफ़ाश किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस मामले में अनर्गल बयान दे रहे हैं वे अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।फ़िलहाल रिटायर्ड अफ़सरों के इस क़दम का इतना असर तो हुआ कि आगरा की एक तहसील की महिला एसडीएम से बीजेपी के विधायक के द्वारा दुर्व्यवहार पर आईएएस एसोसिएशन ने तुरंत सख़्त बयान जारी किया।
1982 बैच के आईएएस ऑफ़िसर राजू शर्मा ने भी इस पत्र पर दस्तख़त किए हैं। शर्मा ने कई बरस पहले मायावती के ज़माने में सेवा से त्यागपत्र दे दिया था। शर्मा ने बताया कि वे देश में संविधान और क़ानून के राज का ध्वंस होता देख मूक दर्शक बने नहीं रह सकते।
पत्र की मुख्य बातें
- जिस संविधान की शपथ लेकर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद पर बैठे हैं, उसी का पालन करने में वे असफल रहे हैं। हमें जनता की राय बनाने की कोशिश करनी चाहिए जो मुख्यमंत्री को ज़िम्मेदारी लेने पर मजबूर करे।
- उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस डीजीपी, गृह सचिव और उच्च सेवाओं के सभी सदस्य राजनैतिक आक़ाओं के कुत्सित निर्देशों की जगह क़ानून का राज क़ायम रखने के लिए भयमुक्त होकर काम करें।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्वत: इस मामले का संज्ञान ले, अपने अधीन इसकी न्यायिक जाँच कराए जिससे इस कांड के राजनैतिक गठजोड़ का पर्दाफ़ाश हो, ज़िम्मेदारी तय हो और गुनहगारों पर कार्रवाई हो सके।
- देश में बढ़ रही घृणा और हिंसा के ख़िलाफ़ जनमत तैयार किया जाए। मुस्लिम, आदिवासी, दलित और स्त्रियों के ख़िलाफ़ संगठित हिंसा को प्रश्रय देने वाली राजनैतिक ताक़त का ढाँचा ख़त्म किया जाए।
- शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को उनकी बहादुरी के लिए सलाम। सुबोध कुमार सिंह ने संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए और राजनैतिक दबाव के ख़िलाफ़ जान की क़ीमत पर भी अडिग रह कर काम किया। अपने बच्चों और नई पीढ़ी के लिए उनकी यह मिसाल करियर की किसी भी बड़ी से बड़ी ऊँचाई से भी ऊँचा पायदान है। उनके परिवार को भी सलाम जो इस दुख की घड़ी में उनके आदर्शों पर डटा रहा। उनकी शहादत व्यर्थ न जाए।