तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बीजेपी के बीच जंग का मैदान बन चुके पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं। दोनों ही दल एक-दूसरे पर उसके कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाते रहे हैं। लोकसभा चुनाव से लेकर पंचायत चुनावों तक और अब कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।
पश्चिम बंगाल में हिंसा के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के पांच नेताओं को बड़ी राहत दी है। इन नेताओं में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हैं। ममता सरकार ने इन नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमे दर्ज किए थे और इन्हें अपनी गिरफ़्तारी का डर सता रहा था।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को आदेश दिया है कि वह अगली सुनवाई तक इन नेताओं को गिरफ़्तार न करे। इन नेताओं की ओर से दाखिल की गई याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब भी मांगा है।
पीटीआई के मुताबिक़, मुकुल रॉय, विजयवर्गीय और कुछ अन्य बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपनी याचिकाओं में यह आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल पुलिस सत्तारूढ़ टीएमसी के इशारे पर उन्हें निशाना बना रही है। याचिकाकर्ताओं में बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह भी शामिल थे।
बीजेपी नेताओं ने अदालत से मांग की थी कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज सारे मुक़दमों को पश्चिम बंगाल की पुलिस से लेकर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को दे दिया जाए। कुछ अन्य बीजेपी नेताओं ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों के मामले में उन्हें सुरक्षा दिए जाने की मांग शीर्ष अदालत के सामने रखी थी।
अदालत ने मामले में संजीदा रूख़ अपनाते हुए पांच नेताओं को सुरक्षा देने का निर्देश दिया। अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह बंगाल के बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के अंगरक्षकों और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प के मामले में अदालत में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दे। बोस ने अदालत में अलग से याचिका दायर की थी।
पश्चिम बंगाल में इन दिनों सियारी तापमान शिखर पर है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद बंगाल बीजेपी ने बेहद कड़ा रूख़ अख्तियार किया है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों और उनकी हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है।
बंगाल के सियासी हाल पर देखिए चर्चा-
राज्यपाल का वार
बीजेपी-टीएमसी की इस लड़ाई के बीच कुछ दिन पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी सामने आए थे और उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी संवैधानिक बाध्यता के अधीन हैं और उन्हें संविधान के रास्ते पर चलना ही होगा।
धनखड़ ने कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है और वे कई बार मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के सामने इसे लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। नड्डा के काफ़िले पर हमले को लेकर उन्होंने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है।
बीजेपी के निशाने पर है बंगाल
बंगाल बीजेपी के निशाने पर है और पार्टी वहां किसी भी तरह अपना परचम लहराना चाहती है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। हाल ही में बीजेपी ने कई नेताओं को वहां प्रभारी बनाकर भेजा है। राज्य में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विधानसभा से लेकर पंचायत और लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, यह तय है।