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एक और विधेयक पर पीछे हटी सरकार? प्रसारण विधेयक का मसौदा वापस: रिपोर्ट

एक और विधेयक पर पीछे हटी सरकार? प्रसारण विधेयक का मसौदा वापस: रिपोर्ट

अभी यह साफ़ नहीं है कि प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक को पूरी तरह से फिर से तैयार किया जाएगा या केवल कुछ विशेष खंडों को ताज़ा मसौदे से फिर से तैयार किया जाएगा। 

हाल ही में संपन्न हुए संसद के बजट सत्र में वक्फ़ संशोधन विधेयक को जेपीसी में भेजकर पीछे हटने का संकेत देने वाली सरकार अब प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 के ताज़ा मसौदे को वापस ले लिया है। एचटी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि इस मामले से जुड़े कम से कम पाँच लोगों ने बताया है कि उनको दी गई मसौदे की कॉपियों को वापस मांग लिया गया है। 

केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक को यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन जैसे ऑनलाइन माध्यमों को नियमित करने वाला बताया जा रहा था। विरोधी इस अधिनियम को वैकल्पिक मीडिया को गला घोंटने वाला क़रार दे रहे थे। इसी वजह से इस विधेयक के मसौदे में प्रस्तावित प्रावधानों को लेकर विरोध किया जा रहा था। 

तमाम पत्रकार संघों और डिजिटल अधिकार संगठनों ने प्रस्तावित कानून के मसौदे को वापस लेने की मांग की थी। इन संगठनों का कहना था कि उस प्रस्तावित कानून का मकसद प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाना है। 

प्रस्तावित प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक के साथ ही डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023, प्रेस पंजीकरण अधिनियम, 2023 और आईटी संशोधन अधिनियम जैसे कानूनों को मीडिया पर शिकंजा कसने वाला बताया जाता रहा है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, डिजीपब न्यूज फाउंडेशन, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन, वर्किंग न्यूज कैमरामेन एसोसिएशन, इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स, कोगिटो मीडिया फाउंडेशन और मुंबई, कोलकाता, तिरुवनंतपुरम और चंडीगढ़ के प्रेस क्लब ने 28 मई को इस संबंध में बैठक बुलाकर प्रस्तावित कानूनों के खिलाफ विरोध जताया था। 

पत्रकार संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार के चारों प्रस्तावित कानून जनता के जानने के अधिकार पर सीधा हमला हैं। ब्रॉडकास्ट सर्विसेज रेगुलेशन बिल का मसौदा ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल सामग्री को शामिल करने के लिए रेगुलेशन की बात कहता है। 

यह मसौदा लोगों से फीडबैक लेने के लिए बाँटा किया गया था। यह नवंबर 2023 में शुरू हुआ था, जब मंत्रालय द्वारा पहला मसौदा अपलोड किया गया था।

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने एचटी से कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसे पूरी तरह से फिर से तैयार किया जाएगा या केवल कुछ विशेष खंडों को ताज़ा मसौदे से फिर से तैयार किया जाएगा। इसे सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया गया था, लेकिन कुछ हितधारकों के साथ साझा किया गया था, जिन्हें वॉटरमार्क वाली प्रतियां प्राप्त मिली थीं। रिपोर्ट के अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी जुड़े लोगों से 24 से 25 जुलाई के बीच उन्हें दी गई मसौदे की प्रतियाँ वापस करने को कहा है। उनसे कहा गया है कि अब उनकी टिप्पणियों की आवश्यकता नहीं है।

खास तौर पर विवाद मसौदा प्रावधानों को लेकर था, जो संभावित रूप से अधिकांश ऑनलाइन प्रभावशाली लोगों को प्रसारकों के रूप में मानता यदि वे अपने कंटेंट में समसामयिक विषयों को शामिल करते।

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक का ताज़ा संस्करण सभी ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटरों को अलग-अलग वर्गों में बांट सकता है। यह एक ऐसा वर्गीकरण है जिसमें यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर स्वतंत्र पत्रकारों से लेकर लिंक्डइन पर विचार रखने वाले, समाचार पत्र लेखकों तक शामिल हैं। ओटीटी प्रसारक या डिजिटल समाचार प्रसारक के रूप में भी वर्गीकरण किया जा सकता है।

इसके अलावा कंटेंट क्रिएटर्स को अन्य बातों के अलावा, कंटेंट को पूर्व-प्रमाणित करने के लिए कंटेंट इवैल्युएशन कमिटी यानी सीईसी गठित करने की आवश्यकता होती। इसी तरह के कई विवादास्पद प्रावधान थे।

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