बजट 2022: डिजिटल करेंसी से होगा बड़ा फायदा- IMC के दिग्गजों का दावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2022 के लिए सबसे बड़ी घोषणा की है कि भारत में डिजिटल करेंसी लॉन्च की जाएगी। निर्मला सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी डिजिटल करेंसी लांच करेगा। क्रिप्टो करेंसी के लगातार चल रहे विरोध के चलते वित्त मंत्रालय ने यह फ़ैसला लिया है। हालांकि डिजिटल करेंसी के ऐलान के बाद अभी तक सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर कोई रोक नहीं लगाई है। सत्य हिंदी ने डिजिटल करेंसी किस तरह से काम करेगा और कैसे इसको लोग इस्तेमाल कर पाएंगे इस बारे में कुछ फाइनेंसियल एक्सपर्ट और डिजिटल एक्सपर्ट से बात की है।
इंडियन मर्चेंट चेंबर के पूर्व अध्यक्ष राज नायर का कहना है कि केंद्र सरकार ने अपनी खुद की करेंसी लाने का जो फैसला किया है वह डिजिटल करेंसी के क्षेत्र में बहुत बड़ा कदम साबित होगा। राज नायर का कहना है कि डिजिटल करेंसी के आने से ना केवल आम आदमी का पैसा सुरक्षित रहेगा बल्कि उसको इस्तेमाल करने में भी काफी आसानी होगी। नायर का कहना है कि पूरी दुनिया में 70 से ज़्यादा देश डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे थे। इसके बाद आरबीआई ने भी डिजिटल करेंसी के स्वरूप पर काम करना शुरू किया था।
राज नायर कहते हैं कि दूसरी तरह की क्रिप्टो करेंसी या फिर बिटकॉइन में आम जनता का पैसा डूबने की आशंका ज़्यादा रहती है। यही कारण है कि सरकार ने आम जनता को राहत पहुंचाते हुए अपनी डिजिटल करेंसी शुरू करने का फ़ैसला लिया है। राज नायर यह भी मानते हैं कि डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में ज़्यादा बड़े पैमाने पर नहीं होता है लेकिन आने वाले समय में डिजिटल करेंसी एक अपना मुकाम हासिल करेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया डिजिटल रुपया लांच करेगा। सीतारमण ने यह भी कहा कि डिजिटल रुपये को इसी साल लांच किया जाएगा। सीतारमण का मानना है कि डिजिटल करेंसी के आने से भारत की अर्थव्यवस्था में भी इजाफा होगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल करेंसी पहुंच पाएगी।
इंडियन मर्चेंट चैंबर ईज़ ऑफ लिविंग कमेटी के चेयरमैन एम के चौहान का मानना है कि डिजिटल करेंसी के लिए भारत अभी तक पूरी तरह से तैयार नहीं है। एमके चौहान का मानना है कि अभी एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि 60 फ़ीसदी लोग डिजिटल करेंसी के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में इस सर्वे को देखकर यह कहा जा सकता है कि डिजिटल करेंसी भारत के लिए उपयोगी साबित नहीं होने वाली है।
इंडियन मर्चेंट चैंबर के एम के चौहान का यह भी मानना है कि क्रिप्टो करेंसी पर सरकार की कोई लगाम नहीं थी जिसके चलते सरकार भी यह चाहती थी कि जिस करेंसी पर रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया या फिर बैंकों का कंट्रोल रहे उसी करेंसी को देश में प्राथमिकता दी जाए।
हालाँकि एमके चौहान यह मानते हैं कि डिजिटल करेंसी के आने से बिचौलियों का सफाया हो जाएगा जो क्रिप्टो करेंसी या फिर दूसरी तरह की बिटकॉइन जैसी करेंसी में सामने आता था।
डिजिटल एक्सपर्ट भी यह मानते हैं कि नोट और सिक्कों की छपाई पर बहुत पैसा खर्च होता है। एटीएम और बैंकों में पैसा पहुंचाने पर भी अलग से पैसा ख़र्च होता है। अगर डिजिटल पैसे का लेनदेन होगा तो बैंकों पर भी पड़ने वाला बोझ ख़त्म हो सकेगा। यही कारण है कि सरकार ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का ऐलान किया है।
इंडियन मर्चेंट चैंबर की डिजिटल टेक्नोलॉजी कमेटी के चेयरमैन हरीश टिबरेवाला का कहना है कि सरकार द्वारा जारी की गई डिजिटल करेंसी के बाद से सबसे ज्यादा ट्रांसपेरेंसी देखने को मिलेगी, क्योंकि और तरह की दूसरी करेंसी में यह सब देखने को नहीं मिलता है। टिबरेवाला का कहना है कि डिजिटल करेंसी से काले धन पर भी लगाम लगाई जा सकेगी, क्योंकि आमतौर पर बिटकॉइन या फिर क्रिप्टो करेंसी में काले धन का इस्तेमाल होने पर कोई कंट्रोल नहीं था। जिससे सरकार को भी नुक़सान होता था। टिबरेवाला मानते हैं कि डिजिटल करेंसी समय के साथ-साथ ग्रामीण भारत में भी पहुंचेगी और लोग बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे। इससे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा बल्कि लोगों को भी अपने काम के लिए इसके इस्तेमाल करने में सहूलियत मिलेगी।