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कोरोना से अमेरिका में 22 लाख लोग मर सकते हैं - ब्रिटिश वैज्ञानिक

कोरोना से अमेरिका में 22 लाख लोग मर सकते हैं - ब्रिटिश वैज्ञानिक

ब्रिटेन में कोरोना पर हुए शोध के नतीजों से परेशान ट्रंप प्रशासन ने जारी किए दिशा निर्देश। ब्रिटिश वैज्ञानिक ने अनुमान लगाया है कि कोरोना से अमेरिका में 22 लाख तक लोग मारे जा सकते हैं। 

कोरोना वायरस कितना भयावह होगा और कितने लोगों की जान लेगा, इसका अभी सही सही अनुमान लगा पाना वैज्ञानिकों के लिये संभव नहीं है। वैज्ञानिक शोध के ज़रिये बस अटकलें ही लगाई जा रही हैं। पर यह अटकल या अनुमान भी हिला देने वाला है । 

लंदन के इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अकेले अमेरिका में कोरोना 22 लाख लोगों की मौत का कारण बन सकता है। इस शोध में यह भी बताया गया है कि ब्रिटेन में पाँच लाख लोगों की जान जा सकती है।

इंपीरियल कॉलेज में यह शोध डॉक्टर नील फर्ग्यूसन के नेतृत्व में किया गया है। वह मैथेमेटिकल बायोलॉजी के प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने इटली में कोरोना की वजह से संक्रमित रोगियों, मरने वालों की संख्या और दूसरे नये आँकड़ों के आधार पर अध्ययन किया है ।

क्या है रिपोर्ट में?

इस अध्ययन के बाद से पूरे ब्रिटेन में हंगामा मच गया है। वहाँ की सरकार जो अब तक कोरोना से लड़ने के लिये ज़्यादा सतर्क नहीं दिख रही थी, उसने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। लोगों को हिदायत दी गयी है कि वे जब तक अनिवार्य न हो घर से बाहर न निकले, पब, रेस्त्रां, थियेटर न जाये, लोगों से मिलना जुलना बंद करें।

इसके पहले ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक रिपोर्ट में वैज्ञानिक शोधों के आधार पर कहा था कि अमेरिका में कोरोना से दो लाख से 20 लाख लोगों की मौत हो सकती है।

नील फ़र्ग्यूसन का शोध

न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी फ़र्ग्यूसन के शोध पर एक रिपोर्ट  छापी है। इस रिपोर्ट में अख़बार ने दावा किया है कि नील फर्ग्यूसन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने संभावित मौत का आँकड़ा अमेरिकियों को बताया था। 

नील फ़र्ग्यूसन के मुताबिक़ 80 साल या इससे अधिक उम्र के लोग इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं और इनमें से 8-9 प्रतिशत लोगों की मौत हो सकती है।

डॉक्टर फ़र्ग्यूसन ने कहा, ‘साफ़ शब्दों में कहा जाए तो हमारे पास इससे बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं है, हम बस वायरस को अनिश्चित काल तक दबाए रख सकते हैं।’

ट्रंप प्रशासन के दिशा-निर्देश

इस रिपोर्ट के आने के बाद ही अमेरिकी प्रशासन ने स्वास्थ्य से जुड़े कदम उठाए और लोगों से संपर्क और मिलना जुलना कम करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘लोगों को अलग-थलग करने के उपायों का असर बहुत ही सीमित होगा, कई बार हस्तक्षेप करना होगा ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।’

डॉक्टर फर्ग्यूसन ने 1918 के इनफ्लुएन्ज़ा महामारी से कोरोना संक्रण की तुलना भी की है। उन्होंने कहा  कि अमेरिका समेत तमाम विकसित देशों में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस काम नहीं किया गया तो कोरोना 1918 की महामारी की तरह भयानक तबाही लायेगा।

ब्रिटिश वैज्ञानिक ने कहा, ‘बड़ी चुनौती वायरस को दबाने की है। लंबे समय तक ऐसा करना होगा, हम यह कह सकते हैं कि यदि इन प्रतिबंधों को जल्द ही हटा लिया गया तो संक्रमण लौट सकता है।’

शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने जो उपाय बताए हैं, जिस तरह से संपर्कों और गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है, उससे सफलता की पूरी तरह गारंटी नहीं दी जा सकती है। पर इसका काफी असर पड़ेगा और संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कामयाबी मिलेगी, यह पक्का है। 

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