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जिस अनामिका शुक्ला के नाम पर 25 महिलाएँ नौकरी पर थीं, वह ख़ुद हैं बेरोज़गार

जिस अनामिका शुक्ला के नाम पर 25 महिलाएँ नौकरी पर थीं, वह ख़ुद हैं बेरोज़गार

उत्तर प्रदेश में जिस अनामिका शुक्ला के नाम और शैक्षणिक दस्तावेज़ पर फ़र्जीवाड़ा कर 25 महिलाओं को नौकरी दी गई, वह ख़ुद बेरोज़गार हैं। 

उत्तर प्रदेश में जिस अनामिका शुक्ला के नाम और शैक्षणिक दस्तावेज़ पर फ़र्जीवाड़ा कर 25 महिलाओं को नौकरी दी गई, वह ख़ुद बेरोज़गार हैं। नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही असली अनामिका शुक्ला सबके सामने आ गईं। 

कौन है असली अनामिका

गोंडा के भुलईडीह गाँव की रहने वाली असली अनामिका शुक्ला ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ़्तर पहुँच कर सच बयान कर दिया। अनामिका के मुताबिक़, कई जगह आवेदन करने व इंटरव्यू देने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिला। 

लेकिन अनामिका शुक्ला के आवेदन पत्र से अंकपत्र की प्रतियाँ चुराकर जालसाजों ने पैसे लेकर 25 अनामिका शुक्लाओं को नौकरी दे दी। इस तरह जालसाजों ने पैसे बनाए और इन फ़र्जी शिक्षिकाओं ने  सरकारी खजाने को एक करोड़ से ज़्यादा की चपत लगा दी। 

यूपी सरकार अब तक अंधेरे में ही तीर चला रही है। असली अनामिका शुक्ला के सामने आने के बाद भी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने विरोधाभासी बयान दे डाला।

मंत्री ने कहा कि अनामिका शुक्ला बागपत बड़ौत में काम करने वाली शिक्षिका हैं, जिनके दस्तावेज़ों के आधार पर फर्जीवाड़ा हुआ है।

आवेदन कई जगह किया, नौकरी नहीं

मंगलवार को गोंडा में बेसिक शिक्षा अधिकारी इंद्रजीत प्रजापति को असली अनामिका शुक्ला ने बताया कि उन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कभी नौकरी ही नहीं की। 

अनामिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपना असली अंकपत्र दिखाते हुए कहा कि वर्ष 2018 में उसने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के लिए सुल्तानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्ज़ापुर व राजधानी लखनऊ में आवेदन ज़रूर किया था, पर इन सब जगहों पर न तो वह कांउसिलिंग में शामिल हुईं और न ही कहीं पर भी नौकरी कर रही हैं।

अनामिका कर रही हैं इंतजार

अनामिका शुक्ला ने बताया कि बीते दो साल से वह बेरोज़गार हैं और नौकरी के इंतजार में हैं। उन्होंने कहा कि समाचार माध्यमों से जानकारी मिली है कि उन्हीं के शैक्षणिक अभिलेखों का प्रयोग कर कई लोग नौकरी कर रहे हैं और वेतन उठा रहे हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने इसे उत्तर प्रदेश सरकार के भष्ट्राचार की हद क़रार देते हुए माँग की कि असली अनामिका को तुरन्त नौकरी मिलनी चाहिए।

मंगलवार को इस मामले पर सफ़ाई देते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री द्विवेदी ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 11 फरवरी, 2020 को एक आदेश जारी कर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के सफल संचालन के लिए  प्रेरणा तकनीकी फ्रेमवर्क लागू किया गया है।

नयी व्यवस्था

इसके तहत सभी काम करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ ही पढ़ने वाली छात्राओं के फोटो सहित उपस्थिति अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद ही यह फ़र्जीवाड़ा सामने आया है।

मंत्री ने कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बडौत, (बागपत) में कार्यरत शिक्षिका के अभिलेखों का इस्तेमाल करते हुए 8 अन्य ज़िलों जैसे वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर तथा आम्बेडकरनगर में पूर्णकालिक विज्ञान शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।

मंत्री ने कहा कि इस मामले के सामने आते ही प्रदेश के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों, शिक्षिकाओं के अभिलेखों तथा पहचान पत्र एवं आधार नम्बर की जाँच के आदेश दे दिये गये हैं।

कई फ़र्जी अनामिका हत्थे चढ़ीं, कई ग़ायब

अनामिका के नाम पर नौकरी कर रही फर्जी शिक्षिकाओं में से अब तक रीना, सुप्रिया सिंह व प्रिया जाटव का पता चल पाया है। इस मामले में गिरफ़्तारी शनिवार को कासगंज में हुई, जहाँ अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिका बेसिक शिक्षा अधिकारी नौकरी से त्यागपत्र देने दफ़्तर पहुँचीं।  पूछताछ में उसका नाम प्रिया जाटव निकला।

इसके बाद एक अन्य रीना नाम की शिक्षिका खुद ही सामने आयी और अपनी असलियत बता दी। पुलिस अन्य अनामिकाओं की तलाश में लगी हुई है।

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