+
खुदरा महंगाई मामूली कम हुई, पर अब भी 'ख़तरे' के निशान के ऊपर

खुदरा महंगाई मामूली कम हुई, पर अब भी 'ख़तरे' के निशान के ऊपर

क्या आरबीआई द्वारा उठाए गए क़दमों का असर दिखने लगा है और इसी वजह से महंगाई मामूली रूप से कम हुई है? या फिर कुछ और वजह है?

भारत की खुदरा महंगाई मई महीने में वार्षिक आधार पर थोड़ा कम होकर 7.04 प्रतिशत पर आ गई है। यह अप्रैल महीने से मामूली कम है। अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर महंगाई पहुँच गई थी। हालाँकि, पिछले महीने से महंगाई दर कम हुई है, लेकिन यह अभी भी आरबीआई द्वारा तय 2-6 फ़ीसदी की सीमा से काफ़ी ज़्यादा है।

यह लगातार पाँचवाँ महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 2-6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार पाँचवें महीने ख़तरे के निशान के पार है।

बहरहाल, सरकारी आंकड़ों में सोमवार को कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत थी। मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फ़ीसदी रही थी। पिछले साल यानी 2021 में मई में यह खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी थी।

थोक महंगाई भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गयी है। जब अप्रैल में आँकड़ा आया था तो थोक महंगाई 15.08% हो गई थी। थोक महंगाई सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अप्रैल में लगातार तेरहवें महीने दोहरे अंकों में रही। वास्तव में थोक मूल्य मुद्रास्फीति एक साल में दोगुनी हो गई है। मार्च 2021 में यह सिर्फ़ 7.89 प्रतिशत थी। 

फ़रवरी महीने में ही यूक्रेन में युद्ध ने इसके संकट को और बढ़ा दिया। इससे सामानों की क़ीमतें बढ़ गईं और आपूर्ति में और कमी आई। इन मुश्किलों के बीच ही अब महंगाई ने असर दिखाना शुरू कर दिया है।

बढ़ती महंगाई ने सरकार की परेशानी भी बढ़ा दी है। इसीलिए रिजर्व बैंक ने हाल ही में अचानक रेपो दर बढ़ाने का फ़ैसला कर लिया।

आम तौर पर रेपो रेट बढ़ाने का मतलब होता है कि बैंकों को रिजर्व बैंक अब कर्ज ज़्यादा ब्याज पर देगा। यानी इसका एक मतलब यह भी होता है कि अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी की जाए और इससे लोग ख़र्च कम करना शुरू करेंगे और महंगाई काबू में आएगी। पाँच हफ़्तों में दूसरी बार आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया और अब यह बढ़कर 4.9% हो गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत के अपने पिछले अनुमान से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था।

आरबीआई के अनुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत और अगले तीन महीनों में 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। तीसरी और चौथी तिमाही में इसके क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें