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कभी ख़ुशी कभी ग़म वाला रहा है अंबानी भाइयों का रिश्ता

कभी ख़ुशी कभी ग़म वाला रहा है अंबानी भाइयों का रिश्ता

पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों के बीच अरबों की संपत्ति के साम्राज्य का असली उत्तराधिकारी बनने के लिए होड़ लग गई।

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने स्वीडिश कंपनी एरिक्शन को 550 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान ब्याज सहित कर दिया है। और इस काम में अनिल की मदद की है रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने। मुकेश ने ऐसा करके अनिल को जेल जाने से बचा लिया है। 

अनिल ने इस मदद के लिए भाई मुकेश अंबानी और भाभी नीता अंबानी को धन्यवाद दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम को मंगलवार से पहले एरिक्सन का बकाया भुगतान करना था और ऐसा न करने पर कोर्ट की मानहानि के ज़ुर्म में उन्हें जेल जाना पड़ सकता था। लेकिन उन्होंने एक दिन पहले ही 458.77 करोड़ का बकाया चुका दिया। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने एरिक्सन के 550 करोड़ रुपये और उसका ब्याज़ चुकता कर दिया है।

अंबानी पर हमलावर रहे हैं राहुल 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इन दिनों हर रोज अनिल अंबानी का नाम लेना नहीं भूलते। राहुल आरोप लगाते रहे हैं कि रफ़ाल लड़ाकू विमान सौदे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनिल अंबानी की जेब में 30 हज़ार करोड़ रुपये डाले हैं। राहुल गाँधी अपनी तमाम रैलियों में अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते रहे हैं। 

अच्छे नहीं रहे आपसी रिश्ते 

मुकेश और अनिल के बीच कभी भी रिश्ते कुछ ख़ास अच्छे नहीं रहे। इनके बीच मनमुटाव की शुरुआत हुई 6 जुलाई 2002 को, पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद। दरअसल धीरजलाल हीराचंद अंबानी यानी कि धीरूभाई अंबानी अपनी वसीयत बनाकर नहीं गए थे। उसके बाद जैसे अमूमन एक आम परिवार में संपत्ति के लिए झगड़ा होता है, वैसा ही ख़ास परिवारों में भी होता है और वहीं यहाँ भी हुआ।

बँटवारे में माँ ने की मध्यस्थता

पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों के बीच अरबों की संपत्ति के साम्राज्य का असली उत्तराधिकारी बनने की होड़ लग गई। माँ कोकिला बेन ने दोनों बेटों को एक कराने की बहुत कोशिश की। इसके लिए उन्होंने कई धार्मिक स्थलों की यात्रा तक की लेकिन नियति में जो लिखा था वही हुआ।

आख़िरकार, दोनों भाइयों के बीच संपत्ति को बाँटने का निर्णय हुआ। इस बँटवारे ने भी ख़ूब चर्चा बटोरी। देश-विदेश की मीडिया का जमावड़ा उनके घर के सामने लगा रहा। लगभग 18 घंटों तक घर की सातवीं मंज़िल पर कुछ ख़ास लोग मौजूद रहे और अंत में बँटवारे के बाद कोकिला बेन ने बस इतना कहा कि श्री जी की कृपा से सब अच्छा हो गया।

मुकेश, अनिल को नहीं देते थे समय

लेखक हेमिश मैकडोनाल्ड ने अपनी किताब ‘अंबानी एंड संस’ में बँटवारे के बारे में कई ख़ुलासे किए हैं। उनके मुताबिक़ जब धीरूभाई की मृत्यु के बाद बड़े बेटे मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया तो छोटे भाई अनिल को मुकेश से मिलने के लिए उनके सचिव से समय लेना पड़ता था जो अक्सर नहीं मिल पाता था।

2004 में इन दोनों भाइयों के बीच का विवाद खुलकर सामने आ गया। फिर 2005 में बँटवारा होने के बाद ही बात थमी। इसमें आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ केवी कामथ, धीरूभाई के जिगरी दोस्त और तब पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने भी अहम भूमिका निभायी थी।

बँटवारे में मुकेश अंबानी को प्रमुख तेलशोधन और पेट्रोकेमिकल्स का जिम्मा मिला तो अनिल अंबानी को बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं जैसे नए व्यवसाय मिले।

इसके साथ ही अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी के द्वारा मेहनत से बनाई गई टेलीकॉम कंपनी को भी ले लिया। उस वक़्त वायरलेस डिवीजन अनिल अंबानी को बहुत ज़्यादा अवसर दे रहा था। 2005 में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल हो गयी थी और तेल शोधन कंपनियों की चिंता बढ़ गई थी। वहीं मोबाइल फ़ोन के लिए भारत का बाज़ार उम्मीदों के साथ खड़ा था। अनिल अंबानी ने शुरू में इसका कुछ हद तक फ़ायदा उठाया भी और देश के शीर्ष दस अमीर लोगों में उनका नाम भी शुमार हो गया था।

बँटवारे के बाद नहीं रुका विवाद

इस बीच दोनों भाइयों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार चलता रहा। प्रतिस्पर्धा की दौड़ में वह एक-दूसरे पर शेयर धारकों को बरगलाने, झूठ बोलने जैसे आरोप लगाते रहे। वह किसी भी समारोह में भी पहुँचते थे तो आमने-सामने न पड़ना पड़े इसलिए अलग-अलग समय पर जाते थे।

इस दौरान जो सबसे बड़ा झगड़ा सामने आया वह था कृष्णा गोदावरी बेसिन से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को लेकर। दोनों के बीच हुए समझौते के अनुसार अनिल अंबानी के पावर प्लांट को गैस की आपूर्ति मुकेश अंबानी को करनी थी। जिसकी क़ीमतों को लेकर दोनों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया था।

अलग है दोनों का व्यक्तित्व

दोनों भाइयों की शख्सियतों में बहुत अंतर दिखता है। मुकेश अंबानी की छवि एक सादगी पसंद और अत्यधिक काम करने वाले और दूरदर्शी व्यक्ति की है। जिस वजह से वह बड़े-बड़े प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक अमलीजामा पहना पाते हैं।

दूसरी ओर, अनिल अंबानी बड़े भाई मुकेश से एकदम उलट तड़क-भड़क वाली लाइफ़स्टाइल जीते हैं। उनकी छवि ग्लैमर पसंद व्यक्ति की है। अनिल अंबानी ने शादी भी बॉलीवुड अभिनेत्री टीना मुनीम से की है। जहाँ मुकेश अंबानी के लिए उनका कारोबार ही उनकी दुनिया है और वह बाहरी लोगों से ज़्यादा नहीं घुलते-मिलते हैं तो अनिल अंबानी के संबंध बॉलिवुड से लेकर नेताओं तक से हैं। एक बार वह राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। वह बहुत मामलों से अपने बड़े भाई से अलग नज़र आते हैं। 

जब दोनों भाइयों के बीच संपत्ति का बँटवारा हुआ था उस वक़्त दोनों के बीच एक समान संपत्ति थी लेकिन आज के वक़्त में अनिल अंबानी की हालत मुकेश अंबानी के सामने दयनीय ही कही जा सकती है। अनिल अंबानी दिवालिया होने की कगार पर आ गए हैं। वह अपनी संपत्तियों को बेच कर अपना कर्ज़ा चुका रहे हैं।

मुकेश को नहीं बेच पाए आरकॉम

कर्ज तले दब रही अनिल अंबानी की कंपनी ने संपत्तियों को बेचने का तरीक़ा तक अपनाया। उन्होंने अपनी कंपनी आरकॉम को बड़े भाई मुकेश को बेचने की बात भी आगे बढ़ाई लेकिन आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने आरकॉम पर कंपनी की संपत्तियों को बेचने, ट्रांसफ़र करने पर रोक लगा दी थी। आरकॉम को ऐसेट बेच कर लगभग 17,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी।

आरकॉम बिकने के बाद अनिल अंबानी उससे अपना कर्ज चुकाते। अब एरिक्सन का कर्ज चुकाने में उनके भाई ने मदद की है। इसके साथ एक सवाल यह भी उठता है कि बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को जेल जाने से तो बचा लिया लेकिन अब अनिल अंबानी यह कर्ज़ कैसे चुकाएँगे यह देखना होगा

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