मंदी के संकेत: नामी भारतीय IT कंपनियों में भर्तियां रद्द
विश्वव्यापी मंदी का असर भारत में दिखना शुरू हो गया है। हालांकि सरकार आर्थिक हालत मजबूत होने के तमाम दावे कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। इकोनॉमिक टाइम्स और हिन्दू बिजनेसलाइन की रिपोर्टों में कहा गया है कि देश की नामी आईटी कंपनियों ने हायरिंग (नौकरी) बंद कर दी है और जिन्हें ऑफर लेटर दिया गया था, उन्हें मना कर दिया गया है। नौकरी डॉट कॉम ने भी कहा है कि आईटी सेक्टर की नौकरियों में गिरावट दस फीसदी तक जा पहुंची है।
ईटी के मुताबिक विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी शीर्ष आईटी और टेक फर्मों ने लगभग तीन-चार महीने की देरी के बाद छात्रों को दिए गए ऑफर लेटर को कथित तौर पर रद्द कर दिया है। खबरों के मुताबिक सैकड़ों फ्रेशर्स को ऑफर लेटर दिए गए लेकिन पहले उन कैंडिडेट्स की जॉइनिंग टाल दी गई और आखिरकार उनका ऑफर लेटर अब रद्द कर दिया गया।
हिन्दू बिजनेस लाइन द्वारा सबसे पहले रिपोर्ट की गई इस खबर में इन कंपनियों द्वारा फ्रेशर्स को भेजे गए ईमेल का हवाला दिया गया था, जिनके ऑफर लेटर खारिज कर दिए गए थे। उसके मुताबिक, छात्रों को ये ऑफर लेटर कई राउंड के इंटरव्यू और कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद मिले थे।
इस संबंध में एक कंपनी के ईमेल में लिखा गया है कि आप हमारे शैक्षणिक योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इसलिए आपको नौकरी का भेजा गया प्रस्ताव अब रद्द किया जाता है। इन जानी-मानी आईटी कंपनियों ने बिजनेस अखबारों में प्रकाशित इन रिपोर्टों पर अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मंदी की आशंकाओं और बढ़ती महंगाई के बीच ग्लोबल व्यापक आर्थिक हालात ने भारतीय उद्योगों को प्रभावित किया है, और देश में आईटी/तकनीक उद्योग इससे अछूता नहीं है। विशेषज्ञों ने पहले ही बता दिया था कि आने वाले समय में भारतीय आईटी उद्योग में आर्थिक गति और धीमी हो जाएगी।
मंदी की आशंका की वजह से ही टीसीएस ने अपने कर्मचारियों का वैरिएबल पे रोक दिया था, जबकि इंफोसिस ने इसे घटाकर 70 फीसदी कर दिया था। विप्रो ने भी इसे पूरी तरह से टाल दिया था। नौकरी डॉट कॉम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में आईटी सेक्टर ने हायरिंग एक्टिविटी में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की है।
अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी की चेतावनी
नूरील रूबिनी वो अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने 2008 के आर्थिक संकट की सटीक भविष्यवाणी की थी। कहा जाता है कि जब उन्होंने आर्थिक संकट के बारे में सबसे पहले बात की थी, तब किसी ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन उनकी सारी बातें सही साबित हुईं। तब अमेरिका गंभीर आर्थिक संकट से गुजरा था। नूरील रूबिनी को उनकी 2008 की सटीक भविष्यवाणी के लिए डॉ. डूम का उपनाम दिया गया था।
अब वही नूरील रूबिनी ने अमेरिका में और विश्व स्तर पर 2022 के अंत में एक ऐसी ही आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यह भयावह हो सकती है और लंबे समय तक रह सकती है। उन्होंने संदेह जताया है कि यह 2023 तक चल सकती है। रूबिनी मैक्रो एसोसिएट्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूबिनी की यह चेतावनी हाल ही में एक इंटरव्यू में आई थी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूबिनी ने कहा, 'यहाँ तक कि एक सामान्य मंदी में भी एसएंडपी 500 अंकों तक, यानी 30 प्रतिशत तक गिर सकता है।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें आशंका है कि यह 40 प्रतिशत तक भी गिर सकता है। एसएंडपी 500 अमेरिका का एक शेयर बाज़ार सूचकांक है।
रूबिनी को संदेह है कि अमेरिका और वैश्विक मंदी पूरे 2023 तक चलेगी और यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपूर्ति के झटके और वित्तीय संकट कितने गंभीर होंगे। रूबिनी ने कहा कि 2% मुद्रास्फीति दर हासिल करना फेड के लिए एक असंभव मिशन की तरह होगा। उन्हें मौजूदा बैठक में 75 आधार अंकों की वृद्धि और नवंबर और दिसंबर दोनों में 50 आधार अंकों की वृद्धि की संभावना है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत में फेड फंड की दर को 4% और 4.25% के बीच ले जाया जाएगा।
नूरील रूबिनी ने यहाँ तक कहा कि एक बार जब दुनिया मंदी की चपेट में आ जाएगी, तो फिर किसी तरह के सरकारी प्रोत्साहन वाले उपायों की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि बहुत अधिक कर्ज वाली सरकारों के पास वैसा करने के लिए कुछ बचा नहीं होगा।
नूरील ने पिछले साल जुलाई में द गार्जियन में लिखा था, ‘आज की बेहद अस्पष्ट मौद्रिक और राजकोषीय नीतियाँ, जब कई नकारात्मक आपूर्ति संकटों का सामना करती हैं, तब नतीजा 1970 के दशक में आए स्टैगफ्लेशन (मंदी के साथ उच्च मुद्रास्फीति) जैसा हो सकता है। असल में उस समय की तुलना में आज जोखिम भी बड़ा है।’
बता दें कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्था इस साल ख़राब हालत में है। हाल ही में चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर बुरी ख़बर आई थी। चीन में आर्थिक मंदी का अंदेशा जताया जाने लगा था। चीन के रियल एस्टेट डेवलपर्स डीफॉल्ट कर रहे हैं। एशिया की सबसे अमीर महिला यांग ह्यूयान ने अपनी आधी दौलत गंवा दी है। वह चीन की प्रॉपर्टी मार्केट की दिग्गज शख्स थीं। बीते एक साल में उनकी संपत्ति 11 अरब डॉलर से ज़्यादा घट चुकी है। चीन के बैंकों की हालत दयनीय है। चीन का कुल कर्ज तेजी से बढ़ रहा है, जो उसके जीडीपी का कई गुना ज़्यादा है। ये वे संकेत हैं जिसे मंदी की आहट के तौर पर देखा जा रहा है। इस साल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई थी। उसके सामने भी कुछ वैसा ही संकट था।
इतना सब होने के बावजूद भारत सरकार देश की आर्थिक हालत अच्छी बता रही है। हालांकि महंगाई आसमान पर है। सरकार महंगाई रोकने के लिए कदम नहीं उठा रही है। फ्रीबीज उसी तरह जारी हैं।