भारत में धार्मिक आजादी खतरे में, ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिशः रिपोर्ट
अमेरिका की एक स्वतंत्र जांच आयोग ने लगातार चौथे साल, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। भारत ने अभी इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अल जजीरा के मुताबिक सोमवार को जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) ने एक बार फिर अमेरिकी विदेश मंत्रालय से भारत को अत्यधिक चिंता वाले देश के रूप में शामिल करने की सिफारिश की।
जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार ने 2022 में राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया और उन्हें लागू किया। इनमें "धर्म परिवर्तन को लेकर बनाए गए कानून, अंतर्धार्मिक संबंध, हिजाब और गोहत्या के मसलों को शामिल किया गया है। जो मुसलमानों के अलावा ईसाई, सिख, दलित और आदिवासियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल जनसंख्या में 14 प्रतिशत मुसलमान 2 प्रतिशत ईसाई और 1.7 प्रतिशत सिख हैं, जबकि 80 प्रतिशत हिंदू हैं।
अल जजीरा के मुताबिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार सरकार अल्पसंख्यकों और उनकी आवाज उठाने वालों को दबाने का प्रयास कर रही है। हालांकि आयोग की रिपोर्ट केवल सिफारिशी है, इसके पास अपनी सुझावों को लागू करने का अधिकार नहीं है। इसलिए उम्मीद करती है कि सरकार सुझावों को लागू करेगी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि पिछले साल की रिपोर्ट के बाद भी जो बाइडेन प्रशासन भारत को विशेष चिंता वाले देशों में शामिल करने में विफल हुआ है।भारत और अमेरिका मजबूत आर्थिक और सामरिक संबंध साझा करते हैं। जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी कई बार अलग अलग मंचों पर मुलाकात कर चुके हैं। दोनों ही देशों के बीच आर्थिक संबंधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
रिपोर्ट पर भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पिछले साल की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे अधूरी जानकारी और पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्ट कहा था। उस समय बागची ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत बहु धार्मिक समाज को साझा करता है और सभी धर्मों का सम्मान करता है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट से एक बार फिर साबित हो गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को खत्म किया जा रहा है। यह सब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार इसको बढ़ावा दे रही है।